शनिवार, 22 सितंबर 2018

"ईश्वर करुण अभिनंदन ग्रंथ" हेतु रचनाएँ आमंत्रित

ईश्वर करुण 
साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'साहित्य मंथन' के तत्वावधान में चेन्नै के सुप्रतिष्ठित साहित्यकार और हिंदीसेवी ईश्वर करुण (ईश्वर चंद्र झा) के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन की योजना निश्चित हुई है। इस ग्रंथ का संपादन प्रो. ऋषभ देव शर्मा और डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा संयुक्त रूप से करेंगे। संपादकों ने ईश्वर करुण और उनके साहित्य से परिचित लेखकों से अनुरोध किया है कि लगभग 1000 शब्दों में ईश्वर करुण से संबंधित अपना संस्मरण या समीक्षात्मक आलेख अभिनंदन ग्रंथ के लिए उपलब्ध कराएँ। ग्रंथ की प्रकृति के अनुसार आलेख - ईश्वर करुण : जैसा मैंने देखा (अंतरंग संस्मरण), कवि सम्मेलनों का लाड़ला रचनाकार ईश्वर करुण, ईश्वर करुण और उनके गीत, हिंदी ग़ज़ल को ईश्वर करुण की देन, पत्रकार और संपादक ईश्वर करुण, राजभाषा अधिकारी के रूप में ईश्वर करुण की उपलब्धियाँ, ईश्वर करुण की कहानियों में समकालीन समाज, नई कविता और ईश्वर करुण की रचनाधर्मिता, ईश्वर करुण के साहित्य में मैथिल लोक, ईश्वर करुण के साहित्य में चेन्नई की धड़कन, इलेक्ट्रानिक जनसंचार : ईश्वर करुण की उपलब्धियाँ, ईश्वर करुण के काव्य में लालित्य आदि विषयों पर केंद्रित हो सकते हैं। 

यह सामग्री rishabhadeosharma@yahoo.com , neerajagkonda@gmail.com, ishwar_karun@yahoo.co.in पते पर ईमेल द्वारा भेजी जा सकती है। 

रविवार, 2 सितंबर 2018

मारीशस में रामकथा पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियाँ और सम्मान समारोह संपन्न


मुंबई।(प्रेस विज्ञप्ति)। 2 सितंबर,2018।

भारत और मारीशस का संबंध दुनिया के किन्हीं अन्य दो देशों से बिलकुल अलग किस्म का है। मारीशस अपनी पहचान और इतिहास की जड़ें खोजने के लिए भारत की ओर देखता है। हिंदी भाषा और रामकथा के मजबूत धागों से इन दोनों देशों के रिश्ते बुने हुए हैं। मारीशस की नई पीढ़ी को अपने पुरखों की ज़मीन से जोड़े रखने के लिए हमें हिंदी और राम की आज भी ज़रूरत है। 


 ये विचार पिछले दिनों विश्व हिंदी सम्मेलन के संदर्भवश मारीशस गए साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई के प्रतिनिधिमंडल के सम्मान में महात्मा गांधी संस्थान, मारीशस के सुब्रह्मण्य भारती सभागार में वहाँ के हिंदी छात्रों के निमित्त आयोजित एक विशिष्ट परिसंवाद (एन इंटेरेक्टिव सेशन)का उदघाटन करते हुए महात्मा गांधी संस्थान की निदेशक डॉ. विद्योत्तमा कुंजल ने प्रकट किए। छात्रों को संबोधित करने वाले विद्वानों में मारीशस के प्रो. हेमराज सुंदर, प्रो. अलका धनपत और प्रो. प्रीति हरदयाल, रूस के डॉ. रामेश्वर सिंह और नादिया सिंह तथा भारत के प्रो. संतप्रसाद गौतम, प्रो. प्रदीप कुमार सिंह, प्रो. प्रदीप के. शर्मा और प्रो. हरिमोहन के नाम सम्मिलित है। 


दूसरे चरण में हिंदी प्रचारिणी सभा, मारीशस में “वैश्विक राम की कथायात्रा” पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ। अध्यक्षता करते हुए सभा के वर्तमान प्रधान डॉ. यंतु देव बुधु ने मारीशस में हिंदी के इतिहास और हिंदीसेवियों के संघर्ष पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में सभा के मंत्री धनराज शंभु और कोषाध्यक्ष टहल रामदीन ने संबोधित किया। विषयविशेषज्ञ के रूप में कुलपति प्रो. एसपी गौतम ने जिज्ञासाओं का समाधान किया। 



अवसर पर मारीशस, रूस और भारत के 50 हिंदी सेवियों को हिंदी प्रचारिणी सभा, मारीशस और साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई की ओर से “अंतरराष्ट्रीय हिंदीसेवी सम्मान” से अलंकृत किया गया तथा विभिन्न विधाओं की 12 पुस्तकें लोकार्पित की गईं। दोनों आयोजनों का संचालन प्रो. ऋषभदेव शर्मा और डॉ. सत्यनारायण ने किया। धन्यवाद प्रो. प्रदीप कुमार सिंह और डॉ. सतीश कनौजिया ने व्यक्त किया। 


प्रेषक- सतीश कनौजिया, 
प्रबंधक, साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, 
उल्हासनगर, मुंबई, भारत