बुधवार, 29 अगस्त 2012

विजयवाडा में तेलुगु-हिंदी-संस्कृत साहित्य पर त्रिदिवसीय संगोष्ठी संपन्न

यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद का भाषण


1 टिप्पणी:

  1. (१)राजनीतिज्ञों को दूर रखें। (२) केवल "शब्द रचना शास्त्र" पर भी ऐसी संगोष्ठी आयोजित हो। (३) संस्कृत का बेजोड शब्द रचना शास्त्र भी विश्व विद्यालयो में पढाया जाना चाहिए। संस्कृत समस्त भारत को जोड देगी।
    डॉ. मधुसूदन --University of Massachusetts, Dartmouth. MA, USA

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