प्रो. सुमंगला मुम्मिगट्टी के बुलावे पर कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड, जाना हुआ. रास्ते भर मेरे खर्राटों ने पिछली सीट वाली एक भद्र महिला को इतना सताया कि वे पूरी रात मुझे अंग्रेजी में गरियाती रहीं और सो न सकीं. मैं आत्मग्लानि से भरा-भरा रहा - पर अवोमिन भी खा रखी थी वमन टालने को इसलिए चाहकर भी जाग नहीं पा रहा था. धारवाड पहुंचकर भी मन अपराधबोध से ग्रस्त रहा काफी देर. पर जब व्याख्यान-कक्ष में गया और पूरा भरा हाल श्रवणोत्सुक पाया तो भला लगा. खैर! यहाँ है पहले दिन का पहला व्याख्यान.... (शायद हमारे विद्यार्थियों के किसी काम का हो).....
16/17 मई 2013 को कर्नाटक विश्वविद्यालय [धारवाड] के हिंदी विभाग में विशेष व्याख्यानमाला केअंतर्गत 'संरचनावाद', 'उत्तर संरचनावाद', 'आधुनिकता' और 'उत्तर आधुनिकता' परडॉ. ऋषभ देव शर्मा (प्रोफ़ेसर और अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान,दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद) के 4 व्याख्यान हुए.प्रस्तुत है उनमें से पहला व्याख्यान - "संरचनावाद -1".
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें