रविवार, 17 जुलाई 2022

"नई शिक्षा नीति 2020 और भारतीय भाषाएँ" विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

"नई शिक्षा नीति 2020 और भारतीय भाषाएँ" विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न


केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) एवं अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज के न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस महाविद्यालय, शेवगांव, अहमदनगर (महाराष्ट्र) के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और भारतीय भाषाएँ" विषय पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 15 तथा 16 जुलाई, 2022 को शेवगाँव स्थित महाविद्यालय के सभागार में किया गया।


इस संगोष्ठी को कुल 5 सत्रों में विभाजित किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्रमुख उद्घाटक के रूप में प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री (पूर्व कुलपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला) उपस्थित रहे। प्रो. अग्निहोत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था को बदलने का कार्य इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हो रहा है।


प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) की निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने अपने मंतव्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्व प्रतिपादित किया। बीज-भाषक के रूप में उपस्थितं प्रो. सदानंद भोसले (पुणे) ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए भारतीय भाषाओं की गौरवशाली परंपरा का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति के केंद्र में स्वराज्य की संकल्पना निहित है तथा इसका लक्ष्य छात्रों को विश्व मानव बनाना है।


एडवोकेट वसंतराव कापरे (सदस्य, गवर्निंग काउंसिल, अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज, अहमदनगर) उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे एवं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व पर अपने अभिभाषण के माध्यम से प्रकाश डाला। 


संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. पुरुषोत्तम कुंदे द्वारा लिखित पुस्तक "काल से होड़ लेते कवि शमशेर और ग्रेस" का विमोचन उपस्थित अतिथियों के कर कमलों से हुआ।


संगोष्ठी के प्रथम सत्र "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वरूप" में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रो. सुनील डहाले, (वैजपुर महाराष्ट्र) उपस्थित रहे तथा उन्होंने नई शिक्षा नीति का स्वरूप विस्तार से स्पष्ट किया। इस सत्र के अध्यक्ष के रूप में डॉ. सजीत शशि (वरकला, केरल) उपस्थित रहे। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र "भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर" में प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. मोहनन (कन्नूर, केरल) उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने भाषण के माध्यम से भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर विषय पर विशेष मार्गदर्शन किया।   तृतीय सत्र "जनसंचार माध्यम और भारतीय भाषाएँ" के प्रमुख वक्ता डॉ ज्योतिमय बाग (चितरंजन, पश्चिम बंगाल) ने अनुवाद, डॉक्यूमेंट्री एवं भारतीय भाषाएँ विषय पर मार्गदर्शन किया। सत्र के अध्यक्ष डॉ शैलेश कदम (वर्धा, महाराष्ट्र) ने जनसंचार माध्यम और भारतीय भाषाएँ विषय पर मार्गदर्शन किया। चतुर्थ सत्र "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय लोक भाषाएँ एवं बोलियाँ" के प्रमुख वक्ता डॉ. राकेश कुमार सिंह (दिल्ली) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय लोक भाषाएँ एवं बोलियाँ विषय पर विस्तृत मार्गदर्शन किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. कृष्ण कुमार कौशिक (दिल्ली) ने की। पंचम सत्र "नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाओं का भविष्य" के ‌प्रमुख वक्ता  डॉ. बालासाहेब सोनवने (पुणे, महाराष्ट्र) रहे तथा सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रो. जे. एस. मोरे (कोपरगांव, महाराष्ट्र) ने नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाओं का भविष्य विषय पर मार्गदर्शन किया।


संगोष्ठी के समापन सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ  गंगाधर वानोडे (क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए भारतीय भाषाओं का महत्व प्रतिपादित किया। उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान की सभी योजनाओं से रू-ब-रू कराया‌। 


विशिष्ट अतिथि प्रो. ऋषभदेव शर्मा (पूर्व आचार्य, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद) ने मानव मूल्यों के लिहाज से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विवेचना की। उन्होंने अपने मंतव्य में भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत करने के लिए नई शिक्षा नीति कितनी उपयुक्त है, इसे भी स्पष्ट किया। प्रो. शर्मा ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनेक सकारात्मक पहलुओं को उजागर करते हुए यह भी कहा कि इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी अध्यापकों की है। उन्होंने कहा कि भाषा विभिन्न व्यक्तियों और समुदायों के बीच प्रेम और सौहार्द को बढ़ाती है तथा हमारी कोशिश भी यही होनी चाहिए। 


समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. पुरुषोत्तम कुंदे ने की। संगोष्ठी का मंच संचालन सुश्री आशा वडणे ने किया।


संगोष्ठी के विभिन्न स्तरों में चर्चा-परिचर्चा में विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से पधारे अध्यापक, आलेख वाचक तथा शोधार्थी छात्र-छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई। 000


प्रेषक-

डॉ. गोकुल क्षीरसागर

हिंदी विभागाध्यक्ष

न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस महाविद्यालय, शेवगांव, अहमदनगर (महाराष्ट्र)




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