हैदराबाद, १८ नवंबर.
कादम्बिनी क्लब के तत्वावधान में रविवार को दीपावली मिलन के साथ शशि कोठारी कृत काव्य संग्रह “जब नदिया बहना भूल गई” का लोकार्पण उल्लासमय वातावरण में संपन्न हुआ |
इस अवसर पर प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | प्रो.आलोक पांडे, निर्मल कुमार सिंघवी, विमलेश सिंघी, एम. प्रभु, शशि कोठारी एवं डॉ.अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया | शुभ्रा महंतो ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की |
शशि कोठारी कृत “जब नदिया बहना भूल गई” काव्यसंग्रह का परिचय देते हुए डॉ. रमा द्विवेदी ने कहा कि यह काव्यसंग्रह व्यक्तिगत-वैचारिक अनुभूतियों का समूह है | कविताएँ भक्तिभाव से पूर्ण एवं अध्यात्म से संबंधित हैं | शीर्षक आकर्षित करता है और यह कविता संग्रह का सार तत्व है |
तत्पश्चात प्रो.आलोक पांडे एवं अतिथियों के करकमलों से तालियों की गूँज में काव्यसंग्रह का लोकार्पण हुआ | प्रो.पांडे ने कहा कि सुन्दर भावों के साथ ये कविताएँ एक लम्बी प्रार्थना है | नए तरिके से सोचने पर पाठक को मजबूर करती है | भाषा सक्षम है, कवयित्री को साधुवाद |
प्रो.ऋषभदेव जी ने अध्यक्षीय बात में कहा कि कवयित्री के पास विशेष शब्दों की बुनावट है | शीर्षक काव्यात्मक है | प्रेम और शांति की कामना करने वाला व्यक्ति कविता लिखे य न लिखे कवि ज़रूर होता है | पूरे जगत के साथ अपनी अनुभूतियों को जोड़ने की बात शशि करती है | भाषा काव्योचित है, नि:संदेह वे आगे बढ़ सकती है | कविता और वार्ता में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता सूचना देती है, कविता भावना और विचार को भाषा में गूंथ कर सौन्दर्य की सृष्टि करती है |
कवयित्री शशि कोठारी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन और कविता दोनों में सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा मैंने खुश रहने और खुशियाँ फैलाने की सच्चाई को पहचाना है | क्लब की ओर से शशि जी का सम्मान हुआ तथा डॉ.रमा को भी पुष्पगुच्छ भेंट किया गया | प्रथम सत्र के समापन पर मीना मूथा ने आभार व्यक्त किया |
दितीय सत्र में प्रो. ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता, नरेंद्र राय तेजराज जैन, डॉ.अहिल्या मिश्र के सान्निध्य तथा लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में ''दीपावली स्नेह मिलन काव्य गोष्ठी'' आयोजित हुई | डॉ. सीता मिश्र, वेणुगोपाल भट्टड़, अजित गुप्ता, जुगल बंग जुगल, विनीता शर्मा, ए. कुरियन मोना, वी.वरलक्ष्मी, गौतम दीवाना, संपत देवी मुरारका, सुषमा वैद, सत्यनारायण काकडा, सरिता सुराना जैन, उमा सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, तनुजा व्यास, तन्मय-संजय, पनिया, स्नेहिता कोठारी, रायचंद राकेचा, सुमेर सिंग, बालाप्रसाद गोयल, दीपक वाल्मीकि, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, प्रो.सुरेश पूरी, बिशनलाल संघी, मुकुंददास डांगर, सीताराम, पुरुषोत्तम कड़ेल, भावना पुरोहित, हेमांगी ठाकर, आनंद सुराना और डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने काव्यपाठ किया| सरिता सुराणा के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |
प्रस्तुति - डॉ.अहिल्या मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें