रविवार, 14 अप्रैल 2013

'भास्वर भारत' नव संवत्सर समारोह का भव्य आयोजन

हैदराबाद, 14 अप्रैल 2013 
हैदराबाद से प्रकाशित भारतीय भाषा, संस्कृति एवं विचारों की प्रतिनिधि मासिक पत्रिका 'भास्वर भारत' द्वारा भारतीय नव संवत्सर विक्रमाब्द 2070 के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल नगर के बुद्धिजीवियों, उद्यमियों, समाजसेवियों तथा हिंदी प्रेमियों ने समाज का, विशेषकर युवाओं का, एक स्वर से आह्वान किया कि वे अपनी प्राचीन संस्कृति को पहचानें और उसके साथ जुड़कर देश और समाज के विकास में अपना सार्थक योगदान करें।

अपनी परंपराओं से जुड़ने-जोड़ने के उद्देश्य से ही 'भास्वर भारत' परिवार ने 13 अप्रैल शनिवार की शाम भारतीय नव संवत्सर समारोह का आयोजन किया जो नारायण गुड़ा स्थित पंडित नरेंद्र भवन के सभागार में शहर के ऐतिहासिक हिंदी महाविद्यालय के कार्यदर्शी लक्ष्मीनिवास शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मंच पर नगर के उद्यमी, समाजसेवी तथा हिंदी प्रेमी वर्ग के प्रतिनिधि स्वरूप परमानंद बंसल, राजेंद्र कुमार कीमती, रमेश अग्रवाल, मधुसूदन सोंथालिया, श्याम सुंदर मूंदडा और रमेश कुमार बंग उपस्थित थे। साथ ही सभाकक्ष में भी विविध सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा व्यावसायिक संगठनों के प्रतिनिधि साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, युवा प्रॉफेश्नल , वैज्ञानिक तथा हिंदी सेवी उपस्थित थे।

यह आयोजन एक पारिवारिक आयोजन था इसलिए सभी शामिल सदस्यगण अपने परिवार के साथ उपस्थित थे। उद्देश्य था नई पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराना तथा उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना।

समारोह का प्रारंभ अध्यक्ष तथा विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के उपरांत आयोजित संस्कृतिक कार्यक्रम से हुआ जिसका संयोजन प्रतिष्ठित समाज-संस्कृति-कर्मी रत्नकला मिश्र द्वारा किया गया। सुधा उदय गांगुली ने सरस्वती वंदना तथा गणेश स्तुति का सस्वर गायन किया। तबले पर महेश और हारमोनियम पर खयाल ने उनका साथ दिया ।

पत्रिका के संपादक डॉ राधे श्याम शुक्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का समाज विशेषकर युवा वर्ग आसमान छूने की ललक में जमीन छोड़ता जा रहा है; वह आसमान को न सिर्फ छुए बल्कि उसे अपनी मुट्ठी में कर ले इसके लिए जरूरी है कि उसके पाँव ज़मीन पर जमे रहें। उन्होंने युवा पीढ़ी से कहा कि वह अपनी परंपरा , अपनी थाती और अपनी विरासत पर न सिर्फ गर्व करे बल्कि गर्व के कारणों को भी अच्छी तरह समझे। हिन्दी नव संवत्सर समारोह का आयोजन इसी दिशा में किया गया 'भास्वर भारत' पत्रिका का एक छोटा प्रयास है। डॉ शुक्ल के इस वक्तव्य का सभागार मे उपस्थित युवाओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।


अपने अध्यक्षीय भाषण में लक्ष्मी निवास शर्मा ने पत्रिका के छह महीने पूरे होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि भारतीय भाषा, संस्कृति और विचारों के प्रसार का लक्ष्य लेकर शुरू की गई यह पत्रिका अपने लक्ष्य की ओर निरंतर प्रगतिशील है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि युवा वर्ग इस पत्रिका से निश्चय ही लाभान्वित होगा तथा अपनी संस्कृति और परंपराओं का गहरा ज्ञान उन्हें अबाध आगे बढने के लिए जरूरी ऊर्जा और प्रेरणा देने का काम करेगा। उन्होंने 'भास्वर भारत' पत्रिका के प्रचार पसार के लिए स्वैच्छिक रूप से राजस्थान तक जाने वाले लाल चंद सिंघल का सम्मान भी किया और कहा कि पत्रिका के लिए ऐसा प्रयास अनुकरणीय और प्रेरणास्पद है।

उस्मानिया विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज के पूर्व प्रिन्सिपल प्रो एम वेंकटेश्वर ने कहा कि हिंदी कभी खत्म होने वाली भाषा नहीं है। अपने समृद्ध स्रोत और विशिष्ट गुणों के कारण यह सतत प्रवहमान रहेगी। प्रसिद्ध उद्यमी और हिंदी प्रेमी रमेश अग्रवाल ने पत्रिका की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की और कहा कि युवाओं को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ने का प्रयास स्तुत्य है और यही इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। महेश बैंक के चेयरमैन रमेश कुमार बंग, प्रसिद्ध उद्यमी मधुसूदन सोंथालिया, समाजसेवी एवं उद्योगपति राजेंद्र कीमती,शिक्षाविद श्याम सुंदर मूंदड़ा एवं पूर्व राजभाषा अधिकारी नरहर देव ने पत्रिका के प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए इसके दीर्घ जीवन की कामना की। हैदराबाद के प्रसिद्ध व्यवसायी परमानंद बंसल ने पत्रिका के अब तक के सभी छह अंकों की समीक्षा की और कहा कि जिन उद्देश्यों को लेकर यह पत्रिका चली है उसमे अब तक यह शत प्रतिशत सफल रही है। भारतीय नववर्ष समारोह में युवाओं की भारी उपस्थिति को इस सफलता का मापदंड बताते हुए उन्होंने पत्रिका की वैविध्यपूर्ण सामग्री को भी इसका श्रेय दिया।

बी डी एल के वरिष्ठ राजभाषा प्रबंधक होमनिधि शर्मा ने पत्रिका के उद्देश्यों को समय की आवश्यकता बताया और संतोष व्यक्त किया की पत्रिका इस आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम सिद्ध हो रही है। कार्यक्रम में बिहार असोशिएशन के ए के सिंह, जैन सेवा संघ के विनय यादव और ब्रह्मर्षि सेवा समाज के अध्यक्ष रामगोपाल चौधरी भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अध्यक्ष प्रो ऋषभ देव शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में पत्रिका के संपादक डॉ शुक्ल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पत्रिका युवाओं को उनकी परंपरा से जुड़े रह कर नित नई ऊँचाइयाँ छूने की प्रेरणा देने के अपने प्रयास में सफल सिद्ध हो रही है।

प्रस्तुति- डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, सहायक संपादक - 'भास्वर भारत', हैदराबाद 

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

"भारतीय साहित्य की प्रवृत्तियाँ" : प्रश्न डॉ. ऋषभ के, उत्तर डॉ. देवराज के

1 अप्रैल 2013, हैदराबाद.
प्रो. देवराज (अधिष्ठाता, अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) और प्रो. ऋषभ देव शर्मा (हैदराबाद) की फोन वार्ता : प्रश्न डॉ. ऋषभ के, उत्तर डॉ. देवराज के. 
विषय : "भारतीय साहित्य की प्रवृत्तियाँ"