अन्वेषी
संपादक : ऋषभदेव शर्मा/ गुर्रमकोंडा नीरजा
परिलेख प्रकाशन, नजीबाबाद
ISBN : 978-93-84068-36-3
2016
पृष्ठ : 240
मूल्य : रु. 250/-
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प्रकाशक : परिलेख प्रकाशन, नजीबाबाद
वितरक : श्रीसाहिती प्रकशन, 303 मेधा टॉवर्स, राधाकृष्ण नगर, अत्तापुर रिंग रोड, हैदराबद - 500048
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इस शोधपत्र संकलन में सम्मिलित सामग्री
पहला खंड : हाशिया विमर्श :
- हिंदी कहानी में वृद्ध मनोविज्ञान : अकेलापन (शिवकुमार राजौरिया)
- 'मुर्दहिया' : दलित बस्ती की जिंदगी (सुभाषिणी टी)
- कात्यायनी के साहित्य में स्त्री प्रश्न (पोलवरपु जयलक्ष्मी)
- अनामिका के काव्य में स्त्री विमर्श (सुरैया परवीन)
- शिवप्रसाद सिंह की कहानियों में स्त्री पात्रों का भाषिक वैशिष्ट्य (सुस्मिता घोष)
- 'छिन्नमस्ता' में स्त्री चेतना (उषा यादव)
- साहित्य में नारी का अभिव्यक्ति पक्ष (सुबोध कुमार सिंह)
- हिंदी के आंचलिक उपन्यासों में स्त्री चेतना (अर्पणा दीप्ति)
दूसरा खंड : भाषा विमर्श :
- हिंदी-मराठी सर्वनाम : रूप संरचना एवं प्रकार्य (मिलिंद पाटिल)
- भाषाविज्ञान का समाजभाषिक स्वरूप (जोराम यालाम नाबाम)
- दक्खिनी भाषा का उद्भव और विकास (जी. प्रवीणा)
तीसरा खंड : कविता विमर्श :
- भक्ति काव्य में प्रेम और सौंदर्य (सिरिपुरपु तुलसी देवी)
- हिंदी सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों का वर्ण्य-विषय (इंद्रजीत सिंह)
- कविता, मार्क्सवाद और रामविलास शर्मा (नितिन पाटिल)
- अंधेरे के बिंब बनाती धूपधर्मी कविताओं का कवि - कुमार विकल (सुशील कुमार शैली)
- देवराज की राजनैतिक कविताएँ (अमन कुमार)
चौथा खंड : कहानी विमर्श :
- प्रेमचंद की कहानी 'सवा सेर गेहूँ' और किसान विमर्श (कोमल सिंह)
- मेहरुन्निसा परवेज की कहानियों में आंचलिकता (एन. ललिता)
- मेहरुन्निसा परवेज की कहानियों में समाज की आर्थिक संरचना और वर्गीय संबंध (अनुपमा तिवारी)
- रमेश पोखरियाल 'निशंक' की कहानियों में मानवाधिकार चेतना (संतोष विजय मुनेश्वर)
पाँचवा खंड : उपन्यास विमर्श :
- प्रेमचंद की वर्तमानता : 'रंगभूमि' और 'गोदान' (ऋषभदेव शर्मा)
- हिंदी उपन्यासों में व्यंग्य की परिपाटी (मोहम्मद माजीद मिया)
- इलाचंद्र जोशी के उपन्यासों का व्यक्तिवादी स्वरूप (समला देवी)
- मोहन राकेश कृत उपन्यास 'अंधेरे बंद कमरे' में पत्रकारिता विमर्श (विनोद चौरसिया)
- फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यासों में भाषण का पाठ (माधुरी तिवारी)
- मृदुला सिन्हा की स्त्री : संस्कृति की संरक्षक (आशा मिश्रा 'मुक्ता')
- हिंदी उपन्यास और सामाजिक यथार्थ (सुपर्णा मुखर्जी)
छठा खंड : मीडिया विमर्श :
- गुंजेश्वरी प्रसाद और उनकी पत्रकारिता (विराट व्यक्तित्व : एक मूल्याकंन) (अरविंद कुमार सिंह)
- हिंदी नवजागरण के विकास में बिहार की पत्रकारिता की भूमिका : रामवृक्ष बेनीपुरी के संदर्भ में (वर्षा कुमारी)
- तमिलनाडु में हिंदी पत्रकारिता का स्वरूप (सुनीता जाजोदिया)
सातवाँ खंड :विविधा :
- स्मृतिकालीन न्याय व्यवस्था (हर्षवर्धन सिंह)
- स्मृतिकालीन सामाजिक संगठन (हर्षवर्धन सिंह)
- वैदिक कालीन नीति और राजनीति (हर्षवर्धन सिंह)
- रामविलास शर्मा और कालजयी साहित्य परंपरा (आनंद कुमार यादव)
- भारतीय शिक्षा नीतियों में भाषा और संस्कृति (बनवारी लाल मीना, प्रभा कुमारी)
- प्रतिभा एवं विद्वत्ता का अनूठा संगम : जानकी वल्लभ शास्त्री (गहनीनाथ)
- आधुनिक तेलुगु साहित्य में रामकथा (गुर्रमकोंडा नीरजा)
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