मंगलवार, 19 जनवरी 2021

ऋषभदेव शर्मा की पुस्तक ‘साहित्य, संस्कृति और भाषा’ लोकार्पित


“साहित्य संस्कृति और भाषा” का लोकार्पण करते हुए प्रो. अबुल कलाम (निदेशक, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, मानू, हैदराबाद)। साथ में, बाएँ से : प्रो. ऋषभदेव शर्मा, डॉ. बी. एल मीना, डॉ. आफताब आलम बेग, डॉ. वाजदा इशरत, डॉ. मोहम्मद नेहाल अफ़रोज, डॉ. इबरार खान और डॉ. मोहम्मद अकमल खान। 000 

हैदराबाद, 19 जनवरी, 2021(मीडिया विज्ञप्ति)। 

आज यहाँ मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय स्थित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में डॉ. ऋषभदेव शर्मा की सद्यः प्रकाशित आलोचना कृति ‘साहित्य, संस्कृति और भाषा’ को लोकार्पित किया गया। पुस्तक का लोकार्पण करते हुए निदेशक प्रो. अबुल कलाम ने कहा कि “भाषा और साहित्य दोनों का मूल आधार संस्कृति होती है। इस पुस्तक में इन तीनों के भीतरी रिश्ते की बखूबी पड़ताल और व्याख्या की गई है।“ 

डॉ. आफताब आलम बेग ने विमोचित पुस्तक में राष्ट्रीयता और समकालीन विमर्शों की उपस्थिति पर चर्चा की। डॉ. मोहम्मद नेहाल अफ़रोज़ ने भारतीय और तुलनात्मक साहित्य की विवेचना के क्षेत्र में लेखक के दृष्टिकोण की व्याख्या की, तो डॉ. अकमल खान ने प्रवासी साहित्य संबंधी अंशों का परिचय दिया। डॉ. इबरार खान ने पुस्तक में दक्षिण भारत की पत्रकारिता और आंध्र प्रदेश के हिंदी रचनाकारों पर केंद्रित शोधपत्रों पर अपने विचार प्रकट किए। डॉ. बी. एल. मीना ने हिंदी की बदलती चुनौतियों के संबंध में लेखक की विचारधारा पर प्रकाश डाला तथा डॉ. वाजदा इशरत ने लेखक के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय दिया। अंत में डॉ. शर्मा ने सभी विद्वानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। 000 

शनिवार, 2 जनवरी 2021

श्रीलाल शुक्ल का साहित्य और उनका जीवन' पर राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न



हैदराबाद, 31 दिसंबर, 2021 (प्रेस विज्ञप्ति)।

श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति, हैदराबाद, तेलंगाना राज्य और लिटिल फ्लावर डिग्री कालेज, उप्पल, हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में “श्रीलाल शुक्ल का साहित्य और उनका जीवन विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। 


वेबिनार के अध्यक्ष, प्रो. गोपाल शर्मा, आचार्य, अंग्रेज़ी विभाग, अरबामिंच विश्वविद्यालय, इथियोपिया (पूर्वी अफ्रीका), ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि  श्रीलाल शुक्ल का व्यक्तित्व पहेली से कम नहीं।  व्यंग्य सत्य की खोज नहीं, झूठ की खोज है। आगे उन्होंने कहा कि  श्रीलाल शुक्ल विकृति की सृष्टि नहीं करते, बल्कि विकृति की खोज करके उस पर चोट करते हैं।


मुख्य अतिथि अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा (रजि.) कानपुर, के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पं. शिव सहाय मिश्रा ने अपने वक्तव्य में श्रीलाल शुक्ल के साहित्य का सटीक वर्णन किया। 'राग दरबारी'  का संक्षिप्त विवरण देते हुए, श्रीलाल शुक्ल जी को एक सफल व्यंग्यकार बताया तथा  श्रीलाल शुक्ल जी के अपने पुराने संस्मरण व्यवहार को साझा भी किया।


मुख्य वक्ता अमन कुमार त्यागी (संपादक: शोधादर्श), परिलेख प्रकाशन, नजीबाबाद,  उत्तर प्रदेश, ने श्रीलाल शुक्ल जी के साहित्य को विस्तार देते हुए उनके उपन्यासों का संक्षिप्त विवरण दिया साथ ही उन्होंने बताया कि “अभाव और तनाव, व्यक्ति को जोड़ भी देते हैं और तोड़ भी देते हैं।” श्रीलाल शुक्ल जी के अभावों ने उन्हें जोड़ा और कालजयी लेखक बना दिया।


साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल के पुत्र, लखनऊ, उत्तर प्रदेश निवासी, पंडित आशुतोष  शुक्ल ने सम्मानित अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए अपने पिता के गुणों की चर्चा कर उनकी यादों को साझा किया। उन्होंने  डॉ. सीमा मिश्र के हिंदीतर प्रांत में इस अद्भुत कार्य की प्रशंसा की कि वे विगत 14 वर्ष से निरंतर ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध उपन्यासकार पद्मभूषण  श्रीलाल शुक्ल  की जन्मोत्सव- संगोष्ठी के रूप में यह आयोजन करती आ रही हैं, जिसमें अपने जीवनकाल में स्वयं श्रीलाल शुक्ल फोन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे।

    

विशेष अतिथि आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व आईपीएस अधिकारी पं. श्रीराम तिवारी ने अपने वक्तव्य में बताया कि श्रीलाल शुक्ल का ध्येय था, अपने व्यंग्य साहित्य के माध्यम से बुराइयों का अंत कर अच्छाइयों को बढ़ावा देना। इस प्रकार उन्होंने समाज को एक सही दिशा व अच्छी दशा प्रदान करने का भी कार्य किया।


विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, हैदराबाद की संस्थापक अध्यक्ष, डॉ. अहिल्या मिश्रा ने कहा कि कान्यकुब्ज शिरोमणि डॉ. सीमा और पं. अशोक कुमार तिवारी ने निरंतर 14 वर्षों से विश्व के विद्वान अतिथियों  को कार्यक्रम में आमंत्रित कर एवं अलग-अलग विषयों पर साहित्यिक चर्चाएँ  करवा कर एक नया इतिहास रच डाला है और श्रीलाल शुक्ल जी को मानव से महामानव बना दिया है। उन्होंने आगे उत्तर भारतीय संघ के संस्थापक कर्मठ सदस्य एवं प्रथम महामंत्री पं. बाला प्रसाद जी तिवारी, को भी याद करते हुए उनके कई सामाजिक कार्यों  एवं  उनके सरल व्यवहार को अपने विचारों के माध्यम से साझा किया।


आत्मीय अतिथि अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा (रजि.) कानपुर, के राष्ट्रीय महामंत्री पं. महेश  मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि कान्यकुब्ज रत्न पं. श्रीलाल शुक्ल ने साहित्य के क्षेत्र में जो सेवाएँ  प्रदान कीं, उनकी साहित्यिक सेवाओं की प्रशंसा पूरा साहित्य जगत आज भी करता है।


वेबिनार के निदेशक प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने श्रीलाल शुक्ल के बाल साहित्य का विशेष उल्लेख करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी आस्था  तथा व्यंग्य को एक परिपूर्ण विधा बनाने में उनके योगदान पर चर्चा की। लेखक के साहित्य में जीवन के प्रक्षेपण के बारे में उन्होंने कहा कि सच्चा लेखक जो रचता है, उसमें जीता है। जो जीता है, भोगता है, झेलता है, वही रचता है। तब कहीं जाकर वह एक 'स्वस्थ साहित्य' समाज को सौंप पाता है। इसी विशेषता ने श्रीलाल शुक्ल को कालजयी रचनाकार बना दिया है। 

विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजिका डॉ. सीमा मिश्रा ने अपने समाजशास्त्रीय अध्ययन, शोध अनुभवों एवं व्यंग्य सम्राट पं. श्रीलाल शुक्ल जी से पारिवारिक आत्मीयता और समय-समय पर भेंटवार्ता, पत्राचार  एवं शोध संसाधनों में भरपूर सहयोग को अपनी  साहित्यिक चेतना में विशेष वृद्धि का हेतु बताया और आगे कहा कि समाज साहित्य को प्रभावित करता है तो, साहित्य भी समाज  को प्रभावित करता है, दिशा देता है। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीलाल शुक्ल एक साधारण व्यक्तित्व के असाधारण लेखक थे। वे सामाजिक बुराइयों/ कुरीतियों को समझते या यह कहिए उसको जीते और व्यंग्य के माध्यम से उसे दूर करने और करवाने में सदा प्रयासरत रहते थे।

आरंभ में मल्ला रेडडी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी साइंस, मेडचल, हैदराबाद महानगर के  बी.टेक. विद्यार्थी पं. आकाश तिवारी ने शंखनाद एवं मंगलाचरण किया। अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा (रजि.) कानपुर की राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ) डॉ. सीमा मिश्रा ने कार्यक्रम में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया।


राष्ट्रीय वेबिनार का सफल संचालन मिश्र धातु निगम (मिधानि),  हैदराबाद, राजभाषा विभाग के उप-प्रबंधक डॉ. बी. बालाजी ने कुशलतापूर्वक पूर्ण किया। संयोजिका डॉ. सीमा मिश्रा ने इस राष्ट्रीय वेबसंगोष्ठी में देश-विदेश के 193 रजिस्ट्रेशन माध्यम से जुड़े एवं अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा (रजि.) कानपुर एवं विशेष कर महिलाओं की सक्रिय भूमिका एवं राष्ट्रीय वेबसंगोष्ठी को  चरम सीमा तक ले जाने के लिए अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।

 

देश-विदेश के साहित्यकारों, विद्वानों, कलाकारों, शोधार्थियों तथा पत्रकारों की सक्रिय सहभागिता एवं वंदे मातरम के साथ करतल ध्वनि से कोरोना वैक्सीन के शुभ आगाज एवं नूतन वर्ष की शुभकामनाओं के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। ★

                                                                प्रस्तुति: डॉ. सीमा मिश्रा,