बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

ऑडियो : 'भास्वर भारत' पर प्रो. ऋषभ देव शर्मा



भारतीय अस्मिता और भास्वर भारत' पर प्रो.ऋषभ देव शर्मा का व्याख्यान 
स्थान : आंध्रप्रदेश हिंदी अकादमी 
दिनांक : 21 अक्टूबर 2012. 

'BHASWAR BHARAT' IS A MONTHLY MAGAZINE FROM HYDERABAD LAUNCHED ON 21/10/2012. 
IN ITS CONTEXT A P HINDI ACADEMY ORGANISED A LECTURE BY PROF. RISHABHA DEO SHARMA 
ON 'BHARATEEYA ASMITA AUR BHASWAR BHARAT' 
ON 26/10/2012.

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

'भारतीय अस्मिता और भास्वर भारत' पर व्याख्यान संपन्न


चित्र परिचय : आंध्रप्रदेश हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के अंतर्गत
'भारतीय अस्मिता और भास्वर भारत' पर बोलते हुए प्रो.ऋषभ देव शर्मा. 
साथ में डॉ.जी.नीरजा, डॉ.राधेश्याम शुक्ल एवं डॉ.एम.वेंकटेश्वर.

हैदराबाद 26 अक्टूबर 2012. (प्रेस विज्ञप्ति).

आंध्रप्रदेश हिंदी अकादमी के तत्वावधान में आयोजित मासिक व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘भारतीय अस्मिता और भास्वर भारत’ विषय पर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के विभागाध्यक्ष प्रो. ऋषभ देव शर्मा का व्याख्यान संपन्न हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता हैदराबाद से सद्यःप्रकाशित मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के संपादक डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने की. अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.एम.वेंकटेश्वर विशेष अतिथि के रूप में मंचासीन हुए. संचालन मासिक पत्रिका ‘स्रवंति’ की सहसंपादक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया.


मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए प्रो.ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि भारतीय अस्मिता भौगोलिक या राजनैतिक तत्वों की अपेक्षा हमारे सांस्कृतिक जुड़ावों के समुच्चय से आकार प्राप्त करती है जिसमें मनुष्य, प्रकृति, धर्म, मूल्य, आत्म, समाज और विश्व से हमारे संबंधों की मौलिक दृष्टि शामिल है. उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टि का यह वैशिष्ट्य है कि वह पश्चिम की भाँति प्रकृति से उपभोग और दोहन का संबंध नहीं रखती बल्कि उसे चिति स्वरूप मानती है और सबके अभ्युदय और कल्याण की कामना से संचालित होती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय अस्मिता का मूल स्वभाव सबके विकास और आनंद में अभिव्यक्त होता है और संगम संस्कृति तथा लोक संवेदना के रूप में प्रतिफलित. ‘भास्वर भारत’ को भारतीय अस्मिता के लिए समर्पित पत्रिका बताते हुए डॉ. शर्मा ने ध्यान दिलाया कि यह पत्रिका आज की दुनिया के लिए उपादेय भारतीय चिंतन को दुनिया के सामने लाने तथा दुनिया के आधुनिक श्रेष्ठ विचारों से भारतीय समाज को अवगत कराने के उद्देश्य से भाषा, संस्कृति और विचार को अपने केंद्रीय विषय के रूप में प्रतिष्ठित करने वाली पर्याप्त महत्वाकांक्षी पत्रिका है.

विशिष्ट अतिथि प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने ‘भास्वर भारत’ के लक्ष्य और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बलपूर्वक यह कहा कि खांटी राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना इस पत्रिका का प्रमुख प्रयोजन है तथा इसके प्रवेशांक में सम्मिलित ज्वलंत आवरणकथा से लेकर हिंदी भाषा, लिपि, हेमचंद्र राय, ब्रजगोपियों के महारास, अरुणाचल के तीर्थ और अमेरिकी विज्ञानकथा ‘अमरों का द्वीप’ तक सारी सामग्री अत्यंत विचारपूर्ण, स्तरीय एवं संग्रहणीय बन पड़ी है.

परिचर्चा के दौरान डॉ. देवेंद्र शर्मा ने भारत की प्रगतिशील वैज्ञानिक चेतना को प्रमुखता प्रदान करने की सराहना की तो डॉ. विनीता सिन्हा ने कविता को भी सम्मिलित करने की माँग उठाई. लालचंद सिंघल ने जनजागरण के लिए पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौती की बात की तो भवंरलाल उपाध्याय ने याद दिलाया कि शिखरों की चर्चा में नींव के पत्थरों को कदापि न भुलाया जाए और हर अत्याचार और शोषण के संदर्भ में पत्रिका गरीब आम जन की पक्षधर बनकर उभरे. दयानिधि ने पत्रिका की वैचारिकता को उच्च कोटि के चिंतन से युक्त मानते हुए कहा कि हमें भारतीय समाज की जड़ रूढ़ियों से टकराना होगा तो जी. परमेश्वर ने भाषा, संस्कृति और विचारों को समर्पित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के प्रकाशन को साहसिक कदम बताते हुए कहा कि यह पत्रिका नई चेतना के जागरण के लिए चिंगारी का काम करेगी.  

व्याख्यानमाला की अध्यक्षता करते हुए डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि इस पत्रिका में मनुष्य जाति के उत्कर्ष से सबंधित सभी विषयों का समावेश रहेगा तथा इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा कि भारतीय चिंतन की वैज्ञानिकता और प्रगतिशीलता को आधुनिक विश्व के समक्ष उजागर किया जा सके. डॉ. शुक्ल ने उदात्त नागरिक चेतना, सात्विक चिंतन, बदलाव की स्वीकृति, विचारों की सार्वभौमिकता और खुलेपन को ‘भास्वर भारत’ की नीति के रूप में रेखांकित करते हुए यथाशीघ्र इसके अंतर्गत युवा मंच और महिला मंच गठित करने की योजना की भी जानकारी दी.

आरंभ में प्रो. बी. सत्यनारायण और इंद्राणी ने आंध्रप्रदेश हिंदी अकादमी की ओर से अतिथियों का सत्कार किया. एन.एप्पल नायुडु के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह का समापन हुआ.

[प्रस्तुति – डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा]

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

''भास्वर भारत'' का प्रवेशांक : मुखपृष्ठ और विषयसूची

अभी २१ अक्टूबर २०१२ को हैदराबाद से प्रकाशित नई मासिक पत्रिका

 इस अंक के मुखपृष्ठ और विषयसूची  को यहाँ सहेजा जा रहा है. 

बड़े आकार में देखने-पढ़ने के लिए कृपया चित्र पर क्लिक करें.




सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

पवित्रा अग्रवाल का बालकथा संग्रह लोकार्पित

 14 अक्टूबर 2012 को प्रेस क्लब [हैदराबाद] में  पवित्रा अग्रवाल के
बाल-कथा संग्रह 'फूलों से प्यार' का लोकार्पण किया गया.
यह शुभ कार्य आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के  महासचिव
डॉ. शिव शंकर अवस्थी के हाथों संपन्न हुआ.
अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान
 की प्रोफ़ेसर डॉ. शकुंतला रेड्डी [एकदम बाएँ] ने की. 
लेखिका ने यह पुस्तक अपने जीवनसाथी कविवर 
लक्ष्मी नारायण अग्रवाल [एकदम दाएँ] 
को समर्पित की है.

*********

इस क्षण के सहभागी मित्रों का एक स्मरणीय समूह चित्र नीचे सहेजा जा रहा है.


द्रष्टव्य

मासिक 'भास्वर भारत' का प्रवेशांक रमेश चंद्र शाह के हाथों लोकार्पित



हैदराबाद, 21 अक्टूबर, 2012 [प्रेस विज्ञप्ति / भास्वर भारत]. 

‘’ आधुनिक हिंदी के इतिहास को देखने से यह स्पष्ट होता है कि इसके विकास में साहित्यकारों और पत्रकारों की विस्मयकारी जुगलबंदी का बड़ा योगदान रहा है. जब-जब कोई संकट उपस्थित हुआ तब-तब इन दोनों ने समाज को नया प्रकाश दिया है. आज भी हम एक ऐसे संकट काल से गुजर रहे हैं जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में मानवीय मूल्यों का चरम अधःपतन हो चुका है. साहित्य और पत्रकारिता को आज फिर प्रकाश पुंज की भूमिका निभानी होगी.’’ 

ये विचार विख्यात साहित्यकार पद्मश्री रमेशचंद्र शाह ने आज यहाँ हिंदी महाविद्यालय के सभागार में आयोजित भारतीय भाषा, संस्कृति एवं विचारों की अंतरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के प्रवेशांक का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए. 
रमेशचंद्र शाह ने आगे कहा कि भास्वर भारत से यह अपेक्षा है कि वह पत्रकारिता के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करे और वर्तमान घोर यथार्थवाद से टकराते हुए व्यावहारिक आदर्शों की स्थापना करे. उन्होंने हिंदी के सर्जक पत्रकारों की परंपरा का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि हिंदी आम जन की तथा भारतीय अस्मिता की भाषा है और सदा सत्ता के संरक्षण के बिना अपनी लोकशक्ति के आधार पर सुदृढ़ हुई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि हर प्रकार के अलोकतांत्रिक व्यवहार के विरुद्ध ‘सात्विक कठोरता’ ही हिंदी की पूंजी है तथा ‘भास्वर भारत’ के प्रवेशांक में यह सात्विक कठोरता पाठक को आश्वस्त करने के लिए पर्याप्त है. 

डॉ.राधेश्याम शुक्ल द्वारा संपादित मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के लोकार्पण के अवसर पर हिंदी, तेलुगु और उर्दू के साहित्यकारों और पत्रकारों ने शुभाशंसाएं प्रकट कीं.

वरिष्ठ तेलुगु कवि प्रो.एन गोपि ने पत्रिका की विशिष्ट भाषादृष्टि से सहमति जताते हुए कहा कि कोई भाषा बड़ी और छोटी नहीं है बल्कि सभी भारतीय भाषाएँ हमारी संस्कृति की विशेषताओं को प्रकट करती हैं इसलिए भारत की भाषा को एक सामूहिक नाम ‘भारती’ देना उचित होगा. 
रामगोपाल गोयनका, रमेश अग्रवाल, डॉ जे पी वैद्य, डॉ रामकुमार तिवारी, मधुसूदन सोंथालिया, अमृत कुमार जैन, परसराम डालमिया, रमेश कुमार बंग, डॉ बी सत्यनारायण, सुरेद्र लूणिया, डॉ. अहिल्या मिश्र, डॉ. जगदीश प्रसाद डिमरी एवं अन्य अनेक महानुभावों ने इस अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए ‘भास्वर भारत’ के सतत सहयोग का आश्वासन दिया. 
समारोह की अध्यक्षता विख्यात कला समीक्षक पद्मश्री जगदीश मितल ने की. उन्होंने अपने उद्बोधन में याद दिलाया कि हैदराबाद को ‘कल्पना’ पत्रिका के लिए जाना जाता रहा है जो अपने समय की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिका थी. उन्होंने आगे कहा कि ‘कल्पना’ ने जिस प्रकार साहित्य का नेतृत्व किया था उसी भांति ‘भास्वर भारत’ भी भारतीय भाषाओं, संस्कृति और विचारों के आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करेगी. 
संपादक डॉ राधेश्याम शुक्ल ने स्पष्ट किया कि ‘भास्वर भारत’ अपनी तरह की हिंदी की पहली अंतरराष्ट्रीय पत्रिका है जिसका लक्ष्य प्राचीन भारत की विस्मृत हो चुकी वैज्ञानिक विचारधारा और देश-दुनिया की आधुनिक प्रगति के बीच सेतु निर्माण करने का है. 
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और शुभ्रा महंतो के ‘वंदे मातरम’ गायन से हुआ. अतिथियों का परिचय प्रो.एम वेंकटेश्वर ने कराया. इस अवसर पर पत्रिका-परिवार की ओर से साहित्य, संस्कृति और भाषा के क्षेत्र में कार्यरत हैदराबाद के विशिष्ट नागरिकों का सम्मान भी किया गया. 

कार्यक्रम के संयोजन में रत्नकला मिश्र, निर्मला सिंघल, डॉ जी नीरजा, अंशुल शुक्ल, रितेश सिंह और विकास कुमार ने सक्रिय सहयोग दिया. संचालन प्रसन्न भंडारी  ने  किया.

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

वरिष्‍ठ अधिकारियों में हिंदी के कामकाज के प्रति रुचि बढ़ी!




टॉलिक (उपक्रम) की 36वीं अर्द्धवार्षिक बैठक एवं वार्षिक समारोह संपन्‍न
      दि. 17 अक्‍तूबर को नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति (उ) की 36वीं अर्द्ध वार्षिक बैठक एवं वार्षिक समारोह मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि) के सौजन्‍य से होटल स्‍वागत ग्रैंड (नागोल) में संपन्‍न हुआ.
      कार्यक्रम की अध्‍यक्षता बीडीएल के सी एम डी एवं इस समिति के अध्‍यक्ष श्री एस एन मंथा ने की. अजय कुमार श्रीवास्‍तव, उप निदेशक (कार्यान्‍वयन), दक्षिण क्षेत्र, बेंगलूरु समारोह में राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि के रूप में उपस्‍थित रहे. बैठक में नगरद्वय के उपक्रमों के प्रधान, हिंदी अधिकारी / प्रभारी सहित हिंदी शिक्षण योजना के प्रतिनिधि व टॉलिक अंतर उपक्रम प्रतियोगिताओं के पुरस्‍कार विजेताओं ने भाग लिया.
      बैठक के आरंभ में मिधानि के अपर महाप्रबंधक श्री आर एन रॉय ने सभी का स्‍वागत करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों से टॉलिक की गतिविधियों से कई स्‍थानीय कार्यालयों के वरिष्‍ठ अधिकारियों में हिंदी के कामकाज के प्रति रुचि बढ़ी है जिससे अन्‍य साथी भी प्रेरित हुए हैं. उन्‍होंने समिति के कामकाज के आधार पर कहा कि यह समिति निश्‍चित ही अपने उद्देश्‍य प्राप्‍त करने में सफल होगी. टॉलिक सचिव श्री होमनिधि शर्मा ने जून से अक्‍तूबर माह तक संपन्‍न गतिविधियों का विवरण प्रस्‍तुत किया और शहर के उपक्रमों से राजभाषा प्रयोग के संबंध में प्राप्‍त होने वाली तिमाही प्रगति रिपोर्टों के आधार पर मदवार कंप्‍यूटर प्रस्‍तुति दी. अध्‍यक्षीय संबोधन में श्री एस एन मंथा ने बैठक के आयोजन के लिए मिधानी के सीएमडी श्री एम नारायण राव का आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि टॉलिक, हिन्‍दी के कामकाज में आने वाली कठिनाइयों को आपस में मिलकर दूर करने और एक-दूसरे के अच्‍छे कामकाज को आपस में बॉंटने का मंच है. उन्‍होंने सभी से टॉलिक की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिन्‍दी संबंधी कामकाज को आगे बढ़ाने का आह्वान किया. उन्‍होंने यह भी कहा कि यदि वरिष्‍ठ अधिकारी नियमित तौर पर ध्‍यान दें तो हिंदी का कामकाज तेजी से आगे बढ़ सकता है. हम सभी बातचीत में हिन्‍दी इस्‍तेमाल करते हैं पर फाइलों पर भी हिंदी नियमित रूप से लिखी जाए तो हमारे अन्‍य साथियों को इससे बहुत प्रेरणा मिलेगी. संबोधन के अंत में उन्‍होंने राजभाषा शील्‍ड/ट्रॉफी/कप विजेता प्रतिष्‍ठानों तथा अंतर-उपक्रम प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई दी.
बैठक में राजभाषा कार्यान्‍वयन संबंधी विभिन्‍न मदों की समीक्षा करते हुए श्री अजय कुमार श्रीवास्‍तव, उप निदेशक (कार्यान्‍वयन), दक्षिण क्षेत्र, बेंगलूर ने कहा कि हैदराबाद टॉलिक प्रभावशाली ढंग से काम कर रही है और यहॉं के कार्यालयों में अन्‍य क्षेत्रों की तुलना में कार्यान्‍वयन कार्य गंभीरतापूर्वक किया जा रहा है. उन्‍होंने सभी कार्यालय प्रधानों से राजभाषा नीति के अंतर्गत अनिवार्य मदों का सख्‍ती से सुनिश्‍चयन बनाये रखने की अपील की.
इस अवसर पर सेवा मेडल सम्‍मानित मेजर जनरल संजीव लुंबा, प्रभारी सी एम डी, ईसीआईएल ने कहा कि टॉलिक के मंच से सभी संगठन आपस में जुड़ जाते हैं और इस मंच से एक दूसरे के कामकाज को जानने का अवसर मिलता है. उन्‍होंने कहा कि इस मंच से कई मुख्‍य धारा के काम भी आपसी सहयोग बन जाने से सुकर बन जाते हैं. इस तरह हिन्‍दी के मंच मुख्‍य धारा के लक्ष्‍य प्राप्‍त करने में भी मदद करते हैं. अत: सभी को हिन्‍दी से जुड़े रहना चाहिए. डॉ दिनेश कुमार लेखी, निदेशक (उत्‍पादन), मिधानी ने भी टॉलिक की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए हिन्‍दी में मुख्‍य धारा के विषयों पर संगोष्‍ठी-सेमिनार आयोजित किये जाने पर बल दिया. साथ ही, उन्‍होंने कहा कि टॉलिक की गृह-पत्रिका पथिक का ई-प्रकाशन भी होना चाहिए जिससे पत्रिका अधिक पाठकों तक पहुँच पायेगी. इसी तरह इंटरनेट पर टॉलिक की गतिविधयॉं दिये जाने का भी उन्‍होंने सुझाव दिया. बी एच ई एल के अधिशासी निदेशक श्री वांछू ने कहा कि अंग्रेजी से हिन्‍दी में काम करने ऑन लाइन अनुवाद की सुविधा होने से दैनिक कामकाज में हिन्‍दी का प्रयोग कर्मचारी शौ़क से करने लगेंगे. उन्‍होंने टॉलिक की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए समिति अध्‍यक्ष को आयोजन की बधाई दी. एन एम डी सी के महाप्रबंधक श्री यादव ने दैनिक प्रयोग में आने वाली विभिन्‍न संगठनों की तकनीकी शब्‍दावली के आपस में आदान-प्रदान किये जाने की बात कही जिससे कामकाज में हिन्‍दी शब्‍दावली का प्रयोग अधिक सुलभ हो पायेगा.
बैठक के दौरान बीएचईएल-रामचंद्रपुरम, एच ए एल, ई सी आई एल, बीएसएनएल-आं.प्र. परिमंडल, एन एम डी सी लिमिटेड, एल आई सी, पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एन टी पी सी, एअर इंडिया-सीटीई को उत्‍कृष्‍ट राजभाषा कार्यान्‍वयन के लिए क्रमश: बड़े, मध्‍यम और लघु उपक्रमों की श्रेणी में राजभाषा शील्‍ड, ट्रॉफी और कप से सम्‍मानित किया गया. इन पुरस्‍कारों के साथ-साथ टॉलिक द्वारा आयोजित हिन्‍दी एवं अन्‍य भाषी वर्ग में आयोजित अंतर उपक्रम प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्‍मानित किया गया.
     कार्यक्रम के सफल आयोजन में टॉलिक सचिव श्री होमनिधि शर्मा सहित मिधानी की ओर से अपर महाप्रबंधक श्री आर एन रॉय, श्री रत्‍नेश भट्ट, श्रीमती विजय लक्ष्‍मी तथा बी डी एल हिंदी विभाग के स्‍टॉफ का उल्‍लेखनीय योगदान रहा


[प्रस्तुति : होमनिधि शर्मा]

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार’ का लोकार्पण समारोह



साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति एवं आथर्स गिल्ड आफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब, बशीरबाग़ हैदराबाद में दिनांक 14 अक्टूबर को 2 बजे पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार' का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ ।


समारोह की अध्यक्षता प्रो शकुन्तलम्मा (क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदऱाबाद केंद्र) ने की। इस अवसर पर डॉ.शिवशंकर अवस्थी (असोसिएट प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं सेक्रेटरी जनरल, ए.ज़ी.आई) मुख्य अतिथि और उदघाटन कर्ता, जैनरत्न सुरेन्द्र लूणिया सम्मानीय अतिथि,  कमल नारायण अग्रवाल गौरवनीय अतिथि,  मधु सूदन सोंथालिया विशेष अतिथि, प्रो ऋषभ देव शर्मा पुस्तक परिचय कर्ता एवं डॉ.अहिल्या मिश्र संस्थापक अध्यक्ष के रूप में मंचासीन हुए । मुख्य अतिथि डॉ.शिव शंकर अवस्थी एवं अन्य सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया एवं शुभ्रा मोहन्तो की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ।

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष एवं ए.जी.आई. की संयोजिका (हैदराबाद चैप्टर) डॉ.अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि पूरे  देश  में महिला लेखिकाओं के हेतु यह विशेष पुरस्कार है। दक्षिण के पांच प्रान्तों की महिला लेखन हेतु यह पुरस्कार निरंतर दिया जा रहा है । महिलाओं के लेखन को प्रतिष्ठित एवं प्रोत्साहित करना इसका विशेष उद्देश्य है । ए.जी.आई. का परिचय देते हुए  कहा कि यह भारतीय लेखको के हेतु महत्व पूर्ण अखिल भारतीय संस्था है । सभी अतिथियों का स्वागत शाल, मोती माला एवं पुष्प गुच्छ से संस्था के सदस्यों द्वारा किया गया । प्रो.शुभदा वांजपे ने अतिथियों का परिचय दिया | डॉ. रमा द्विवेदी ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं डॉ. सीता मिश्र ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया । तत्पश्चात नगर की वरिष्ठ लेखिका  शान्ति अग्रवाल को उनके कहानी संग्रह `गुलमोहरकी पांडुलिपि पर  पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार के रूप में ग्यारह हजार की राशि का चेकशाल,प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, श्री फल और पुष्प गुच्छ प्रदान कर उनका सम्मान किया गया।

पवित्रा अग्रवाल कृत `फूलो से प्यार’  बाल कहानी संग्रह का परिचय देते हुए प्रो ऋषभ देव शर्मा ने कहा - इन कहानियों में   बच्चो में चरित्र निर्माण, राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत करना, रीति रिवाजों का सकारात्मक रूप और रिश्तो की कद्र करना अभिव्यक्त हुआ है एवं वैज्ञानिक चेतना जाग्रत करने के साथ-साथ इनमे सूक्तियाँ-उक्तियों का प्रयोग भी दिखाई पड़ता है। यह संग्रह   बच्चो के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ।

तत्पश्चात `फूलो से प्यार’ बाल कहानी  संग्रह का लोकार्पण मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों के द्वारा किया गया।  लेखिका पवित्रा अग्रवाल ने अपनी पुस्तक को अपने पति   लक्ष्मीनारायण अग्रवाल   को समर्पित किया है । लेखिका ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी बचपन  से ही यह इच्छा थी  कि वह  बच्चो के लिए उपयोगी कुछ लिखें और उनका यह सपना आज पूरा हो गया है और इसका श्रेय उनके पति और परिवार को जाता है ।

मुख्य  अतिथि डॉ.शिव शंकर अवस्थी ने ए.जी. आई. का परिचय देते हुए कहा कि यह एक आन्दोलन है जो लेखको के हित के लिए चल रहा है । साहित्य गरिमा पुरस्कार की सराहना  करते हुए कहा कि हमारे देश में महिला लेखिकाओं के लिए ऐसे पुरस्कार की व्यवस्था नहीं है । पांडुलिपि पर पुरस्कार देकर साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति न केवल लेखिकाओं को प्रोत्साहित कर रही है बल्कि नए रचनाकार भी  पैदा कर रही है ।
जैन रत्न  सुरेन्द्र लूणिया ने साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति को शुभकामनाएँ देते हुए कहा की संस्था महिलाओं की उन्नति के लिए सराहनीय कार्य कर  रही है। श्री कमल नारायण अग्रवाल और श्री मधु सूदन  सोंथालिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए
डॉ. राधेश्याम शुक्ल जी ने शान्ति अग्रवाल और पवित्रा   अग्रवाल को  अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की।  

अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो शकुन्तलम्मा ने   इस समारोह को अत्यंत सारगर्भित बताते हुए कहा, सच में साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति महिला लेखिकाओं के हित में कार्य कर रही है इससे निश्चित ही महिला लेखन को प्रोत्साहन मिलेगा एवं  यह पुरस्कार अपने आप में अप्रतिम है । 

 भंवर लाल उपाध्याय ने सफल संचालन किया एवं मीना मुथा ने आभार प्रदर्शन ज्ञापित किया । इस समारोह में प्रो सत्यनारायण, प्रो रोहिताश्व डॉ.त्रिवेणी झा, पूर्व पार्षद विजय लक्ष्मी काबरा, श्री जगजीवन लाल अस्थाना, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, डॉ.कर्ण सिंह, अजित गुप्ता, नीरज कुमार, आशा मिश्र, मानवेन्द्र मिश्रा, जी परमेश्वर, विनय कुमार झा, संयोग ठाकुर, उमा सोनी, संपत देवी मुरारका, डॉ.राधे श्याम शुक्ल, तेजराज जैन, एस नारायण राव, श्रीनिवास सोमानी, आशा देवी सोमानी, वी वरलक्ष्मी, रत्नमाला साबू, डॉ.अर्चना झा, भावना पुरोहित, डॉ.मदन देवी पोकरणा तनुजा व्यास, सरिता सुराना जैन, विनीता शर्मा, मधु भटनागर, डॉ.सीता मिश्र, शीला सोंथालिया, दयानंद झा, नीरज त्रिपाठी, विशेषवर  राज अस्थाना की उपस्थिति के साथ-साथ  साहित्य प्रेमियों से  सभागृह खचाखच भरा हुआ था ।
प्रस्तुति : संपत देवी मुरारका, मीडिया प्रभारी, हैदराबाद  

आमंत्रण : 'भास्वर भारत' के प्रवेशांक का लोकार्पण 21 को

स्पष्टता के लिए चित्र को  क्लिक करें.

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

डॉ विजय लक्ष्मी पंडित की दो तेलुगु कृतियों का हिंदी अनुवाद लोकार्पित

हैदराबाद, 9 अक्टूबर 2012.डॉ. पी. विजय लक्ष्मी पंडित 'विश्वपुत्रिका' तेलुगु की समकालीन कवयित्री हैं. डॉ. एम. रंगय्या द्वारा हिंदी में अनूदित उनके दो कविता संग्रहों का लोकार्पण 7 अक्टूबर 2012 को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में डॉ. राधे श्याम शुक्ल की अध्यक्षता में हुआ. 'विश्वपुत्रिका हूँ मैं...विश्वशांति  मेरा लक्ष्य है' शीर्षक पुस्तक को  नानीलु काव्यांदोलन के प्रवर्तक प्रो. एन. गोपि ने तथा 'धरती का विलाप' शीर्षक पुस्तक को तेवरी काव्यांदोलन के प्रवर्तक प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने लोकार्पित किया. विमोचित दोनों दीर्घ कविताओं पर डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा तथा प्रो. शकीला खानम ने समीक्षात्मक आलेख प्रस्तुत किए. संचालन डॉ. बी. बालाजी ने किया.

बेंगलूरु में विष्णु प्रभाकर शताब्दी



22 सितंबर 2012 बेंगलूरु के सिंधी कॉलेज में विष्णु प्रभाकर के जन्मशती समारोह के अंतर्गत एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया - ''हिंदी साहित्य : विष्णु प्रभाकर की विरासत''. 
उद्घाटन किया प्रो. तिप्पे स्वामी ने; और
 बीज भाषण प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने दिया. 


संयोजक डॉ. रंजना पिल्लै ने उद्घाटन सत्र के दो फोटो भेजे हैं - यहाँ सहेजे जा रहे हैं. 
रिपोर्ट की प्रतीक्षा है.