हैदराबाद (प्रेस विज्ञप्ति)।
पहले हम सब कार्य मैनुअल रूप से ही करते थे। चाहे जनसंख्या गणना हो या चाहे किसी दस्तावेज को लिखकर या टंकित करके सुरक्षित रखने का काम हो। लेकिन कुछ दशकों से हम कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं। सामान्य रूप से ईमेल करने या नेट पर कुछ ढूँढ़ने या मनोरंजन के लिए या वर्ड डॉक्युमेंट टाइप करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग करते थे। जैसे जैसे प्रौद्योगिकी का विकास होने लगा वैसे वैसे कंप्यूटर की कार्य प्रणाली भी बदलने लगी। पहले जहाँ पंच कार्ड की सहायता से डेटा संग्रहण का काम चलता था अब वहीं डिजिटल रूप में डेटा का संग्रहण हो रहा है। पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन और एनिमेशन का काम भी कंप्यूटर के माध्यम से कर रहे हैं। डिजाइनिंग भी कंप्यूटर की सहायता से कर रहे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम उपलब्ध कराया। जिसके माध्यम से हम आसानी से बहुत काम कर सकते हैं। अब तो स्थिति यह है कि कंप्यूटर के बिना हम जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते। हम सब कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं लेकिन प्रश्न यह है कि हम इस कंप्यूटर को कितना जानते हैं?
इन सभी प्रश्नों के समाधान हेतु वैश्विक हिंदी परिवार और अक्षरम (भारत), हिंदी भवन (भोपाल), निर्बाध (भारत), वातायन (यू.के.), हिंदी राइटर्स गिल्ड (कनाडा), झिलमिल (अमेरिका), विश्वंभरा (हैदराबाद और अमेरिका), सिंगापुर संगम, कविताई (सिंगापुर) और विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वाधान में आयोजित 'विंडोज 10 : कितना जाना, कितना अनजाना' विषयक तकनीकी कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता बालेंदु शर्मा दाधीच ने व्यावहारिक रूप से विंडोज 10 की कार्य प्रणाली पर प्रकाश डाला।
बालेंदु शर्मा दाधीच |
उनके अनुसार विंडोज हमारी डिजिटल दुनिया की वर्चुअल आइडेंटिटी है। विंडोज के भीतर एक तरह से हमारा पूरा कार्यालय ही समाहित है। विंडोज10 ऑपरेटिंग सिस्टम में तमाम एडवांस्ड तकनीक उपलब्ध है जिसकी सहायता से हम सॉफ्टवेयर को अलग से इंस्टॉल किए बिना ही अधिकांश काम कर सकते हैं। यदि कहें कि यह यूज़र फ्रेंडली ऑपरेटिंग सिस्टम नए दौर की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है तो गलत नहीं होगा।
इस कार्यशाला में देश-विदेश से लगभग 250 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और लाभान्वित हुए।
कार्यक्रम की शुरूआत में मोहन बहुगुणा ने सभी का स्वागत किया। अनूप भार्गव ने मुख्य वक्ता का परिच दिया और अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रस्तुति : डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा