बुधवार, 25 मार्च 2015

मुक्तिबोध की कविता ‘अंधेरे में’ पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 28 मार्च (शनिवार) से





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रमेश पोखरियाल निशंक होंगे मुख्य अतिथि  

हैदराबाद, 24 मार्च (मीडिया विज्ञप्ति).

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा संचालित उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के खैरताबाद स्थित परिसर में कालजयी हिंदी साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध की दीर्घ कविता ‘अंधेरे में’ के प्रकाशन की अर्धशती के अवसर 28, 29 और 30 मार्च 2015 (शनि, रवि और सोमवार) को केंद्रीय हिंदी निदेशालय तथा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के आर्थिक सहयोग से त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. उल्लेखनीय है कि यह वर्ष संस्थान की स्थापना का भी स्वर्ण जयंती वर्ष है.
राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक तथा आंध्र सभा के सचिव सी. एस. होसगौडर ने बताया कि इस समारोह का उद्घाटन शनिवार को प्रातः 9.30 बजे मुख्य अतिथि के रूप में पधार रहे प्रख्यात साहित्यकार उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के हाथों संपन्न होगा. इस अवसर पर विख्यात कला समीक्षक पद्मश्री जगदीश मित्तल, गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. योगेंद्रनाथ शर्मा ‘अरुण’, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रो. देवराज, संस्थान की कुलसचिव प्रो. निर्मला एस. मौर्य, आंध्र सभा की अध्यक्ष एम. सीतालक्ष्मी, ‘भास्वर भारत’ के संपादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल, इफ्लू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एम. वेंकटेश्वर, हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वाई. वेंकट रमण राव, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय की प्रो. शकीला खानम और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के सहायक महाप्रबंधक डॉ. विष्णु भगवान शर्मा आदि विद्वान विशेष रूप से पधार रहे हैं.

इस अवसर पर ‘मुक्तिबोध : व्यक्ति और रचनाकार’ तथा ‘अंधेरे में : पुनर्पाठ’ विषयक विचार सत्रों में बीजेआर डिग्री कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम और बीडीएल के डॉ. बी. बालाजी के अतिरिक्त डॉ. साहिरा बानू बी. बोरगल, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, डॉ. बलविंदर कौर और डॉ. मृत्यंजय सिंह आलेख प्रस्तुत करेंगे.

उल्लेखनीय है कि ‘अंधेरे में’ कविता पहले-पहल नवंबर 1964 में हैदराबाद से प्रकाशित ‘कल्पना’ पत्रिका में छपी थी. इस घटना की अर्धशती के अवसर पर शनिवार को सायं 5.00 बजे चिरक इंटरनेशनल के बाल कलाकार ‘अंधेरे में’ की नाट्य-प्रस्तुति देंगे. विशेष रूप से इस आयोजन के लिए ‘अंधेरे में’ का 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है. ये अनुवाद सभी इस संगोष्ठी में लोकार्पित किए जाएँगे तथा रविवार को अनुवाद विमर्श संबंधी सत्र में इन पर केंद्रित परिसंवाद आयोजित है. इस निमित्त ‘अंधेरे में’ का अनुवाद तेलुगु में डॉ. भागवतुल हेमलता (विजयवाडा), कन्नड में डॉ. एस. टी. मेरवाडे और साहेब हुसैन जहागीरदार (बीजापुर), तमिल में डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा (हैदराबाद), मलयालम में डॉ. श्याम प्रसाद (एरणाकुलम), मराठी में मेघा आचार्य (वर्धा), राजस्थानी में डॉ. मंजु शर्मा (हैदराबाद), उर्दू में डॉ. सैयद मासूम रज़ा (मणुगुरू), बांग्ला में डॉ. देवराज (वर्धा), ओडिया और ब्रज भाषा में विजेंद्र प्रताप सिंह (हाथरस), मणिपुरी में डॉ. ई. विजयलक्ष्मी (इम्फाल) और त्रिपुरा की भाषा कॉकबरक में मिलन जमातिया (अगरतला) ने किया है.

समारोह के तीसरे दिन सोमवार को पंजीकृत प्रतिभागी शोधार्थियों द्वारा समांतर सत्रों में शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएँगे. इं समांतर सत्रों की अध्यक्षता तेलंगाना विश्वविद्यालय की डॉ. प्रवीणा और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के डॉ. करन सिंह ऊटवाल करेंगे.

संगोष्ठी निदेशक प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने सभी साहित्य प्रेमियों, हिंदी सेवियों, प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं और छात्रों से इस त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पधारने का अनुरोध किया है.

प्रेषक : डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा
प्राध्यापक
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
खैरताबाद, हैदराबाद – 500 004
मोबाइल – 9849986346
ईमेल – neerajagkonda@gmail.com


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