रविवार, 21 दिसंबर 2014

रमेशचंद्र शाह और राचपालेम चंद्रशेखर रेड्डी सहित 22 साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार


डॉ.रमेशचंद्र शाह 
डॉ.राचपालेम चंद्रशेखर रेड्डी 
देर आयद दुरुस्त आयद ! यह कहावत साहित्य अकादमी के इस वर्ष के पुरस्कारों की घोषणा पढ़ने सुनने पर अपने आप याद आ गई. संदर्भ था डॉ. रमेशचंद्र शाह को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा का. डॉ. रमेशचंद्र शाह का साहित्य लंबे समय से इस सम्मान का दावेदार और हकदार था. सूना तो यहाँ तक है कि इससे पहले उनकी औपन्यासिक कृतियाँ, कविता संग्रह और डायरी इस पुरस्कार के लिए छह बार शोर्ट लिस्ट हो चुकी हैं. अब सातवीं बार जाकर यह चिर प्रतीक्षित घोषणा सामने आई है. 

इसके साथ 2014 के साहित्य अकादमी पुरस्कार जिन कुल 22 साहित्यकारों को दिए जाने की घोषणा हुई है उनमें प्रमुख तेलुगु आलोचक राचपालेम चंद्रशेखर रेड्डी और लोकप्रिय उर्दू कवि मुन्नवर राणा के भी नाम शामिल हैं. 

अकादमी द्वारा जारी विज्ञप्ति को यहाँ साभार उद्धृत कर रहे हैं. 

सभी पुरस्कृत साहित्यकारों कि नववर्ष की पूर्व वेला में अनेकानेक बधाई!




गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

ऋषभ देव शर्मा को मिलेगा तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी का जीवनोपलब्धि सम्मान

ऋषभ देव शर्मा को मिलेगा जीवनोपलब्धि सम्मान

तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी, चेन्नै द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद परिसर में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत डॉ. ऋषभ देव शर्मा को हिंदी भाषा एवं साहित्य की उनकी सेवाओं के लिए जीवनोपलब्धि सम्मान (लाइफटाइम एचीवमेंट एवार्ड) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. 

यह सम्मान उन्हें विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी, 2015 को तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी के तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में दिया जाएगा. मृदुला सिन्हा (महामहिम राज्यपाल, गोवा) ने मुख्य अतिथि के रूप में आने की स्वीकृति दी है. विशेष अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. साकेत कुशवाहा होंगे. 

इस वर्ष का जीवनोपलब्धि सम्मान डॉ पि. के. बालसुब्रमण्यम (तमिल-हिंदी साहित्यकार, चेन्नै), डॉ. ऋषभ देव शर्मा (साहित्यकार-समालोचक, हैदराबाद) एवं वी. जी. भूमा (शास्त्रीय तमिल अनुवादक, चेन्नै) को प्रदान किया जाएगा। इन्हें 21000 रुपए की राशि, अभिनंदन पत्र, स्मृति चिह्न आदि से सम्मानित किया जाएगा। 

हार्दिक बधाई!

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

[संगोष्ठी] मध्यकालीन भारतीय साहित्य की मुक्तक रचनाएँ






हैदराबाद, 1 दिसंबर, 2014.
आज यहाँ सेंट पायस क्रास स्नातक एवं स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, नाचाराम और केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में ''मध्यकालीन भारतीय साहित्य की मुक्तक रचनाएँ'' विषयक दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में आरंभ हुई. संयोजक डॉ. राज्य लक्ष्मी ने सबका भावभीना स्वागत किया.

उद्घाटन समारोह ढाई बजे शुरू हुआ जिसमें डॉ. राधेश्याम शुक्ल और प्रो. शुभदा वांजपे ने अपने विचार रखे तथा डॉ. श्रीराम परिहार ने बीज वक्तव्य दिया. 

पहले विचार सत्र में डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने मध्यकालीन मुक्तक साहित्य की प्रेरणा के रूप में विशेष रूप से संस्कृत के कवि ''भर्तृहरि'' के शतकों पर चर्चा की. डॉ. अश्वत्थ नारायण ने ''बिहारी''  के मुक्तक काव्य की विवेचना की. अध्यक्षता करते  हुए प्रो. वाई. वेंकट रमण राव ने कहा कि भारतीय कविता के आकर ग्रंथों के अंतर्गत रामायण और महाभारत के आख्यानों की ही भाँति भर्तृहरि की शतकत्रयी को भी गिना जाना चाहिए क्योंकि नीति, शृंगार और वैराग्य विषयक उनकी उक्तियों ने शताब्दियों से रचनाकारों को प्रभावित किया है.

कल तीन विचार सत्र और होंगे तथा समापन सत्र पौने तीन बजे होगा.

प्रो. एम. वेंकटेश्वर जी ने प्रथम विचार सत्र के फोटो मुहैया कराए हैं जो धन्यवाद सहित यहाँ दर्शित हैं.