शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

‘प्रेम बना रहे’ का तेलुगु अनुवाद ‘प्रिये चारुशीले’ लोकार्पित


‘प्रेम बना रहे’ के तेलुगु अनुवाद ‘प्रिये चारुशीले’ के लोकार्पण के अवसर पर (बाएँ से) डॉ.नंडूरि राजगोपाल, अनुवादक डॉ.बी.हेमलता, लोकार्पणकर्ता डॉ.राधेश्याम शुकल, अध्यक्ष डॉ.एम.वेंकटेश्वर, मूल रचनाकार डॉ.ऋषभदेव शर्मा, विशेष अतिथिगण डॉ.वेन्ना वल्लभराव एव. डी.देवानंद रेड्डी. 

विजयवाडा, 5 अक्टूबर, 2013. 
यहाँ होटल ऐलापुरम के सम्मलेन कक्ष में आयोजित एक साहित्यिक समारोह में डॉ.बी.हेमलता द्वारा अनुसृजित काव्यकृति ‘प्रिये चारुशीले’ का लोकार्पण ‘भास्वर भारत’ के संपादक डॉ.राधेश्याम शुक्ल के हाथों संपन्न हुआ. समारोह की अध्यक्षता अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.एम.वेंकटेश्वर ने की. 

पुस्तक का परिचय देते हुए ‘चिनुकु’ पत्रिका के संपादक नंडूरी राजगोपाल ने बताया कि ‘प्रिये चारुशीले’ हिंदी कवि ऋषभदेव शर्मा की चर्चित काव्यकृति ‘प्रेम बना रहे’ का तेलुगु काव्यानुवाद है. उन्होंने कहा कि इस काव्य में प्रेम के अनेक धरातल और आयाम उद्घाटित हुए हैं जो सौंदर्य और औदात्य की गरिमा के कारण विशेष रूप से आकर्षित करते हैं. 

लायोला कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.वेन्ना वल्लभराव ने मूल रचना और अनुवाद की तुलना करते हुए कहा कि सांस्कृतिक और मिथकीय प्रसंगों से युक्त होने का कारण ऋषभदेव शर्मा की कविता का अनुवाद करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है परंतु अनुवादिका डॉ.बी.हेमलता ने अत्यंत सावधानीपूर्वक इन कविताओं का तेलुगु में सफल संप्रेषणीय अनुवाद किया है. 

इस अवसर पर डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने ‘प्रेम बना रहे’ की पांच प्रतिनिधि कविताओं का वाचन किया तथा भागवतुल हेमलता ने उनका अनुवाद पढ़कर सुनाया जिसे उपस्थित साहित्यिक समुदाय ने खूब सराहा. विशेष अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी डी.देवानंद रेड्डी ने कहा कि मनुष्य और मनुष्य को निकट लाने के लिए कविता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा बहुभाषी समाज में अनुवाद इसी मानवीयकार्य को संपन्न करता है अतः डॉ.हेमलता का अनुवादकार्य अभिनंदनीय है. 

आरंभ में अध्यक्ष और अतिथियों ने सरस्वती पूजन और द्वीप प्रज्वलन किया. अतिथियों का स्वागत सत्कार डॉ.गुर्रमकोंडा नीरजा, सीता, पद्मा, मूर्ति, प्रसाद ने किया. साथ ही कवि और अनुवादक का सारस्वत सम्मान भी किया गया. 

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