मंगलवार, 24 अक्तूबर 2023

ऋषभदेव शर्मा का संक्षिप्त जीवनवृत्त Rishabha Deo Sharma_Biodata


डॉ. ऋषभदेव शर्मा 

(Dr. Rishabha Deo Sharma)


जन्म : 4 जुलाई, 1957।

ग्राम गंगधाड़ी, जिला मुजफ्फर नगर, उत्तर प्रदेश।  


शिक्षा : एमए (हिंदी), पीएचडी ( हिंदी : 1970 के पश्चात की हिंदी कविता का अनुशीलन)।  

कार्य:

1. खुफिया अधिकारी, इंटेलीजेंस ब्यूरो, भारत सरकार (1983-1990)। 

2. प्रोफेसर, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास (सेवानिवृत्त : 2015)। 

3. परामर्शी (हिंदी), दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद (2019-वर्तमान)। 


शोध निर्देशन: डीलिट-2; पीएचडी-34; एमफिल-106.


14 काव्य संग्रह:

तेवरी (1982), तरकश (1996), ताकि सनद रहे (2002), देहरी (स्त्रीपक्षीय कविताएँ, 2011), प्रेम बना रहे (2012), प्रेमा इला सागिपोनी (2013: तेलुगु अनुवादक- जी. परमेश्वर), प्रिये चारुशीले (2013: तेलुगु अनुवादक- डॉ. भागवतुल हेमलता), सूँ साँ माणस गंध (2013), धूप ने कविता लिखी है (2014), ऋषभदेव शर्मा का कविकर्म (2015, 2021: संपादक/समीक्षक- डॉ. विजेंद्र प्रताप सिंह), देहरी (2021: राजस्थानी अनुवादक- डॉ. मंजु शर्मा), IN OTHER WORDS (2021: अंग्रेज़ी अनुवादक/संपादक/समीक्षक- प्रो. गोपाल शर्मा), इक्यावन कविताएँ (2022), मलंग बानी (मुद्रणस्थ-2023)।


12 आलोचना ग्रंथ:

तेवरी चर्चा (1987), हिंदी कविता: आठवाँ-नवाँ दशक (1994), साहित्येतर हिंदी अनुवाद विमर्श (2000), कविता का समकाल (2011), तेलुगु साहित्य का हिंदी पाठ (2013), तेलुगु साहित्य का हिंदी अनुवाद : परंपरा और प्रदेय (2015), हिंदी भाषा के बढ़ते कदम (2015), कविता के पक्ष में (2016), कथाकारों की दुनिया (2017), साहित्य, संस्कृति और भाषा (2021), हिंदी कविता: अतीत से वर्तमान (2021), रामायण संदर्शन (2022)।


7 वैचारिक निबंध संग्रह:  

संपादकीयम् (2019), समकाल से मुठभेड़ (2019), सवाल और सरोकार (2020), इलेक्शन गाथा (ऑनलाइन: 2020)/ लोकतंत्र के घाट पर (ऑनलाइन; किंडल: 2020), कोरोना काल की डायरी (ऑनलाइन; किंडल: 2020), खींचो न कमानों को (ऑनलाइन; किंडल: 2022), और न खींचो रार (ऑनलाइन; किंडल: 2022)।


संपादन:

पदचिह्न बोलते हैं (1980), शिखर-शिखर (डॉ. जवाहर सिंह अभिनंदन ग्रंथ, 1994), कच्ची मिट्टी–2 (1994), माता कुसुमकुमारी हिंदीतरभाषी हिंदी साधक सम्मान : अतीत एवं संभावनाएँ (1996), अनुवाद का सामयिक परिप्रेक्ष्य (1999, 2009), भारतीय भाषा पत्रकारिता (2000), अनुवाद : नई पीठिका, नए संदर्भ (2003), हिंदी कृषक (काजाजी अभिनंदन ग्रंथ, 2005), पुष्पक–3 (2003), पुष्पक–4 (2004), स्त्री सशक्तीकरण के विविध आयाम (2004), प्रेमचंद की भाषाई चेतना (2006), भाषा की भीतरी परतें (भाषाचिंतक प्रो.दिलीप सिंह अभिनंदन ग्रंथ, 2012), मेरी आवाज (2013, सदस्य- संशोधक मंडल), उत्तरआधुनिकता: साहित्य और मीडिया (2015), संकल्पना (2015), वृद्धावस्था विमर्श (2016), अन्वेषी (2016), निरभै होइ निसंक कहि के प्रतीक (डॉ. प्रेमचंद्र जैन रचनावली, 2016), ‘अँधेरे में’ : पुनर्पाठ (2017), समकालीन सरोकार और साहित्य (2017), अस्तित्व (तेलंगाना की तेलुगु कहानियाँ, 2019), तत्वदर्शी निशंक (डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक’ के साहित्य पर एकाग्र ग्रंथ, 2021), साहित्य सृजन की समकालीनता (ईश्वर करुण अभिनंदन ग्रंथ, 2022)।


विशेष

★ 1981 में 'तेवरी काव्यांदोलन' का प्रवर्तन किया।


★अनंग प्रकाशन, दिल्ली ने 2022 में  ‘धूप के अक्षर’ शीर्षक से दो भागों में 700 पृष्ठ का 'प्रो. ऋषभदेव शर्मा अभिनंदन ग्रंथ' प्रकाशित किया (संपादक- डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा)।


★'शोधादर्श' पत्रिका ने नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) से फरवरी 2023 में 134 पृष्ठ का 'प्रो. ऋषभदेव शर्मा विशेषांक' प्रकाशित किया (संपादक- अमन कुमार त्यागी)।


सम्मान:

शब्दाक्षर, तेलंगाना द्वारा 'दिनकर सम्मान' (2023)। उपमा-कैलिफोर्निया द्वारा ‘विश्व राम संस्कृति सम्मान’ (2021)। भानु प्रतिष्ठान, नेपाल द्वारा ‘भानु साहित्य सम्मान’ (2020)। संपादक रत्न सम्मान (2020)। अंतरराष्ट्रीय हिंदी सेवी सम्मान (2018)। आचार्य चाणक्य सम्मान (2018)। विवेकी राय स्मृति साहित्य सम्मान (2018)। अंतरराष्ट्रीय साहित्य गौरव सम्मान (2017)।  वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक पुरस्कार-हैदराबाद (2015)। तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा ‘जीवनोपलब्धि सम्मान’ (2015)। सुगुणा साहित्य सम्मान-हैदराबाद (2015)। रमादेवी गोइन्का हिंदी साहित्य सम्मान (2013)। आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी द्वारा ‘हिंदीभाषी हिंदी लेखक पुरस्कार’ (2010)। रामेश्वर शुक्ल अंचल सम्मान-जबलपुर (2003)।


संपर्क : 208 ए, सिद्धार्थ अपार्टमेंट्स, गणेश नगर, रामंतापुर, हैदराबाद– 500013 (तेलंगाना)। 

मोबाइल : 8074742572.

ईमेल: rishabhadeosharma@yahoo.com 





सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

गांधी जयंती पर सादर नमन





गांधी जयंती के अवसर पर

1 बाल-कविता : महात्मा का स्मरण


भारत माता ने महानतम पुत्र अनेक जने हैं।

‘बापू’ पद के अधिकारी बस मोहनदास बने हैं।।



हम सब उनको आज महात्मा गांधी कहते हैं।

भारत के जन गण के मन में सचमुच रहते हैं।।



वे अपने जीवन में सबको प्रेम सिखाते थे।

सत्य, अहिंसा में निष्ठा का मार्ग दिखाते थे।।



सविनय सत्याग्रह से अत्याचारी रुक जाते थे।

देख हौसला बलिदानों का दुश्मन झुक जाते थे।।



नमक बनाकर निर्भयता का जन संदेश दिया था।

‘भारत छोडो’ का अंगेजों को निर्देश दिया था।।



स्वाभिमान की ऐसी घुट्टी जनता को पिलवा दी।

रक्तपात के बिना ब्रिटिश से आज़ादी दिलवा दी।।



अपनी भाषा, अपनी भूषा अपनाना सिखलाया।

है स्वराज्य का मार्ग स्वदेशी, चल कर दिखलाया।।



ईश्वर-अल्ला के अभेद को दुनिया को समझाया।

महिला और दलित लोगों को सब सम्मान दिलाया।।



जन्मदिवस दो अक्टूबर यों नई शक्ति भरता है।

ऐसे अपने राष्ट्रपिता को देश नमन करता है।। 000





12 दोहे : सत्य-अहिंसा प्यार

1.

दुनिया कब से लड़ रही,

भर प्राणों में क्रोध।

नया युद्ध तुमने लड़ा,

सविनय किया विरोध।।

2 .

दुनिया लडती क्रोध से,

करती अत्याचार।

भारत लड़ता सत्य ले,

बाँट बाँट कर प्यार।।

3 .

उनके हाथों में रहे,

सब खूनी हथियार।

पर तुमने त्यागे नहीं,

सत्य-अहिंसा-प्यार।।

4 .

अड़े सत्य पर तुम सदा,

दिया न्याय का साथ।।

सत्ता-बल के सामने,

नहीं झुकाया माथ।।

5 .

निर्भय होने का दिया,

तुमने ऐसा मंत्र।

जगा देश का आत्म-बल,

होकर रहा स्वतंत्र।।

6 .

मिले प्रेम के युद्ध में,

भले जीत या हार।

तुमने सिखलाया हमें,

शस्त्रहीन प्रतिकार।।

7.

सत्ता,प्रभुता,राजमद,

शोषण के पर्याय।

नमक बना तुमने दिया,

जन-संघर्ष उपाय।।

8 .

क्या न किया अंग्रेज़ ने,

क्या न गिराई गाज।

मगर न कुचली जा सकी,

जनता की आवाज़।।

9

सच्चा नायक तो वही,

कथनी-करनी एक।

वरना तो झूठे यहाँ,

नेता फिरें अनेक।।

10 .

दौड़ रहे पागल हुए,

महानगर की ओर।

गांधी की वाणी सुनो,

चलो गाँव की ओर।।

11 .

अगर कहीं कोई मरे,

ऋण से दबा किसान।

यह गांधी के देश में,

उचित नहीं, श्रीमान।।

12 .

दुनिया बनती जा रही,

मंडी औ' बाज़ार।

इसे बनाओ, मित्रवर,

प्रेमपूर्ण परिवार।। 000

ऋषभदेव शर्मा