बुधवार, 28 अगस्त 2013

सूँ साँ माणस गंध (कविता संग्रह) : ऋषभ देव शर्मा

नमस्कार.
आज मेरा छठा कविता-संकलन छप कर आ गया है - ''सूँ साँ माणस गंध''. (संलग्न है.)
इसकी भूमिका हमारी प्लेटफार्म- गोष्ठियों के प्रथम प्रणेता डॉ. देवराज ने लिखी है.
और इसे समर्पित किया गया है - 
''प्लेटफार्म गोष्ठियों के अनन्य साथी
जगदीश सुधाकर, जसवीर राणा, द्वारका प्रसाद मायछ,
कविता वाचक्नवी, गोपाल शर्मा, गुरुदयाल अग्रवाल
एवं
स्वर्गीय चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
को''.
मैं जानता हूँ कि ये कविताएँ बहुत साधारण हैं और छपी भी अच्छे ढंग से नहीं हैं.
पर मेरे यार शायद मेरे शुद्ध मन को पढ़कर
इस तुच्छ भेंट को स्वीकार कर लेंगे.....
सादर
ऋषभदेव शर्मा


"स्त्री-भाषा" पर पुनश्चर्या व्याख्यान : पावर पॉइंट प्रस्तुति

21 अगस्त 2013 को मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू  यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में आयोजित
 'विविध विमर्श' विषयक 21 दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के दौरान
 ''स्त्री विमर्श : स्त्री भाषा'' पर व्याख्यान देते हुए ऋषभ देव शर्मा
[चित्र सौजन्य - डॉ. राजेंद्र कुमार / प्रतिभागी]

सोमवार, 26 अगस्त 2013

ప్రొ.ఋషభ్ దేవ్ శర్మ కవితల అనువాదం ‘ప్రేమ ఇలా సాగిపోనీ’ ఆవిష్కరణ

ఎడమ నుండి : లలితా గాయింకా, డా.పూర్ణిమ శర్మ, శ్యాంసుందర్ గాయింక, డా.ఋషబ్ దేవ్ శర్మ, జి. పరమేశ్వర్, డా.జే.ఎల్.రెడ్డీ,
డా.రాదేశ్యం శుకల్, డా.ఎం.వెంకటేశ్వర్, డా.హేమ్రాజ్ మీణా, రవి శ్రీవాస్తవ్ మరియు ఓంప్రక్ష గాయింకా 

భారత దేశం లాంటి బహు భాషా సమాజం లో నేడు అనువాద ప్రక్రియ ఎంతో అవసరమైనదే కాక, ప్రయోజనకరమైనది. నిజానికి అనువాదమనే ఈ ప్రక్రియ విభిన్న భాషల మధ్య సేతు నిర్మాణ కార్యం లాంటిది. అనువాద ప్రక్రియలలో విశేషించి, సాహిత్యానువాదం ప్రత్యేకమైన వైశిష్ట్యాన్నిసంతరించుకోవటానికి కారణం, అది రెండు సాంప్రదాయాలను, సంస్కృతులనూ సామాజిక-సాంస్కృతిక వారసత్వ తర్జుమా అని ఆంగ్లం మరియు విదేశీ భాషా విశ్వవిద్యాలయం, హింది విభాగపు పూర్వ అధ్యక్షులు ప్రొ.యం. వెంకటేశ్వర్ గతం లో హైదరాబాదులో కమలాగోయింకా ఫౌండేషన్ వారు ఏర్పాటు చేసిన ఒక సాహితీ సమావేశానికి అధ్యక్షత వహిస్తూ ప్రొ. ఋషభ్ దేవ్ శర్మ హింది కావ్యకృతి ‘ప్రేమ్ బానా రహే’ తెలుగు అనువాదం ‘ప్రేమ ఇలా సాగిపోనీ’ ఆవిష్కరణ సందర్భంగా అన్నారు. తొలుత అనువదించబడిన కావ్యకృతి గురించి ప్రసంగిస్తూ, ఈ కావ్యకృతిలో కవి ప్రేమ యొక్క విభిన్న దశలనూ, అతి సునిశితమైన సూక్షమైన అనుభూతులనూ మరియు ఉదాత్తమైన పరిణామాలనూ అతి మనోహరంగా చిత్రీకరించారని తన అభిప్రాయాన్ని వ్యక్తం చేశారు. 

జి.పరమేశ్వర్ ద్వారా అనువదించబడిన ఈ కావ్య సంగ్రహాన్ని గీతా దేవి గోయింకా అనువాద పురస్కార గ్రహీత ప్రొ. జె.యల్ రెడ్డి ఆవిష్కరించగా, పుస్తకపు తొలి ప్రతిని డా.పూర్ణిమా శర్మ స్వీకరించారు. కార్యక్రమ ఆరంభం లో ఆవిష్కృత పుస్తకం గురించి పరిచయం చేస్తూ ప్రొ. ఋషభ్ దేవ్ శర్మ మానవుని సామాజీకరణ లక్ష్యం గా ప్రేమ భావం యొక్క ప్రాధాన్యాన్ని ప్రతిపాదించే ఈ కావ్యకృతి ‘ప్రేమ్ బానా రహే’ గత సంవత్సరం ప్రచురింప బడినదనీ దానికి ప్రభావితులైన అనుభవజ్ఞుడైన తెలుగు అనువాదకులు, హింది భాషా సేవకులూ అయిన జి. పరమేశ్వర్ ఆత్మప్రేరణ తో, కవితలను అనువదించారని అన్నారు. తొలుత అనువాదకునికి కృతజ్ఞతలు తెలుపుతూ, పుష్పగుఛం సమర్పించి సన్మానించారు.

అనువాదకులు పరమేశ్వర్ మాట్లాడుతూ, ‘ప్రేమ్ బానా రహే’ కవితలు అతి సహజమైనవి, ప్రభావోత్తేజకమైనవి అనీ, ఐతే వీటిలో పౌరాణిక, శాస్త్రీయ మరియూ ఆధ్యాత్మిక సందర్భాలు లోతుగా ఇమిడివుండటం చేత అనువాదకునికి ఈ కావ్య సంగ్రహపు అనువాద కార్యం సవాలుగా నిలుస్తుంది అని అన్నారు. తదుపరి తన అనువాద అనుభవాలను వెల్లడిస్తూ, జానపద సాంస్కృతిక సందర్భాలనుగూర్చి , జనపద శబ్దాల యొక్క భాషా పరమైన ప్రయోగాలను ఎప్పటికప్పుడు రచయితతో చర్చించి అనువదించానని వివరించారు. 

ఈ సందర్భంగా శ్యాంసుందర్ గోయంకా, లలితా గోయంకా, డా. రాధేశ్యామ్ శుక్ల్, ప్రొ. హేంరాజ్ మీణా, రవి శ్రీవాస్తవ్ మరియూ ఓంప్రకాశ్ గోయాంకా కూడా వేదికనలంకరించారు. సభాగారం లో ఆసీనులైన సాహిత్యకారులు, పాత్రికేయులు మరియూ హింది ప్రియులూ, కవికి, అనువాదకుకునికీ శుభాకాంక్షలు తెలియ చేశారు. 

- భాగవతుల హేమలత
403, శ్రీ రాంప్రసాద్ రెసిడెన్సీ, 
ఓల్డ్ ప్రతిభా నికేతన్ స్ట్రీట్, 
మాచవరం, విజయవాడా – 520 004

हिंदी लिप्यंतरण 

प्रॊ.ऋषभ् देव शर्म कवितल अनुवादं ‘प्रेम इला सागिपोनी’ आविष्करण

भारत देशं लांटि बहु भाषा समाजं लो नेडु अनुवाद प्रक्रिय एंतो अवसरमैनदे काक, प्रयोजनकरमैनदि. निजानिकि अनुवादमने ई प्रक्रिय विभिन्न भाषल मध्य सेतु निर्माण कार्यं लांटिदि. अनुवाद प्रक्रियललो विशेषिंचि, साहित्यानुवादं प्रत्येकमैन वैशिष्ट्यान्नि संतरिंचुकोवटानिकि कारणं, अदि रॆंडु सांप्रदायालनु, संस्कृतुल सामाजिक-सांस्कृतिक वारसत्व तर्जुमा अनि आंग्लं मरियु विदेशी भाषा विश्वविद्यालयं, हिंदि विभागपु पूर्व अध्यक्षुलु प्रॊ.एम. वॆंकटेश्वर् गतं लो हैदराबादुलो कमलागोयिंका फौंडेषन् वारु एर्पाटु चेसिन ऒक साहिती समावेशानिकि अध्यक्षत वहिस्तू प्रॊ. ऋषभ् देव शर्म हिंदि काव्यकृति ‘प्रेम बाना रहे’ तॆलुगु अनुवादं ‘प्रेम इला सागिपोनी’ आविष्करण संदर्भंगा अन्नारु. तॊलुत अनुवदिंचबडिन काव्यकृति गुरिंचि प्रसंगिस्तू, ई काव्यकृतिलो कवि प्रेम यॊक्क विभिन्न दशलनू, अति सुनिशितमैन सूक्षमैन अनुभूतुलनू मरियु उदात्तमैन परिणामालनू अति मनोहरंगा चित्रीकरिंचारनि तन अभिप्रायान्नि व्यक्तं चेशारु. 

जी.परमेश्वर् द्वारा अनुवदिंचबडिन ई काव्य संग्रहान्नि गीता देवि गोयिंका अनुवाद पुरस्कार ग्रहीत प्रॊ. जॆ.यल् रॆड्डि आविष्करिंचगा, पुस्तकपु तॊलि प्रतिनि डा.पूर्णिमा शर्म स्वीकरिंचारु. कार्यक्रम आरंभं लो आविष्कृत पुस्तकं गुरिंचि परिचयं चेस्तू प्रॊ. ऋषभ् देव् शर्म मानवुनि सामाजीकरण लक्ष्यं गा प्रेम भावं यॊक्क प्राधान्यान्नि प्रतिपादिंचे ई काव्यकृति ‘प्रेम् बाना रहे’ गत संवत्सरं प्रचुरिंप बडिनदनी दानिकि प्रभावितुलैन अनुभवज्ञुडॆॖन तॆलुगु अनुवादकुलु, हिंदि भाषा सेवकुलू अयिन जि. परमेश्वर् आत्मप्रेरण तो, कवितलनु अनुवदिंचारनि अन्नारु. तॊलुत अनुवादकुनिकि कृतज्ञतलु तॆलुपुतू, पुष्पगुछं समर्पिंचि सन्मानिंचारु.

अनुवादकुलु परमेश्वर् माट्लाडुतू, ‘प्रेम् बाना रहे’ कवितलु अति सहजमैनवि, प्रभावोत्तेजकमैनवि अनी, ऐते वीटिलो पौराणिक, शास्त्रीय मरियू आध्यात्मिक संदर्भालु लोतुगा इमिडिवुंडटं चेत अनुवादकुनिकि ई काव्य संग्रहपु अनुवाद कार्यं सवालुगा निलुस्तुंदि अनि अन्नारु. तदुपरि तन अनुवाद अनुभवालनु वॆल्लडिस्तू, जानपद सांस्कृतिक संदर्भालनुगूर्चि , जनपद शब्दाल यॊक्क भाषा परमैन प्रयोगालनु ऎप्पटिकप्पुडु रचयिततो चर्चिंचि अनुवदिंचाननि विवरिंचारु. 

ई संदर्भंगा श्यांसुंदर् गोयंका, ललिता गोयंका, डा. राधेश्याम् शुक्ल्, प्रॊ. हेंराज् मीणा, रवि श्रीवास्तव् मरियू ओंप्रकाश् गोयांका कूडा वेदिकनलंकरिंचारु. सभागारं लो आसीनुलैन साहित्यकारुलु, पात्रिकेयुलु मरियू हिंदि प्रियुलू, कविकि, अनुवादकुकुनिकी शुभाकांक्षलु तॆलिय चेशारु. 

- भागवतुल हेमलत
403, श्री रांप्रसाद् रॆसिडॆन्सी, 
ओल्ड् प्रतिभा निकेतन् स्ट्रीट्, 
माचवरं, विजयवाडा – 520 004

सोमवार, 19 अगस्त 2013

फणीश्वर नाथ 'रेणु' पर प्रो. दिलीप सिंह का वक्तव्य



13/14 अगस्त 2013 को केंदीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फणीश्वर नाथ 'रेणु' पर केंद्रित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी निवर्तमान प्रोफ़ेसर डॉ.सुवास कुमार के सम्मान में आयोजित थी. पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो. दिलीप सिंह ने की. उस सत्र में अन्य मित्रों के साथ अपुन को भी ''आंचलिकता की प्रासंगिकता और हिंदी उपन्यास'' पर बोलने का सुयोग मिला. उसी दिन लंच-काल में प्रो. दिलीप सिंह का यह वक्तव्य रिकॉर्ड किया गया था.साथ ही अन्य भी कई विद्वानों के उदगार. (ऋषभ देव शर्मा)

शनिवार, 17 अगस्त 2013

ऋषभ देव शर्मा की कविताओं का अनुवाद ‘प्रेमा इला सागिपोनि’ लोकार्पित

बाएँ से – ललिता गोइन्का, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, श्याम सुंदर गोइन्का, डॉ. ऋषभ देव शर्मा, जी. परमेश्वर, 
डॉ. जे.एल. रेड्डी, डॉ. राधेश्याम शुक्ल, डॉ. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. हेमराज मीणा, रवि श्रीवास्तव और 
ओमप्रकाश गोइन्का.

“भारत जैसे बहुभाषिक समाज में अनुवाद अनेक प्रकार से आवश्यक और उपादेय है. अनुवाद वास्तव में अलग अलग भाषाओं के बीच पुल बनाने के काम जैसा है. उसमें भी साहित्यिक अनुवाद इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि वह दो भाषा-समाजों को एक दूसरे की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के ताने-बाने से जोड़ता है.” ये विचार अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने गत दिनों यहाँ आयोजित कमला गोइन्का फाउंडेशन के साहित्यिक समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो.ऋषभदेव शर्मा की हिंदी काव्यकृति ‘प्रेम बना रहे’ के तेलुगु अनुवाद ‘प्रेमा इला सागिपोनि’ के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किए. प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने आगे कहा कि अनूदित काव्यकृति में कवि ने प्रेम की विभिन्न मनोदशाओं, सूक्ष्म अनुभूतियों और उदात्त परिणतियों का हृदयस्पर्शी चित्रण किया है. 

जी.परमेश्वर द्वारा अनूदित इस काव्यकृति का लोकार्पण ‘गीतादेवी गोइन्का अनुवाद पुरस्कार’ ग्रहीता प्रो.जे.एल.रेड्डी ने किया तथा पुस्तक की पहली प्रति डॉ.पूर्णिमा शर्मा ने स्वीकार की. 

आरंभ में विमोच्य पुस्तक का परिचय देते हुए ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि मनुष्य के समाजीकरण के लिए प्रेमभाव की सर्वोपरिता का प्रतिपादन करने वाली उनकी हिंदी काव्यकृति ‘प्रेम बना रहे’ गत वर्ष प्रकाशित हुई थी जिससे प्रभावित होकर वरिष्ठ तेलुगु अनुवादक और हिंदीसेवी जी.परमेश्वर ने आत्मप्रेरणा से उस संग्रह की सारी कविताओं का तेलुगु में अनुवाद करके यह कृति ‘प्रेमा इला सागिपोनि’ प्रकाशित की है. उन्होंने अनुवादक के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए पुष्प स्तवक देकर उनका सम्मान भी किया. 

अनुवादक जी.परमेश्वर ने बताया कि ‘प्रेम बना रहे’ की कविताएँ सहज और प्रभावपूर्ण हैं लेकिन इनमें निहित मिथकीय, पौराणिक, शास्त्रीय और साहित्यिक संदर्भ अपनी गहनता के कारण अनुवादक के लिए चुनौती पेश करते हैं. उन्होंने यह खुलासा भी किया कि मैंने लोकसांस्कृतिक संदर्भों के अलावा बहुतायत में लोक शब्दावली के बोलीगत प्रयोगों का अनुवाद समय-समय पर मूल रचनाकार से चर्चा के आधार पर किया है. 

इस अवसर पर श्यामसुंदर गोइन्का, ललिता गोइन्का, डॉ.राधेश्याम शुक्ल, प्रो.हेमराज मीणा, रवि श्रीवास्तव तथा ओमप्रकश गोइन्का भी मंच पर उपस्थित थे. सभागार में विद्यमान साहित्यकारों, पत्रकारों और हिंदीप्रेमियों ने कवि और अनुवादक को बधाई दी. 

अनुवादक जी.परमेश्वर को पुष्प स्तवक भेंट करते हुए प्रो.ऋषभदेव शर्मा. 



LOKARPAN : 'PREMAA ILAA SAAGIPONI'' :11/8/2013 by Slidely - Slideshow maker

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में स्वतंत्रता पर्व संपन्न

हर कीमत पर आजादी की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हों – प्रो.दिलीप सिंह

हैदराबाद, 15 अगस्त 2013.


स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जिस राष्ट्रीय आजादी का हम आज स्वच्छंद उपभोग कर रहे हैं उसे इस देश ने लंबे संघर्ष और भीषण यातनाओं के बाद प्राप्त किया है. संघर्षों का यह इतिहास इस दृष्टि से अनोखा है कि एक ओर हमारे किशोर और युवा क्रांतिकारियों ने उपनिवेशी शासन को सशस्त्र चुनौती दी तथा दूसरी ओर सहनशीलता की चरमसीमा तक अहिंसक आंदोलन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस भावना को प्रमाणित कर दिखाया कि अत्याचारी व्यवस्था को भी अहिंसा की ताकत के सामने आखिरकार झुकना ही पडता है. इस संघर्ष की समस्त गाथा तमाम भारतीय भाषाओं के साहित्य में और लोक की स्मृतियों में सुरक्षित है. आवश्यकता है कि हमारी नई पीढ़ियाँ साहित्य में निहित इस राष्ट्रीय चेतना को आत्मसात करें और मिली हुई आजादी की हर कीमित पर रक्षा के लिए संकल्पबद्ध हों. 

ये उद्गार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कुलसचिव प्रो.दिलीप सिंह ने आंध्र सभा में मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण के पश्चात अपने संबोधन में प्रकट किए. इस समारोह में चवाकुल नरसिंह मूर्ति, शेख मोहम्मद कासिम, शेख जमीला बेगम विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए. 

67 वें स्वतंत्रता पर्व के तहत आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. इसके बाद ध्वज स्तंभ के समक्ष पूजा का सांस्कृतिक अनुष्ठान संपन्न हुआ और ध्वजारोहण के पश्चात अतिथियों ने अपने उद्बोधनात्मक विचार व्यक्त किए. छात्र-छात्राओं ने राष्ट्र चेतनापरक गीत प्रस्तुत किए. समारोह में सभा के विभिन्न विभागों के व्यवस्थापक, प्राध्यापक, कार्यकर्ता और छात्र उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुए. 

आरंभ में आंध्र सभा के सचिव सी.एस.होसगौडर ने मुख्य अतिथि का स्वागत-सत्कार किया. संयोजन प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने किया तथा धन्यवाद डॉ.के.बी.मुल्ला ने दिया.



स्वतंत्रता पर्व 2013 by Slidely - Slideshow maker

गुरुवार, 15 अगस्त 2013

[वीडियो] WHO IS RISHABHA ? ऋषभ देव शर्मा का परिचय -लक्ष्मी नारायण अग्रवाल



प्रसिद्ध कवि और समीक्षक प्रो. ऋषभदेव शर्मा को ११ अगस्त २०१३ को तेलुगु विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सभागार में संपन्न समारोह में 'कमला गोइन्का फाउंडेशन' द्वारा 'भाभीश्री रमा देवी हिंदी साहित्य सम्मान' से सम्मानित किया गया | इस अवसर पर प्रो. शर्मा जी की काव्य-कृति 'प्रेम बना रहे' के तेलुगु प्रथम अनुवाद 'प्रेमा इला सागिपोनि' [अनुवादक : जी. परमेश्वर] का विमोचन भी हुआ | इसके पूर्व कविवर लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने सम्मानित साहित्यकार [ऋषभ देव शर्मा] का परिचय दिया. उस परिचय-वक्तव्य को ही यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है.

अगस्त ११, २०१३
पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय नामपल्ली, हैदराबाद

बुधवार, 14 अगस्त 2013

गोइन्का पुरस्कार व सम्मान समारोह हैदराबाद में संपन्न



बाएँ से - डॉ. राधेश्याम शुक्ल, श्यामसुंदर गोइन्का, डॉ. ऋषभदेव शर्मा, डॉ. जे.एल.रेड्डी, रवि श्रीवास्तव, डॉ. एम वेंकटेश्वर, डॉ. हेमराज मीणा और ओमप्रकाश गोइन्का  



रमादेवी गोइन्का सम्मान : स्वीकार वक्तव्य : ऋषभ देव शर्मा



सोमवार, 12 अगस्त 2013

सम्मान और लोकार्पण : आभार

आज (रविवार, 11 अगस्त 2013) सायंकाल 5 बजे से पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय (हैदराबाद) के सभागार में आयोजित कमला गोइन्का फाउन्डेशन के पुरस्कार-सम्मान समारोह में ''भाभीश्री रमादेवी गोइन्का हिंदी साहित्य सम्मान - 2013'' को स्वीकार करना इसलिए बहुत सुखद लगा कि बहुत सारे मित्र, छात्र और शुभचिंतक इस अवसर पर शुभकामना, बधाई और आशीर्वाद देने पधारे.

 जो दूर चले गए हैं या दूर हैं, उनकी याद आती रही, पर आत्मीय एसएमएस और फोनकॉल आश्वस्तिकर रहे. 

इस आयोजन में मेरी पाँचवीं काव्यकृति "प्रेम बना रहे" के जी. परमेश्वर जी कृत अनुवाद "प्रेमा इला सागिपोनि" का लोकार्पण भी संपन्न हुआ. 

खास तौर से, आयोजक श्यामसुंदर गोइन्का जी, परिचयकर्ता कविवर लक्ष्मी नारायण अग्रवाल जी और अध्यक्षता कर रहे प्रो. एम. वेंकटेश्वर जी ने  जो अच्छी-अच्छी बातें कही, वे मुझ अकिंचन की सारस्वत निधि बन गईं! 

इस अहेतुक पेम के लिए आभारी हूँ!!!

-ऋषभ 

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

आमंत्रण : ''प्रेमा इला सागिपोनी'' का लोकार्पण 11 अगस्त 2013 को

महोदय/ महोदया,
सप्रेम नमन.

आशा है, सानंद होंगे.

वृत्तान्त यह है कि आगामी रविवार ११ अगस्त २०१३ को सायंकाल ५ बजे से पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय, नामपल्ली, हैदराबाद के सभागार में 'कमला गोइन्का फाउन्डेशन' द्वारा एक साहित्यिक समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह में आपकी शुभकामनाओं के फलस्वरूप मुझे भी ''रमादेवी गोइन्का हिंदी साहित्य सम्मान (आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ हिंदी सेवी व साहित्यकार को दिया जाने वाला सम्मान)'' प्रदान किया जाने वाला है. साथ ही, प्रतिष्ठित अनुवादक श्री जी. परमेश्वर द्वारा मेरी पांचवी काव्यकृति ''प्रेम बना रहे'' के ''प्रेमा इला सागिपोनी'' शीर्षक तेलुगु अनुवाद को लोकार्पित भी किया जाएगा.

इस अवसर पर आपकी उपस्थिति मुझे प्रेरित और प्रोत्साहित करेगी.

प्रेम बना रहे!

स्नेहाधीन
ऋषभ देव शर्मा