आज 7/7/2013 [रविवार] को 'साहित्य मंथन' के मंच से आशीष नैथानी सलिल के प्रथम कविता संग्रह 'तिश्नगी' को लोकार्पित करने का सुयोग इन पंक्तियों के लेखक के हाथों को मिला -इस पुस्तक की भूमिका भी अपुन ने ही लिखी है. अध्यक्षता डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने की; समीक्षा डॉ. बी. बालाजी ने. आशीर्वचन डॉ. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. अहिल्या मिश्र और दीपांकर जोशी ने दिए. सरस्वती वंदना ज्योति नारायण ने की. संचालन डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया - सहयोगी रहे राधाकृष्ण मिरियाला और जी. संगीता.
लंबे अरसे बाद आज अपने गुरुदयाल अग्रवाल जी आए तो स्वाभाविक था कि हम लोग 'क्षेत्रा' में जमे. शेरोशायरी चली. कविता जी, गोपाल शर्मा जी और स्वर्गीय चंद्रमौलेश्वर जी की कमी बेहद खली. खैर .... हम पीछे छूटे हुए लोग ठहरे! [ऋ.]
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