गुरुवार, 18 सितंबर 2014

नाबार्ड में हिंदी समारोह की धूम

हैदराबाद.

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के हैदराबाद स्थित तेलंगाणा और आंध्र प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय में हिंदी दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया. कार्यालय में 28 अगस्त 2014 से 12 सितंबर 2014 तक हिंदी पखवाड़ा मनाया गया. 12 सितंबर 2014 को आयोजित मुख्य समारोह में डॉ ऋषभदेव शर्मा, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ार्इ और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी पर ओजपूर्ण वक्तव्य दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री जिजि माम्मेन ने की.

अपने वक्तव्य में डॉ ऋषभदेव शर्मा जी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने में हिंदी ने बहुत बड़ी भूमिका निभार्इ है. हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत जैसे वैविध्यपूर्ण देश में सांस्कृतिक और मानसिक एकता के लिए एक भाषा का होना जरूरी है और संपर्क भाषा के रूप में हिंदी ने यह भूमिका निभार्इ है और आज भी देश के भिन्न-भिन्न प्रांतों के लोगों को एकसूत्र में बांधे रखने के लिए सबसे सशक्त माध्यमों में से एक है. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक श्री जिजि माम्मेन ने कहा कि राजभाषा के कार्यान्वयन का कार्य केवल पखवाड़े तक ही सीमित न होकर, पूरे वर्ष निष्ठापूर्वक किया जाता है. राजभाषा पखवाड़े को हम एक उत्सव के रूप में मनाते हैं. 

इस अवसर पर हिंदी पखवाड़े के मुख्य समारोह में महाप्रबंधक श्री एल मुंडा ने केंद्रीय गृह मंत्री का संदेश पढ़ा तथा श्री पंकज दास, उप महाप्रबंधक ने कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की. श्री किशन सिंह, महाप्रबंधक ने सभा को संबोधित किया.

हिंदी पखवाड़े का उद्घाटन दिनांक 28 अगस्त 2014 को किया गया था. इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद की क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. शकुंतलम्मा वार्इ ने आज के दौर में हिंदी पर मीडिया, विज्ञापनों आदि के प्रभाव पर प्रकाश डाला. हिंदी पखवाड़े के दौरान कार्यालय के स्टाफ सदस्यों के लिए सुलेखन, वर्ग पहेली, प्रश्नमंच, अंताक्षरी, कथा-कथन, शब्दावली, टिप्पण व प्रारूपण आदि जैसी कर्इ रोचक व ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया.



पखवाड़े के समापन पर दिनांक 12 सितंबर 2014 को आयोजित मुख्य समारोह में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया. श्री एम एस मूर्ति, प्रबंधक (राजभाषा) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ.

प्रस्तुति -  एम एस मूर्ति, प्रबंधक (राजभाषा), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), हैदराबाद 





हिंदी दिवस पर साहित्य नभ की काव्य गोष्ठी



दिल्ली, 14 सितम्बर 2014.



हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में नांगलोई क्षेत्र में साहित्य नभ संस्था की ओर से काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ.

पेश है कार्यक्रम की  कुछ झलकिया--

कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत प्रवक्ता यस्शवी कवि .कहानीकार पंडित हरनाम शर्मा जी ने की. मुख्य अतिथि  श्री किशोर श्रीवास्तव जी थे. 

मेरे साथी मित्र लघु कथाकार अनिल शूर आजाद जी के किसी कारणवश न आ पाने के कारण मंच सञ्चालन का कार्यभार श्री ललित कुमार मिश्र जी को सौपा गया.

मकेश जी ने अपनी कविता "सिसकता गॉव बिलखती गलियां " से लोगो का मन मोह लिया और खूब तालिय बटोरी.वहीँ राजीव जी ने छोड़ हरकत शैतानो की, बन तू इंसान रे" के माध्यम से युआ पीड़ी को दलदल से बहार रहने का सन्देश दिया.

आलोचना और समीक्षा में महरत रखने वाले संदीप तोमर (मैं) ने सामाजिक विसंगति को आधार बना कुछ क्षणिकाएं प्रस्तुत की, लधु कथा में महारथ रखने वाले संदीप तोमर ने व्यंग्य शैली कविता पाठ करके पुराने साथियों को आश्चर्य चकित किया -
इस बस्ती का जनाब 
अजीब मटियामेट है
छत टपकती कमरों की
क्या आलिशान गेट है 
मुखी मरती जनता यहाँ 
मुखिया धन्नासेठ है .........


साथ ही गजल में भी उन्होंने हाथ आजमाए------
रिश्तों के बोझ से कब दबती है जिन्दगी
मुट्ठी के रेत सी यूँ निकलती है जिन्दगी I ........
कहीं आँखों से आंसूं ही ना छलक जाये "उमंग"
बहाना ही बना दो के कुछ खटकती है जिन्दगी I

मनोज मैथिल की कविता ---- "मेरे पास शब्द नहीं हैं .... क्या तुम मुझे दोगे उधार शब्द "
धारदार हथियार कि तरह पैनापन लिए थी.

अखिलेश द्विवेदी अकेला ने "हे नाथ शक्ति दीजिये" के माध्यम से परमेश्वर का आव्हान किया जिसने अध्यक्ष महोदय का मन मोह लिया.

ललित कुमार मिश्र जी की ने सुनाया---- " गुजर जाता हूँ मैं आज भी उन गलियों से ..... जहा तेरा आना जाना था"  उनकी दूसरी कविता "आ जाओ प्रिये" में वो अन्यास ही अपनी प्रेयसी का आह्वान करते हैं .जो निश्चित ही रचना कर्म का एक अभिन्न हिस्सा है.

शशि श्रीवास्तव ने "मेरे दो मन है" काश मेरे घर में होती एक अदद बेटी " नमक रचनाये सुनाई. पहली बार उसके मुख से कविता सुनकर अच्छा लगा.

एक और कवयित्री भावना ने " आज मैं बहुत उदास हूँ " कविता के माध्यम से लोगो कि रही सही उदासी को भी दूर किया.

संजय कुमार कश्यप ने जिस प्रकार मंच संचालक के बिना आग्रह के मंच पर " माँ "और "पिता " विषय पर काव्य पाठ किया वो बेहद प्रशंशनीय था. असल में पता चला कि कवि में अगर उर्जा अहि तो बस मंच काफी है. कविता के उद्गारों के लिए समय का क्यों इंतज़ार किया जाये. उनकी कविता "चाँद कि चांदनी गर मुझे मिल जाये" भी काफी अच्छी रचना रही.

किशोर श्रीवास्तव ने दो गीत सुनाये ----
"उसकी पल पल की ख़बरों से 
रूबरू हो जाती है सारी  दुनिया "
और 
"नहीं अलगाव की हम बात किया करते है 
हम तो हर सख्स से खुल के मिला करते है"
गीत बेहद लाजबाब थे.

अध्यक्ष महोदय ने भी आधुनिक उग की  कविता सुनाकर सभी कनिष्ठ साथियों को कविता लिखने के राज़ बताये. और उनके अध्यक्षीय भाषण से सभी को प्रेरणा मिली. और उन्होंने सभी साहित्य नभ परिवार के सदस्यों को आगामी कार्यक्रमों कि रुपरेखा के लिए भी प्रेरित किया.

प्रस्तुति -संदीप तोमर , दिल्ली 

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

‘Hindi Pakhwara’ celebration at RGU


RONO HILLS, Sept 15: The fortnight-long ‘Hindi Pakhwara’ celebration began at Rajiv Gandhi University yesterday. It is being organized by the Hindi Cell of RGU to commemorate the nation-wide Hindi Diwas celebration from Sept 14 to 26 with the objective to promote usage of Hindi language in official work in the central government’s establishments including the RGU.

Prof. K C Kapoor, Vice Chancellor in-charge, RGU, who inaugurated the celebration formally at RGU today, highlighted the importance of Hindi and its usage. He emphasized that one should give focus on reading skills which is very important to improve grip on any language. He also pointed out the importance of grammar in order to write and speak Hindi correctly. In this regard some serious efforts were needed to improve Hindi in the state, he added.

Delivering the key-note address, Prof. Rishab Deo Sharma expressed his happiness over the unexpected development of Hindi in the state. He also said that implementation of Hindi as official language would not need much efforts as most of people speak and understand Hindi easily.

Speaking on the occasion, Dr. Rachob Taba said in this part of the country Hindi is a link language and people with mother tongue other than Hindi feel comfortable in communicating in Hindi even without any background of the language. He also appreciated the genuine efforts made by the Hindi Cell, RGU towards promoting Hindi language.

Earlier, Gumpi Nguso, Hindi Officer, RGU read out the message received from Rajnath Singh, Union Home Minister on the occasion of Hindi-Diwas.

A competition on Self-Composed poem recitation was organized as a part of the celebration where altogether 15 competitors took part.

Among others, Keshab Rao, Director, Geological Survey of India (State Unit) attended the programme.

सोमवार, 1 सितंबर 2014

ज्योति नारायण की काव्यकृति 'शब्द ज्योति' लोकार्पित




ज्योति नारायण की काव्यकृति 'शब्द ज्योति' लोकार्पित 

हैदराबाद, २ सितंबर २०१४ [मीडिया विज्ञप्ति].

यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा  के खैरताबाद स्थित सभागार में आथर्स गिल्ड आफ इण्डिया की  स्थानीय इकाई, कादम्बिनी क्लब, सांझ के साथी और साहित्य मंथन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में दिल्ली से पधारे कवि-समीक्षक उपेन्द्र कुमार ने प्रतिष्ठित कवयित्री ज्योति नारायण के पांचवें काव्यसंग्रह ''शब्द ज्योति'' को लोकार्पित किया. उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि इस संग्रह की कविताओं में मुख्य अर्थ के स्थान पर विस्थापित अर्थ के अधिक महत्वपूर्ण होने के कारण  ये रचनाएँ विशेष रूप से ध्यान खींचती हैं. उन्होंने आगे कहा कि ज्योति नारायण की ये कविताएँ उनकी रचनायात्रा की प्रगति की सूचक हैं. 


विमोचित कृति की समीक्षा करते हुए प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक में मुख्य रूप से प्रकृति के माध्यम से स्त्री विमर्श को उभारा गया है तथा समकालीन सामाजिक-राजनैतिक सरोकारों पर भी मार्मिक व्यंग्य किया गया है जो कवयित्री की गीति-रचनाओं से नितांत भिन्न प्रतीत होता है. साथ ही डॉ. अहिल्या मिश्र और प्रो. टी. मोहन सिंह ने रचनाकार को शुभकामनाएं दीं तथा भविष्य में श्रेष्ठतर रचनाधर्मिता की अपेक्षा जताई.

समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. एम.वेंकटेश्वर ने विस्तार से कवयित्री के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने संबोधन में यह बताया कि 'शब्द ज्योति' में संग्रहीत कविताएँ संवेदना और शिल्प दोनों के स्तर पर प्रौढ़ तथा परिपक्व रचनाएँ हैं. उन्होंने मातृत्व, कन्या भ्रूण ह्त्या और साम्प्रदायिक संबंधों पर केंद्रित कविताओं का विवेचन करते हुए कहा कि कवयित्री का रचना-संसार उनकी पिछली कृतियों की तुलना में प्रशस्त और विस्तृत हुआ है.

आरम्भ में प्रो. बाल कृष्ण शर्मा रोहिताश्व ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और आयोजकों ने आगंतुकों का स्वागत-सत्कार किया. नगरद्वय के साहित्यिकों की ओर से कवयित्री ज्योति नारायण का सारस्वत सम्मान भी किया गया. इस अवसर पर कवयित्री ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया और प्रेम शंकर नारायण तथा डॉ. गोरख नाथ तिवारी ने धन्यवाद प्रकट किया.

रिपोर्ट - डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, सहसंपादक 'स्रवन्ति', दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद-५००००४.