मैसूर, 12 अगस्त 2004.
हिंदी अध्ययन विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय, मानसगंगोत्री, मैसूर में 12 अगस्त 2014 को एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई। उक्त संगोष्ठी का विषय ''राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा : स्वरूप और संभावनाएँ'' था।उद्घाटन सत्र में प्रारंभ में मनोज तथा रूपा ने वंदना गीत प्रस्तुत किया। उसके बाद विभाग की अध्यक्षा प्रो. प्रतिभा मुदलियार ने प्रास्ताविक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विषय का महत्व एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। प्रो. शशिधर गुडिगेनवर ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया। उद्घाटक तथा बीज वक्ता प्रो. ऋषभदेव शर्मा जी दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
तदुपरांत प्रो. प्रतिभा मुदलियार द्वारा हिंदी में अनूदित मराठी उपन्यास ''साईँ'' ( मूल लेखक प्रो. विनोद गायकवाड) का लोकार्पण प्रो. ऋषभदेव शर्मा के करकमलों से संपन्न हुआ। प्रो. ऋषभदेव शर्मा जी ने लोकार्पित कृति ''साईं'' पर अपना वक्तव्य दिया जिसमें उन्होंने आधुनिक भक्ति साहित्य में इस उपन्यास के महत्व का उल्लेख करते हुए अनुवाद की दृष्टि से सफल तथा सरस बताया।
संगोष्ठी के विषय पर बीज वक्तव्य देते हुए प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने हिंदी के राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने हिंदी के राजनीतिक, सांस्कृतिक , भाषावैज्ञानिक, कोशवैज्ञानिक, अनुवाद, विज्ञापन तथा सिनेमा जगत एवं विदेशी स्वरूप पर प्रकाश डाला। उनका बीज वक्तव्य प्रभावी तथा ज्ञानवर्धक था। विभाग की अध्यापिका डॉ. वासंति जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ, रेखा अग्रवाल ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया।
संगोष्ठी में दो विचार-सत्रों में विभिन्न कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने स्तरीय आलेखों की प्रस्तुति की। प्रो. सुशीला थॉमस, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, मैसूर तथा प्रो. रामप्रकाश, एस. वी,यूनिवर्सिटी, तिरुपति ने विचार-सत्रों की अध्यक्षता निभाकर अपने प्रभावी वक्तव्य दिए। समापन समारोह में छात्रों तथा अध्यापकों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी। राष्ट्रगान के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।
प्रस्तुति - डॉ. रेखा अग्रवाल, प्राध्यापक, हिंदी विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय,मानसगंगोत्री, मैसूर.