गुरुवार, 29 मई 2014

16 लघुशोधप्रबंधों का प्रस्तुतीकरण संपन्न



एमफिल 2013-2014 

हैदराबाद, 29 मई, 2014. 

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के विश्वविद्यालय विभाग, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के हैदराबाद परिसर में आज शिक्षा सत्र 2013-14 के दौरान पूर्ण हुए 16 लघुशोध कार्यों का प्रस्तुतीकरण संपन्न हुआ. इस अवसर पर विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. वेंकटेश्वर ने संस्थान की सभी शोध योजनाओं के स्तर पर संतोष प्रकट करते हुए कहा कि विशेष रूप से समाजभाषाविज्ञान, अनुवाद समीक्षा, तुलनात्मक साहित्य, शैलीविज्ञान और सौंदर्यशास्त्र के क्षेत्र में अछूते और अभिनव विषयों पर शोध कराने में संस्थान का हैदराबाद परिसर अग्रणी है. उन्होंने संस्थान के अकादमिक वातावरण को प्रेरणापूर्ण और शोधानुकूल बताया. 

इस वर्ष संस्थान के आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. ऋषभ देव शर्मा के निर्देशन में कुल पाँच लघुशोध कार्य संपन्न हुए. इनमें शुभदा भास्करराव उमरीकर का ‘पद्मावत और रामचरित मानस में पाकशाला की भाषिक प्रयुक्ति’, गीता पोस्ते का ‘आओ पेपे घर चलें और अंतर्वंशी में चित्रित अमेरिकी परिवेश : तुलनात्मक विश्लेषण’, हरिचरन दास का ‘टोपी शुक्ला और ओस की बूँद का समाजभाषिक विश्लेषण’, रतन सिंह का ‘नीरज के प्रेम गीतों का सौंदर्यशास्त्रीय अध्ययन’ एवं अनामिका उपाध्याय का ‘कर्मेंदु शिशिर के कहानी संग्रह लौटेगा नहीं जीवन में संघर्ष और जिजीविषा’ विषयक लघुशोधप्रबंध शामिल हैं. 

‘स्रवंति’ की सह-संपादक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा के निर्देशन में प्रस्तुत किए गए 4 लघुशोधप्रबंधों में टी. उमा दुर्गा देवी का ‘मुदिगोंडा शिवप्रसाद के तेलुगु उपन्यास रेजीडेंसी के हिंदी अनुवाद का मूल्यांकन’, आशा मिश्रा का ‘आंध्र प्रदेश साहित्यिक पत्रकारिता में पुष्पक का योगदान’, शोभा गूंजे का ‘मृदला गर्ग का उपन्यास मिलजुल मन : स्त्री जीवन के विविध संदर्भ’ और के. राहुल का ‘असगर वजाहत के कहानी संग्रह डेमोक्रेसिया में समकालीनता बोध और व्यंग्य’ शीर्षक शोधकार्य सम्मिलित हैं. 

इस वर्ष डॉ. मृत्युंजय सिंह के निर्देशन में 3 लघुशोध ‘काशीनाथ सिंह की कहानियों में सामाजिक यथार्थ’ पर आरेवार प्रमोद देवीदास, ‘प्रेम भारद्वाज के कहानी संग्रह इन्तजार पांचवे सपने का में सामाजिक यथार्थ’ पर वर्षा ठाकर तथा ‘राजेंद्र यादव संपादित देहरी भई विदेस में स्त्री विमर्श’ पर प्रियंका कुमारी ने एवं डॉ. बलविंदर कौर के निर्देशन में भी 3 लघुशोध क्रमशः ‘योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण कृत काव्य वैदुष्यमणि विद्योत्तमा : परंपरा और आधुनिकता’ पर चव्हाण राजश्री तुलसीराम, ‘परवेज अहमद के उपन्यास मिर्जावाडी में स्त्री विमर्श’ पर नागवेल्ले रमा वेंकटराव तथा ‘उषा प्रियंवदा के उपन्यासों में भारतीय एवं पाश्चात्य संस्कृति’ पर लक्ष्मी बाई मीना ने संपन्न किए. इनके अलावा पल्लवी शास्त्री ने ‘संकल्य’ के संपादक-प्रकाशक डॉ. गोरख नाथ तिवारी के निर्देशन में ‘नीलेश रघुवंशी के उपन्यास एक कस्बे के नोट्स में स्त्री विमर्श’ विषय पर लघुशोध ग्रंथ प्रस्तुत किया. 

इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने बताया कि संस्थान का अगला सत्र जुलाई 2014 में आरंभ होगा जिसके लिए भाषा और साहित्य के नए और अछूते विषयों पर शोध की मौलिक योजनाएँ विचाराधीन हैं. उन्होंने कहा कि हिंदीतरभाषी क्षेत्र में हिंदी में शोधकार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण है इसलिए उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए संस्थान में शोधार्थी और शोध निर्देशक का परस्पर सौहार्द अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

शुक्रवार, 16 मई 2014

आदिवासी विमर्श पर डॉ. इसपाक अली को डीलिट

डॉ, इसपाक अली, डीलिट 
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के हैदराबाद केंद्र के अंतर्गत ‘आदिवासी जीवन : भारतीय समाज और हिंदी साहित्य’ विषय पर प्रस्तुत शोधप्रबंध के लिए डॉ. इसपाक अली को संस्थान की  डीलिट (हिंदी) की उपाधि प्रदान की गई है. डॉ. इसपाक अली हिंदी साहित्य और शिक्षा शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान हैं तथा लंबे समय से सभा के बैंगलोर स्थित बीएड महाविद्यालय में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने अपना डीलिट शोधकार्य प्रो. ऋषभ देव शर्मा के निर्देशन में संपन्न किया है. उनके शोधप्रबंध में एक ओर तो विस्तार से भारतीय समाज में आदिवासी जीवन के अतीत और वर्तमान का भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विवेचन किया गया है तथा दूसरी  ओर विभिन्न विधाओं में रचित दलित जीवन केंद्रित और दलित विमर्शात्मक हिंदी साहित्य का विशद विश्लेषण और मूल्यांकन भी किया गया है. इस दृष्टि से यह अपनी तरह का पहला शोधकार्य है.

- डॉ. इसपाक अली को हार्दिक शुभकामनाएँ.