शुक्रवार, 29 मार्च 2013

चित्र : लोकार्पण : हैदराबाद का रंगकोश


'हैदराबाद का रंगकोश':लोकार्पण समारोह:बाएँ से - प्रो. ऋषभ देव शर्मा, प्रो. तेजस्वी कट्टीमनी , प्रो.वाई. वेंकट रमण राव, प्रो. भास्कर शेवालकर और श्री असलम फरशौरी
लोकार्पण समारोह का संचालन करते हुए डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा 
'हैदराबाद का रंगकोश' के लेखक को सम्मानित करते हुए समारोह अध्यक्ष एवं मौलाना आज़ाद नॅशनल उर्दू युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. मोहम्मद मियां 

रविवार, 24 मार्च 2013

डॉ.कविता वाचक्नवी को ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान’ प्रदत्त


लन्दन स्थित भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान प्राप्त करते हुए डॉ. कविता वाचक्नवी.
ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित अतिथिगण. 

डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त स्मृतिचिह्न और प्रशस्तिपत्र
 डॉ. कविता वाचक्नवी को  स्मृतिचिह्न भेंट करते हुए भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती. 

 “जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” प्राप्त करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा

डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त प्रशस्ति-पत्र

भारतीय उच्चायोग, लंदन में

 “यू.के.हिंदी सम्मान”

 समारोह संपन्न 

हैदराबाद, 24 मार्च 2013.

भारतीय जीवन मूल्यों के वैश्विक प्रचार-प्रसार की संस्था “विश्वम्भरा” की संस्थापक-महासचिव डॉ.कविता वाचक्नवी को विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा इण्डिया हाउस में 19 मार्च, 2013 आयोजित समारोह में “आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान” किया गया। इस अवसर पर भारत के उच्चायुक्त महामहिम डा. जे॰ भगवती ने उन्हें नकद राशि, स्मृति चिह्न, शॉल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। उन्हें यह सम्मान मुख्यतः इन्टरनेट व प्रिंट मीडिया द्वारा भाषा, साहित्य, संस्कृति व पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि  अमृतसर में जन्मी कविता वाचक्नवी ने अपनी उच्च शिक्षा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के हैदराबाद केंद्र में प्राप्त की है और समाज-भाषा-विज्ञान तथा काव्यसमीक्षा जैसे विषयों में एमफिल और पीएचडी अर्जित करने के बाद अब वे सपरिवार लन्दन में रह रही हैं. भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ कविता वाचक्नवी ने अपने दादाश्री व पिताश्री का विशेष उल्लेख किया व लाहौर से हिमाचल और पंजाब तक उनके किए कार्यों व बलिदानों को उपस्थितों के साथ बाँटते हुए बताया कि कैसे हिन्दी सत्याग्रह में जेल में रहने से लेकर हिमाचल को हिन्दीभाषी राज्य का दर्जा दिलाने तक के लिए उनके परिवार ने कष्ट सहे। वाचक्नवी ने अपना सम्मान उन्हीं को समर्पित करते हुए कहा कि वे यह सम्मान उनके प्रतिनिधि के रूप में ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने राजदूत व उच्चायोग से अनुरोध किया कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की वेबसाईट को द्विभाषी बनाया जाना चाहिए व उसे अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी में भी उपलब्ध होना चाहिए।

विज्ञप्ति के अनुसार इस समारोह में दो अन्य विशिष्ट हिंदी सेवियों तथा एक हिंदी संस्था को भी सम्मान प्रदान किए गए. “जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” से यॉर्क विश्वविद्यालय के विख्यात भाषाविद प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा को तथा “डा॰ हरिवंश राय बच्चन यू.के.हिन्दी साहित्य सम्मान” से बर्मिंघम के हिंदी लेखक डॉ॰ कृष्ण कुमार को सम्मानित किया गया जबकि नाटिङ्घम की संस्था “काव्य रंग” को “फ़्रेडरिक पिंकोट यू.के.हिन्दी प्रचार सम्मान” प्रदान किया गया.

इस अवसर पर सम्मानितों को बधाई देते हुए सभा को संबोधित कर अपना वक्तव्य हिन्दी में देते हुए उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती ने कहा कि वे स्वयं असमिया भाषी होते हुए दिल्ली में रहने के कारण हिन्दी में व्यवहार करते रहे हैं व उनकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रही है। उन्होने ज़ोर देकर कहा कि निजी रूप से वे त्रिभाषा नीति को भारत के लिए श्रेयस्कर समझते हैं। विश्व पटल पर भारत से बाहर के लोगों के लिए अंग्रेजी, समस्त भारतीय कारकलापों के लिए हिन्दी व अपनी मातृभाषा अथवा एक प्रांतीय भाषा प्रत्येक भारतीय को अवश्य सीखनी पढ़नी चाहिए।

“जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” स्वीकार करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा ने अपने वक्तव्य में यॉर्क विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम हिन्दी अध्यापन प्रारम्भ होने सम्बन्धी अपने संस्मरण सुनाए और यूके में हिन्दी अध्यापन से जुड़ी स्थितियों का उल्लेख करते हुए 35 वर्ष के अध्यापन का उल्लेख किया। इसी प्रकार "डॉ. हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार ने भारत में संस्कृत, हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भावपूर्ण अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर आने वाले दिनों में भारत को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

समारोह् में “डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी प्रकाशन अनुदान योजना” के अंतर्गत श्रीमती उषा वर्मा को उनकी पुस्तक 'सिम कार्ड तथा अन्य कहानियाँ’ और डा॰ कृष्ण कन्हैया को उनके काव्य संग्रह 'किताब जिंदगी की’ के प्रकाशन हेतु नकद राशि और मानपत्र दिया गया।

इंडिया हाउस में हुए इस पुरस्कार समारोह में उप उच्चायुक्त डॉ. वीरेंद्र पाल और उच्चायोग में मंत्री (समन्वय) एसएस सिद्धू भी उपस्थित थे। सिद्धू जी ने अपना स्वागत वक्तव्य हिन्दी में दिया व धन्यवाद वक्तव्य भी डॉ वीरेंद्र पॉल द्वारा हिन्दी में ही दिया गया। कार्यक्रम का संचालन उच्चायोग के हिन्दी व संस्कृति अताशे श्री बिनोद कुमार ने सफलतापूर्वक किया। ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में समारोह में उपस्थित थे ।

गुरुवार, 21 मार्च 2013

स्लाइड शो : पोस्टर प्रदर्शनी : भवानी-विष्णु

पोस्टर प्रदर्शनी का स्लाइड-शो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें -

चित्रावली : पोस्टर प्रदर्शनी


 भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह 





राधाकृष्ण मिरियाला ने अपने ब्लॉग http://radhakrishnamiriyala.blogspot.in/  पर लिखा है...


 09-10 मार्च 2013 के दिन मेरे जीवन के अत्यंत स्मरणीय दो दिन हैं। इन दिनों में बहुत कुछ जानने-सीखने को मिला। अवसर था हमारे उच्च शिक्षा और शोध संस्थान ( दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ) में 'भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर जन्म शताब्दी समारोह का।




इस अवसर पर दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई जिसमें अनेक विद्वानों को देखने और सुनने का सोव्भाग्य मिला। साथ ही पिछली संगोष्ठियों की तरह इस बार भी पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसे छात्रों और शोधार्थियों के साथ-साथ आचार्यों और विद्वानों ने भी मुक्त कंठ से सराहा।







प्रस्तुत है पोस्टर प्रदर्शनी का स्लाइड शो :

https://plus.google.com/photos/104648120459341691318/albums/5857476132594988689?authkey=CN-0r7G77pSOgAE

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह संपन्न



 हैदराबाद, 14  मार्च 2013 [राधाकृष्ण मिरियाला].



उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,हैदराबाद द्वारा  सभा  के परिसर में  09-10 मार्च 2013  (शनिवार-रविवार ) दो दिन  " भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दीसमारोह"  का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक प्रसिद्ध साहित्यकारों ने  पधारकर भवानी प्रसाद मिश्र  एवं विष्णु प्रभाकर से सम्बंधित अनेक विषयों को प्रस्तुत किया जिसकी  संस्थान के अलावा अन्य विश्वविद्यालयों से आए हुए छात्रों-शोधार्थियों-प्राध्यापकों और अन्य विद्वानों व हिन्दीप्रेमियों ने भरपूर सराहना की 

कार्यक्रम से संबंधित संपूर्ण जानकारी नीचे दिए गए संपर्क-सूत्रों  पर उपलब्ध  है - 

हिंदी मीडिया
http://hindimedia.in/2/index.php/patrika/charcha-sanghosti/3792-in-south-india-hindi-prachar-sabha-dvidivsiy-national-seminar.html 

http://hindimedia.in/2/index.php/patrika/charcha-sanghosti/3797-promotion-of-hindi-in-south-india-continues-to-spread-the-faith-pro-keshari-lal-verma.html 


मीडिया खबर
http://mediakhabar.com/media-news/media-khabar-exclusive/5314-hindi-in-south-india.html#.UT3WNw0LMkU.facebook 


अपनी माटी
http://www.apnimaati.com/2013/03/blog-post_11.html 


हैदराबाद से

रविवार, 10 मार्च 2013

दक्षिण भारत में हिंदी का प्रचार-प्रसार निष्ठापूर्वक जारी है - प्रो. केशरी लाल वर्मा

उच्च शिक्षा और शोध संस्थान में भवानी प्रसाद मिश्र और विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह संपन्न

हैदराबाद, 10 मार्च 2013

बेहतर समाज के निर्माण के लिए यह जरूरी है कि साहित्य के द्वारा उत्कृष्ट जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा की जाए और विघटनकारी प्रवृत्तियों को पराजित किया जाए। ऐसा करने के लिए आपसी सद्भाव की स्थापना में राष्ट्रभाषा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी भावना से दक्षिण भारत में गाँव गाँव तक दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा निष्ठापूर्वक हिन्दी का प्रचार - प्रसार करती आ रही है। सभा ने उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में जो श्रेष्ठ उपलब्धियां अर्जित की हैं, 'भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह' के तहत संपन्न द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ने उसमें एक नया अध्याय जोड़ दिया है, इस संगोष्ठी में प्रतीकात्मक रूप में पूरे देश की उपस्थिति इसकी सफलता का प्रमाण है।

ये विचार आज यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में आयोजित दो दिन के साहित्यिक समारोह के समापन के अवसर पर बोलते हुए केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली के निदेशक प्रो.केशरी लाल वर्मा ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि भवानी बाबू और विष्णु प्रभाकर हिंदी की अपार संप्रेषण शक्ति के प्रतीक ऐसे साहित्यकार हैं जिनमें साधारण भाषा में असाधारणता उत्पन्न करने की क्षमता है। प्रो केशरी लाल वर्मा ने इस अवसर निदेशालय की विभिन्न योजनाओं का परिचय देते हुए लेखकों और हिंदी सेवियों से सहयोग की अपील भी की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे वरिष्ठ भाषावैज्ञानिक प्रो. वी. रा. जगन्नाथन ने कहा कि भवानी प्रसाद मिश्र और विष्णु प्रभाकर दोनों ही बयान की सपाटता के साथ उसके चुटीलेपन को साधने वाले विलक्ष्ण साहित्यकार हैं जो हास्य और व्यंग्य का पुट देकर विडंबना का कचोटने वाला चित्रण करते हैं। उन्होंने समीक्षकों और इतिहासकारों द्वारा इनकी उपेक्षा को अक्षम्य मानते हुए इस संगोष्ठी के शोध पत्रों को प्रकाशित करने की भी जरूरत बताई।

समारोह के दौरान प्रो. दिलीप सिंह की सद्यःप्रकाशित कृति 'भाषा, संस्कृति और लोक' का लोकार्पण भी प्रो. केशरी लाल वर्मा और प्रो. वी. रा. जगन्नाथन के हाथों संपन्न हुआ। प्रो ऋषभ देव शर्मा ने पुस्तक का परिचय दिया और प्रो दिलीप सिंह ने पं. विद्यानिवास मिश्र स्मृति ग्रंथमाला के तहत इस कृति के प्रकाशन की पृष्ठभूमि बताते हुए इसे भाषाविज्ञान के व्यावहारिक स्वरूप की व्याख्या करने वाली कृति कहा।

आरंभ में आंध्र सभा की अध्यक्ष एम. सीतालक्ष्मी, सचिव सी. एस. होसगौडर तथा एम. जी. गुत्तल ने तिथियों को उत्तरीय और स्मृति चिह्न द्वारा सम्मानित किया। संयोजक प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने दो दिन की संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और प्रो. हीरालाल बाछोतिया तथा प्रो. गंगा प्रसाद विमल ने समाकलन करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस महत्तम संगोष्ठी में भागीदार विद्वानों ने अत्यंत गंभीरतापूर्वक उत्खनन करके दोनों शताब्दी-हस्ताक्षरों के साहित्य की अत्यंत विरल और गुह्य विशेषताओं का दर्शन कराया।

इसके पूर्व शताब्दी समारोह के दूसरे दिन की कार्यक्रमों के अंतर्गत आज भी तीन विचार सत्रों में विष्णु प्रभाकर के जीवन और प्रदेय, साहित्य के विविध आयाम और मूल्यांकन पर केंद्रित विद्वत्तापूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। विचार सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. एन. सुन्दरम, प्रो. एम. वेंकटेश्वर और प्रो. टी. मोहन सिंह ने की तथा प्रो. शुभदा वांजपे, प्रो. राम जन्म शर्मा, प्रो. राम शरण जोशी, प्रो. पी. राधिका, डॉ. पी. श्रीनिवास राव, डॉ. जी. नीरजा, डॉ. मंजुनाथ अम्बिग, डॉ. साहिरा बानू बी बोरगल, डॉ. बलविंदर कौर और डॉ. गोरखनाथ तिवारी ने विमर्श द्वारा संगोष्ठी को जीवंत बनाया।

विभिन्न विश्विद्यालयों और संस्थानों से पधारे विद्वानों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों, पत्रकारों और राजभाषा अधिकारियों ने संगोष्ठी और चर्चा-परिचर्चा में सक्रिय भागीदारी निभाई।

[कटिंग] दोदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटित


[कटिंग] भवानी मिश्र और विष्णु प्रभाकर की हर रचना में.....


शनिवार, 9 मार्च 2013

साहित्यकार जन्मशती समारोह

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटित 

हैदराबाद, 9 मार्च 2013.

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा संचालित उच्च शिक्षा और शोध संस्थान में आज यहाँ 'भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर जन्मशती समारोह' के तहत द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन सुप्रसिद्ध कला संग्राहक और समीक्षक पद्मश्री जगदीश मित्तल ने सरस्वती दीप प्रज्वलित करके किया. मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने दोनों साहित्यकारों से अपने निकट संबंधों का स्मरण किया और बताया कि उन्होंने ही भवानी प्रसाद मिश्र के पहले कविता संग्रह 'गीत फरोश' का आवरण चित्र बनाया था. 

बीज भाषणकर्ता प्रो.दिलीप सिंह ने कहा कि भवानी प्रसाद मिश्र और विष्णु प्रभाकर दोनों ही 'अपनी तरह से' लिखने वाले रचनाकार थे जिनकी रचनाओं में देश दुनिया की हर समस्या और चिंता झलकती है. उन्होंने कहा कि ये दोनों साहित्यकार संत परंपरा के रचनाकार हैं क्योंकि इन्हें कभी 'सीकरी' से कोई काम नहीं रहा. प्रो.सिंह ने भवानी भाई और विष्णु जी के साहित्य में निहित भारतीयता, मानवीय संवेदना और पारदर्शिता की चर्चा करते हुए उन्हें अपनी अपनी विधा के गांधी, शब्द बंधु, अन्लेबल्ड लेखक और पोर पोर साहित्यकार के रूप में प्रतिपादित किया. 

उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार प्रो.गंगा प्रसाद विमल ने अपने संबोधन में कहा कि इन दो गांधीवादी साहित्यकारों की जन्मशती का यह आयोजन वस्तुतः ऐतिहासिक पर्व है क्योंकि इस बहाने आज की पीढी भारतीय लोक के अकूत अनुभव में रचे पगे साहित्य की मामूली आदमी तक पहुँचने की जद्दोजहद से परिचित हो सकेगी. 

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से पधारे प्रसिद्ध समाजविज्ञानी प्रो.राम शरण जोशी ने अपने विशिष्ट वक्तव्य में दोनों स्मरणीय साहित्यकारों को गांधी जीवन दृष्टि के प्रतीक कहा और याद दिलाया कि वे अपने लेखन और निजी जीवन दोनों में तनिक भी रूढ़िवादी और यथास्थितिवादी नहीं थे. इसीलिए उनका साहित्य प्रगति, भारतीय मूल्य और समग्र मानवता का साहित्य है. 

केंद्रीय हिंदी निदेशालय के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा ने भवानी प्रसाद मिश्र को गीत का अलबेला हस्ताक्षर और विष्णु प्रभाकर को साहित्य का गांधी कहा तो आंध्र सभा की अध्यक्ष श्रीमती एम.सीतालक्ष्मी ने समसामयिक जीवन और साहित्य में उपस्थित मूल्यों के संकट की चर्चा करते हुए यह आशा जताई कि आज की दिग्भ्रमित दुनिया को गांधी चिंतन और भारतीयता से अनुप्राणित साहित्यकार ही सही मार्ग दिखा सकते हैं. 

आरंभ में कुमारी स्वप्ना कल्याणकर ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की तथा सभा के सचिव सी.एस.होसगौडर ने अतिथि साहित्यकारों का हार्दिक स्वागत किया. इस अवसर पर एक पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका उदघाटन प्रो.राम शरण जोशी ने किया. प्रदर्शनी में दोनों साहित्यकारों की रचानाओं के उद्धरण योग्य अंशों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए हैं. 

उद्घाटन सत्र में ही प्रो.दिलीप सिंह ने वरिष्ठ कवयित्री विनीता शर्मा के ताजा कविता संग्रह 'स्वान्तः सुखाय' को लोकार्पित भी किया. 

समारोह के पहले दिन तीन स्वतंत्र विचार सत्रों में भवानी प्रसाद मिश्र के जीवन और प्रदेय, साहित्यिक विविध आयाम तथा मूल्यांकन पर केंद्रित चर्चा-परिचर्चा संपन्न हुई. इन सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः टी.वी.कट्टीमनी, डॉ.आर एस शुक्ला और प्रो. राम जन्म शर्मा ने की.चर्चा-परिचर्चा में प्रो.हीरालाल बाछोतिया, डॉ.साहिरा बानू बी. बोरागल, प्रो.अमर ज्योति, डॉ.प्रदीप कुमार सिंह, डॉ.मृत्युंजय सिंह, डॉ.बलविंदर कौर, प्रो.एम.वेंकटेश्वर, डॉ.गोरखनाथ तिवारी, डॉ.गुर्रमकोंडा नीरजा, डॉ.ऋषभ देव शर्मा, शशिनारायण स्वाधीन और डॉ. पी. श्रीनिवास राव ने विचारोत्तेजक आलेख और वक्तव्य प्रस्तुत किए. 

शताब्दी समारोह में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अतिरिक्त विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से जुड़े विद्वानों, पत्रकारों, शोधार्थियों, राजभाषा अधिकारियों और छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में उत्साहपूर्वक भागीदारी निभाई. 

संगोष्ठी संयोजक प्रो.ऋषभ देव शर्मा ने जानकारी दी हैं कि समारोह के दुसरे दिन रविवार 10 मार्च को प्रातः 9.30 बजे से विष्णु प्रभाकर पर केंद्रित विचार सत्र आयोजित किए जाएँगे तथा सायंकाल समाकलन सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक प्रो.केशरी लाल वर्मा करेंगे. इस अवसर पर प्रसिद्ध भाषाविद प्रो.वी.रा.जगन्नाथन मुख्य अतिथि होंगे. समाकलन सत्र में प्रो.दिलीप सिंह की सद्यः प्रकाशित कृति 'भाषा,लोक और संस्कृति' का लोकार्पण भी किया जाएगा. 

रविवार, 3 मार्च 2013

भवानी प्रसाद मिश्र और विष्णु प्रभाकर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 9-10 मार्च को


हैदराबाद, 3 मार्च 2013. 

उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के तत्वावधान में आगामी 9 और 10 मार्च [शनिवार और रविवार] को सभा के खैरताबाद स्थित परिसर में प्रातः 9-30 बजे से ‘’भवानी प्रसाद मिश्र एवं विष्णु प्रभाकर शताब्दी समारोह’’ आयोजित किया जा रहा है. समारोह के अंतर्गत ‘’द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी’’ के अतिरिक्त दोनों साहित्यकारों के संबंध में पोस्टर-प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. 

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. गंगाप्रसाद विमल अध्यक्षता करेंगे. कला, साहित्य और संस्कृति मर्मज्ञ पद्मश्री जगदीश मित्तल मुख्य अतिथि तथा प्रो. राम शरण जोशी [वर्धा], डॉ.प्रदीप कुमार शर्मा [चेन्नई] और श्रीमती एम. सीतालक्ष्मी [विशाखापट्टनम] विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करेंगे. प्रमुख भाषाचिंतक व समीक्षक प्रो. दिलीप सिंह बीज व्याख्यान देंगे. 

दो दिन के इस समारोह के विभिन्न सत्रों में शताब्दी-साहित्यकार भवानी प्रसाद मिश्र और विष्णु प्रभाकर के जीवन और प्रदेय के विविध आयामों का विवेचन और मूल्यांकन करते हुए आलेख प्रस्तुत किए जाएँगे. इन विचार-सत्रों को संबोधित करने वालों में प्रो. राम जन्म शर्मा, प्रो. हीरा लाल बाछोतिया, प्रो. एन. सुन्दरम, प्रो.अमर ज्योति, प्रो. पी. राधिका, डॉ.प्रदीप कुमार सिंह, डॉ. नजीम बेगम, डॉ. पेरिसेट्टी श्रीनिवास राव, डॉ. मंजुनाथ अम्बिग और डॉ. सविता धुडकेवार आदि बाहर से पधारे विद्वानों के अतिरिक्त डॉ. राधेश्याम शुक्ल, प्रो. टी. मोहन सिंह, प्रो. एम. वेंकटेश्वर, प्रो.शुभदा वांजपे , प्रो. टी. वी. कट्टीमनी, शशि नारायण स्वाधीन, डॉ. साहिरा बानू बोरगल, डॉ. गोरख नाथ तिवारी, डॉ. बलविंदर कौर, डॉ. जी. नीरजा, डॉ. मृत्युंजय सिंह् आदि स्थानीय विद्वान सम्मिलित हैं. 

समापन समारोह 10 मार्च [रविवार] को सायं साढ़े 3 बजे होगा जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो. केसरी लाल वर्मा करेंगे तथा सुप्रसिद्ध वरिष्ठ भाषावैज्ञानिक प्रो.वी. रा. जगन्नाथन मुख्य अतिथि का आसन ग्रहण करेंगे. 

कार्यक्रम के निर्देशक प्रो. दिलीप सिंह और संयोजक सी. एस होसगौडर व डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने सभी साहित्य प्रेमियों और हिंदी सेवियों से इस द्विदिवसीय समारोह में पधारने का अनुरोध किया है.

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

भारतीय उच्चायोग, लंदन का आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान डॉ.कविता वाचक्नवी को

हैदराबाद, 1 मार्च, 2013.

भारतीय जीवन मूल्यों के प्रसार की अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘विश्वंभरा’ की संस्थापक महासचिव डॉ.कविता वाचक्नवी को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग द्वारा विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर दिया जाने वाला ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी यू.के. हिंदी पत्रकारिता सम्मान’ प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है. यह पुरस्कार उन्हें इंटरनेट और वेब पत्रिकाओं के माध्यम से ब्रिटेन में हिंदी के उत्कृष्ट प्रचार-प्रसार के लिए प्रदान किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि डॉ.कविता वाचक्नवी विगत कई वर्षों से लंदन में रहकर हिंदी और भारतीय संस्कृति के इंटरनेट द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए अहर्निश सेवा कर रही हैं. उनके इस सेवा कार्य को देखते हुए भारतीय उच्चायोग ने उन्हें यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है. पुरस्कार 19 मार्च, 2013 को चार बजे ‘भारत भवन’ में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा. इस संदर्भ में देश-विदेश के साहित्य प्रेमियों और हिंदी सेवियों ने डॉ.कविता वाचक्नवी को बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं. 




डॉ.ऋषभ देव शर्मा 
संवीक्षक ‘विश्वंभरा’ 
पो.बा.नं. 13, 
खैरताबाद, हैदराबाद - 500004