22 मई 2013 को उच्च शिक्षा और शोध संस्थान (दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा) के हैदराबाद परिसर में वर्तमान सत्र के 24 एमफिल शोधार्थियों ने हिंदी भाषा और साहित्य के विविध पक्षों से संबंधित अद्यतन विषयों पर अपने लघुशोधप्रबंध प्रस्तुत किए.इस अवसर पर विशेषज्ञ विदुषी के रूप में पधारीं डॉ. शुभदा वांजपे [बीच में] के सान्निध्य में कतिपय शोधार्थियों का समूह चित्र.
साथ में विभागाध्यक्ष डॉ. ऋषभ देव शर्मा, प्राध्यापक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, आंध्र-सभा के सचिव सी.एस.होसगौडर और व्यवस्थापक वी.ज्योत्स्ना कुमारी.
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इस सुखद समाचार के लिए संस्थान को बधाई । यह शोधार्थियों और प़ोफेसरों की सक्रियता का परिचायक है ।
जवाब देंहटाएं@SP Sudhesh
हटाएंमान्यवर, प्रोत्साहित करती टिप्पणी के लिए आभारी हूँ.
आप जानते ही हैं कि हैदराबाद जैसे हिंदीतर क्षेत्र में शोध-निर्देशन का मतलब है खून-पसीना एक करना. अतः आपके ये शब्द हमारे प्राध्यापकों का मनोबल बढ़ाने वाले हैं.
बधाई २४ एम् फिल उपाधि धारकों........... २४ - २४ घंटे हिंदी पर मनन चिंतन के लिए सुदूर हिंदी क्षेत्र में............ और हाँ विद्वान् गुरु आप को मिले इस लिए पुनः बधाई
जवाब देंहटाएंसंस्थान के शोधार्थियों की और से प्रणाम स्वीकारें.
हटाएंश्रीमान ऋषभ सर जी , आप ने हैदराबाद को हिंदी क्षेत्र बना दिया है ऐसा महसूस किया जब ५ वर्ष पूर्व मैंने जैसे ही अपना कदम दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा , हैदराबाद में रखा था ..
जवाब देंहटाएंज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया, प्रभो!
हटाएंप्रेम बना रहे.