हैदराबाद.
हैदराबाद के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार और पुस्तक समीक्षक भगवानदास जोपट ने कई महीने असाध्य रोग से लड़ते हुए 29 अगस्त 2012 [बुधवार] को रात्रि 10:35 बजे अंततः पार्थिव जगत से विदा ले ली. भगवानदास जोपट का जन्म 15 अगस्त 1946 को शमशेरगंज, हैदराबाद में श्री जगन्नाथ जोपट के घर में हुआ था. हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में असिस्टैंट एकाउंटेंट रहे भगवानदास जोपट ने तत्कालीन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विजेंद्र नारायण सिंह की प्रेरणा से अध्ययन और स्वतंत्र लेखन आरंभ किया था. वे स्वाध्याय व्यसनी थे तथा गद्य और पद्य दोनों विधाओं में व्यंग्य रचने में माहिर. कुछ वर्ष पहले विभाग से अवकाश प्राप्त करने के बाद से जोपट जी हैदराबाद की साहित्यिक संगोष्ठियों की नियमित उपस्थिति बन् गए थे. एक संस्था के कार्यक्रम में कविता पढते तों दूसरी के आयोजन में गद्य सुनाकर तालियाँ बटोरते तथा तीसरी संस्था के मंच पर पुस्तक समीक्षा पढकर नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करते.
भगवानदास जोपट अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी अमिता शर्मा [56 वर्ष], दो पुत्र -संजीव कुमार जोपट [36], राजीव कुमार जोपट [33] - और एक बेटी स्वाति जोपट [35] का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
हँसमुख, मिलनसार और सौम्य व्यक्तित्व के धनी जोपट जी अपने अंतिम दिन तक लिख रहे थे. उनके यों असमय चले जाने से उनके परिवार के साथ साथ हैदराबाद के साहित्यिक जगत की भी अपूरणीय क्षति हुई है. उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को चिर शांति और शोकाकुल परिवार को उनका विछोह सहन करने की शक्ति प्रदान करे!
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