हैदराबाद, 9 अक्टूबर 2012.डॉ. पी. विजय लक्ष्मी पंडित 'विश्वपुत्रिका' तेलुगु की समकालीन कवयित्री हैं. डॉ. एम. रंगय्या द्वारा हिंदी में अनूदित उनके दो कविता संग्रहों का लोकार्पण 7 अक्टूबर 2012 को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में डॉ. राधे श्याम शुक्ल की अध्यक्षता में हुआ. 'विश्वपुत्रिका हूँ मैं...विश्वशांति मेरा लक्ष्य है' शीर्षक पुस्तक को नानीलु काव्यांदोलन के प्रवर्तक प्रो. एन. गोपि ने तथा 'धरती का विलाप' शीर्षक पुस्तक को तेवरी काव्यांदोलन के प्रवर्तक प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने लोकार्पित किया. विमोचित दोनों दीर्घ कविताओं पर डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा तथा प्रो. शकीला खानम ने समीक्षात्मक आलेख प्रस्तुत किए. संचालन डॉ. बी. बालाजी ने किया.
बधाई.
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