आज चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन का दूसरा दिन है. सुबह 10.30 बजे पहला सत्र शुरू हुआ. यह सत्र प्रमुख रूप से पुस्तक लोकार्पण के लिए समर्पित था. इस सत्र में कविता, कहानी, निबंध, आलोचना, नाटक आदि विधाओं की पुस्तकों का लोकार्पण हुआ. तजाकिस्तान से पधारे डॉ. हबीबुल्लो रजाबोव, जापान से पधारी डॉ. तोमोको किकुची, डॉ. केवल कृष्ण पाठक, डॉ. चंद्रमोहन, डॉ. ललिताम्बा, डॉ. राजवीर, डॉ. पी. के.बी., डॉ. कन्हैया त्रिपाठी तथा डॉ. तनूजा मजूमदार मंचासीन थे.
मंचासीन अतिथियों ने हिंदी साहित्य के बहुआयामी कोण (प्रो. निर्मला एस. मौर्य), हिंदी के ऐतिहासिक उपन्यासों में समकालीन सरोकार (डॉ. पी. नज़ीम बेगम), रामकुमार वर्मा का नाट्य रंग एवं प्रयोग (डॉ. बी. संतोषी कुमारी), ललित निबंध संग्रह (श्रीराम परिहार), शब्द आबद्ध (डॉ. वर्षा पुणवटकर), दलित कविता का यथार्थवादी परिदृश्य (डॉ. दोड्डा शेषुबाबू), हेमंत में पवन (डॉ. वत्सला किरण) तथा पनघट पनघट प्यास (डॉ. श्याम मनोहर सिल्होठिया) आदि पुस्काओं का लोकार्पण किया. रविता भाटिया के कविता संग्रह का लोकार्पण सायंकालीन सत्र में डॉ. गंगा प्रसाद विमल ने किया. ईश्वर करुण की पुस्तक छुप नहीं है ईश्वर को पहले दिन उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि ने लोकार्पित किया ही था.
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