हैदराबाद, 15 फरवरी, 2013.
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च शिक्षा और शोध संस्थान द्वारा संचालित साहित्य-संस्कृति मंच के तत्वावधान में वसंत पंचमी के अवसर पर निराला जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो.ऋषभ देव शर्मा ने निराला की संघर्षशीलता और महाप्राणता से प्रेरणा लेने की बात कही.
इस अवसर पर निराला की विभिन्न विधाओं की रचनाओं का वाचन एवं सस्वर पाठ किया गया. डॉ.गोरखनाथ तिवारी ने ‘राम की शक्ति पूजा’ का वाचन करते हुए कहा कि इस कविता में ओज गुण का समावेश इसे महाकाव्यत्व प्रदान करता है. डॉ.बलविंदर कौर ने ‘बाहरी स्वतंत्रता और स्त्री’ शीर्षक निराला का निबंध प्रस्तुत किया और कहा कि वे स्त्री विमर्श के भारतीय स्वरूप के स्वप्नद्रष्टाओं में एक थे.
निराला की हिंदी भाषा संबंधी चिंताओं की चर्चा करते हुए डॉ.मृत्युंजय सिंह ने हिंदी और साहित्य के बारे में गांधी जी से उनके विवाद विषयक संस्मरण का पाठ किया तथा कार्यक्रम की संयोजिका डॉ.साहिरा बानू बी. बोरगल ने निराला के व्यक्तित्व और कृतित्व का समग्र परिचय देते हुए उन्हें युगपुरुष की संज्ञा दी. राधाकृष्ण मिरियाला ने निराला की कविता ‘मैं अकेला’ का तेलुगु काव्यानुवाद प्रस्तुत किया.
समारोह में विशेष रूप से निराला की वसंत संबंधी कविताओं, राष्ट्रीयता संबंधी गीतों और आधुनिक विमर्शों की झलक देने वाली कविताओं का वाचन किया गया जिसमें दीप्ति रावत, अर्चना, टी.परवीन सुल्ताना, उमा दुर्गा देवी, माधुरी तिवारी, दीपशिखा पाठक, वर्षा कुमारी, एल.विजयलक्ष्मी, आलोकराज सक्सेना, रामप्रकाश शाह, सुमैया बेगम आदि छात्रों और शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. धन्यवाद जी. संगीता ने ज्ञापित किया.
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