रविवार, 13 जनवरी 2013

बीडीएल में विश्व हिंदी दिवस समारोह संपन्न


भानूर (मेदक), 13.01.2013.
बाएँ से - डॉ. बी.बालाजी, अजित गुप्ता, प्रो.ऋषभ देव शर्मा, नरेंद्र राय

भारत डायनामिक्स लिमिटेड, भानूर इकाई, मेदक में दिनांक 10.01.2013 को ‘विश्व हिंदी दिवस’ समारोह का आयोजन संपन्न हुआ। समारोह के विशेष आकर्षण के रूप में आयोजित कवि सम्मलेन की अध्यक्षता डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने की। प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने अपनी स्त्रीविमर्श एवं प्रेम विषयक कविताओं और तेवरियों से श्रोताओं का मन मोह लिया। नरेंद्र राय ने अपनी दख़िनी कविताओं से समां बांधा तो अजित गुप्ता ने अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं के द्वारा श्रोताओं की वाह-वाही लूटी।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम से किया गया। उद्घाटन करते हुए भानूर इकाई के महा प्रबंधक (उत्पादन) वी उदयभास्कर ने कहा कि हिंदी विश्व स्तर की भाषा बनने योग्य भाषा है। इसे विश्व भर में प्रसारित करने के लिए इसके प्रयोक्ताओं की संख्या बढ़नी जरुरी है। ‘कवि सम्मेलन’ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम हिंदी के प्रचार-प्रसार में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। बीडीएल के सभी कर्मचारियों से उन्होंने अपील की कि जिस तरह वे उद्यम के उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रबंधन का साथ देते हैं उसी तरह राजभाषा के कार्यान्वयन में भी अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि इकाई के कर्मचारी हिंदी सीखकर कार्यालय में अपना दैनिक कामकाज हिंदी में करें और हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहर्ष योगदान दें। 

बाएँ से - होमनिधि शर्मा, वरि.प्र. (राजभाषा), वी.उदय भास्कर, महा प्रबंधक (उत्पादन)ए वी के चारी, उ.म.प्र. (का. एवं प्रशा.)
इकाई के उप महाप्रबंधक (का. एवं प्रशा.) ए विजय कुमार चारी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है। भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग हिंदी जानता है। इकाई के अधिकतर कर्मचारी हिंदी बोलते और समझते हैं। लेकिन कार्यालय के काम-काज में हिंदी के प्रयोग से झिझकते हैं। इसीलिए प्रबंधन ऐसे अवसरों का लाभ उठाकर कार्यालय में हिंदी का महोल बनाने का प्रयास करता रहता है। उन्होंने आशा जतायी कि हिंदी एक दिन अपने उस स्थान को अवश्य प्राप्त करने में सफल होगी जिसकी वह हकदार है और हमारे कर्मचारी इस महत्तर कार्य में अवश्य अपनी भागीदारी निभाएँगे। 

वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) श्री होमनिधि शर्मा ने विश्व हिंदी दिवस के महत्व को बताते हुए भारतीय भाषाओं की वैज्ञानिकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतवासियों को चाहिए कि अपनी मातृभाषाओं का अधिक से अधिक प्रयोग करें और अपनी भाषाओं का प्रचार करें। भारत की भाषाएँ भारतीय संस्कृति की संवाहक हैं।

संचालन डॉ बी बालाजी, अवर प्रबंधक (राजभाषा) ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में कार्मिक एवं प्रशासन विभाग के प्रबंधक श्री बिप्लब सिन्हा, उप प्रबंधक श्री नागेश्वर राव, अवर प्रबंधक श्रीमती माया, श्रीमती मेरी, एसोएस श्रीमती पद्मा, ऑएस श्री रवि, सहायक श्री किरण कुमार, प्रभू, तुकया, शिक्षु लव कुमार और सुरेश का सक्रिय योगदान रहा।

 [प्रस्तुति- डॉ. बी. बालाजी]


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें