मंगलवार, 27 नवंबर 2012
शुक्रवार, 23 नवंबर 2012
पुरुषभाषा : स्त्रीभाषा :: धमकाना : रिरियाना
हैदराबाद, 23 नवंबर 2012
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के अकादमिक स्टाफ कॉलेज में समकालीन हिंदी साहित्य के अध्ययन-अध्यापन और शोध की संभावनाओं पर केंद्रित 21 दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के अंतर्गत ‘स्त्री विमर्श : स्त्रीभाषा’ पर उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो.ऋषभ देव शर्मा का विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया.
आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर राज्यों से इस पुनश्चर्या कार्यक्रम में आए प्रतिभागी हिंदी प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए प्रो.शर्मा ने कहा कि साहित्य की भाषा समाज की वास्तविक भाषा पर आधारित होती है जिसमें वक्ता-श्रोता संबंध, परिस्थिति, प्रसंग और प्रयोजन के अनुसार ही नहीं सामाजिक स्तर और प्रतिष्ठा के भेद के आधार पर भी भाषा वैविध्य पाए जाते हैं. उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से यह प्रतिपादित किया कि समाज में गौण स्थान होने के कारण परंपरागत स्त्री भाषा में जहाँ विनम्रता और अनुरोध की मूल प्रवृत्ति पाई जाती है वहीं आत्मनिर्भर और स्वतंत्र स्त्री की भाषा में आदेश और निषेध की नई प्रवृत्ति को परिलक्षित किया जा सकता है.
परिवार और समाज में वर्चस्व के साथ भाषिक व्यवहार का अपरिहार्य संबंध बताते हुए प्रो. शर्मा ने पुरुषसत्तात्मक समाज में पुरुषभाषा को ‘धमकाने’ की भाषा तथा स्त्रीभाषा को ‘रिरियाने’ की भाषा मानते हुए स्त्रियों के भाषा व्यवहार के वर्जित क्षेत्रों की ओर भी इशारा किया और कहा कि हिंदी भाषा का स्त्री केन्द्र बनना अभी बाकी है.
आरंभ में प्रतिभागियों की ओर से विशेष वक्ता का स्वागत किया गया. इस अवसर पर पुनश्चर्या कार्यक्रम के संयोजक प्रो.वी.कृष्णा और अकादमिक स्टाफ कॉलेज के निदेशक प्रो.आर.एस.सर्राजू भी उपस्थित थे.
बुधवार, 21 नवंबर 2012
मंगलवार, 20 नवंबर 2012
दीपावली मिलन एवं पुस्तक लोकार्पण संपन्न
हैदराबाद, १८ नवंबर.
कादम्बिनी क्लब के तत्वावधान में रविवार को दीपावली मिलन के साथ शशि कोठारी कृत काव्य संग्रह “जब नदिया बहना भूल गई” का लोकार्पण उल्लासमय वातावरण में संपन्न हुआ |
इस अवसर पर प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | प्रो.आलोक पांडे, निर्मल कुमार सिंघवी, विमलेश सिंघी, एम. प्रभु, शशि कोठारी एवं डॉ.अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया | शुभ्रा महंतो ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की |
शशि कोठारी कृत “जब नदिया बहना भूल गई” काव्यसंग्रह का परिचय देते हुए डॉ. रमा द्विवेदी ने कहा कि यह काव्यसंग्रह व्यक्तिगत-वैचारिक अनुभूतियों का समूह है | कविताएँ भक्तिभाव से पूर्ण एवं अध्यात्म से संबंधित हैं | शीर्षक आकर्षित करता है और यह कविता संग्रह का सार तत्व है |
तत्पश्चात प्रो.आलोक पांडे एवं अतिथियों के करकमलों से तालियों की गूँज में काव्यसंग्रह का लोकार्पण हुआ | प्रो.पांडे ने कहा कि सुन्दर भावों के साथ ये कविताएँ एक लम्बी प्रार्थना है | नए तरिके से सोचने पर पाठक को मजबूर करती है | भाषा सक्षम है, कवयित्री को साधुवाद |
प्रो.ऋषभदेव जी ने अध्यक्षीय बात में कहा कि कवयित्री के पास विशेष शब्दों की बुनावट है | शीर्षक काव्यात्मक है | प्रेम और शांति की कामना करने वाला व्यक्ति कविता लिखे य न लिखे कवि ज़रूर होता है | पूरे जगत के साथ अपनी अनुभूतियों को जोड़ने की बात शशि करती है | भाषा काव्योचित है, नि:संदेह वे आगे बढ़ सकती है | कविता और वार्ता में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता सूचना देती है, कविता भावना और विचार को भाषा में गूंथ कर सौन्दर्य की सृष्टि करती है |
कवयित्री शशि कोठारी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन और कविता दोनों में सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा मैंने खुश रहने और खुशियाँ फैलाने की सच्चाई को पहचाना है | क्लब की ओर से शशि जी का सम्मान हुआ तथा डॉ.रमा को भी पुष्पगुच्छ भेंट किया गया | प्रथम सत्र के समापन पर मीना मूथा ने आभार व्यक्त किया |
दितीय सत्र में प्रो. ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता, नरेंद्र राय तेजराज जैन, डॉ.अहिल्या मिश्र के सान्निध्य तथा लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में ''दीपावली स्नेह मिलन काव्य गोष्ठी'' आयोजित हुई | डॉ. सीता मिश्र, वेणुगोपाल भट्टड़, अजित गुप्ता, जुगल बंग जुगल, विनीता शर्मा, ए. कुरियन मोना, वी.वरलक्ष्मी, गौतम दीवाना, संपत देवी मुरारका, सुषमा वैद, सत्यनारायण काकडा, सरिता सुराना जैन, उमा सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, तनुजा व्यास, तन्मय-संजय, पनिया, स्नेहिता कोठारी, रायचंद राकेचा, सुमेर सिंग, बालाप्रसाद गोयल, दीपक वाल्मीकि, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, प्रो.सुरेश पूरी, बिशनलाल संघी, मुकुंददास डांगर, सीताराम, पुरुषोत्तम कड़ेल, भावना पुरोहित, हेमांगी ठाकर, आनंद सुराना और डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने काव्यपाठ किया| सरिता सुराणा के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |
प्रस्तुति - डॉ.अहिल्या मिश्र
सोमवार, 12 नवंबर 2012
डॉ. अशोक भाटिया का काव्यपाठ और कथाकथन संपन्न
नवोदित सांस्कृतिक-साहित्यिक पत्रिका ''भास्वर भारत'' के तत्वावधान में यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित सम्मलेन कक्ष में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पधारे साहित्यकार डॉ. अशोक भाटिया का सारस्वत सम्मान किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने की तथा संचालन 'स्रवंति' की सहसंपादक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया.
आयोजन का विशेष आकर्षण था 'कथाकथन', जिसके अंतर्गत अतिथि रचनाकार अशोक भाटिया ने अपनी 'भीतर का सच', 'तीसरा चित्र ', 'रिश्ते', 'रंग', 'पीढ़ी दर पीढ़ी' और 'श्राद्ध' जैसी लघुकथाओं का भावपूर्ण वाचन किया. साथ ही उन्होंने अपनी कुछ कविताएँ भी प्रस्तुत कीं.चर्चा में उनकी रचना 'ज़िंदगी की कविता' के इस अंश को खूब सराहा गया - ''कविता/ घरैतिन के हाथों से होकर/ तवे पर पहुंचती है/ तो बनती है रोटी/ xxx / जहाँ कहीं भी कविता है/ वहाँ जीवन का/ जिंदा इतिहास रचा जा रहा है.'' पठित लघुकथाओं पर डॉ. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. राधेश्याम शुक्ल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, आशीष नैथानी, पवित्रा अग्रवाल, वेत्सा पांडुरंगा राव, संपत देवी मुरारका, ऋतेश सिंह, अशोक तिवारी, डॉ. सीमा मिश्र, वी. कृष्णा राव और नागेश्वर राव ने समीक्षात्मक टिप्पणियाँ कीं.
आरंभ में आर.राजाराव ने मंगलाचरण किया तथा आगंतुकों के परस्पर परिचय और स्वागत-सत्कार की जिम्मेदारी समारोह के संयोजक प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने निभाई.
चित्र परिचय :
'भास्वर भारत' द्वारा आयोजित 'कथाकथन' कार्यक्रम के अवसर पर लिया गया समूह चित्र. बाएँ से - डॉ. सीमा मिश्र, अशोक तिवारी, वेत्सा पांडुरंगा राव, आर.राजाराव, प्रो. ऋषभ देव शर्मा, आशीष नैथानी, डॉ. राधे श्याम शुक्ल, डॉ. अशोक भाटिया, डॉ. एम. वेंकटेश्वर, के. नागेश्वर, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, संपत देवी मुरारका, पवित्रा अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल एवं वी. कृष्णा राव.
[इस आयोजन के अन्य चित्र यहाँ देखे जा सकते हैं.]
रविवार, 11 नवंबर 2012
शनिवार, 10 नवंबर 2012
कथाकार अशोक भाटिया का ''कथा-कथन'' 11 नवंबर को
हैदराबाद, 10 नवंबर 2012.
कुरुक्षेत्र [हरियाणा] से हैदराबाद पधारे कवि एवं लघुकथाकार डॉ. अशोक भाटिया के सम्मान में नवोदित मासिक पत्रिका ''भास्वर भारत'' के तत्वावधान में रविवार, 11 नवंबर को अपराह्न 3 बजे से खैरताबाद स्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सम्मलेन कक्ष में ''कथा-कथन'' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेज़ी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व-हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एम. वेंकटेश्वर करेंगे तथा नगरद्वय के विशिष्ट साहित्यकार उपस्थित रहेंगे.आयोजकों ने सभी साहित्यप्रेमियों से अनुरोध किया है यथासमय पधार कर ''कथा-कथन'' का रसास्वादन करें और अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाएँ.
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