हैदराबाद, 4 फरवरी, 2014.
आज यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पीजी विभाग में आयोजित एक सादे समारोह में वसंत पंचमी और निराला जयंती का उत्सव संपन्न हुआ. आरंभ में डॉ. साहिरा बानू बी. बोरगल ने वसंत पंचमी को भारतीयों का साहित्यिक और सांस्कृतिक पर्व बताते हुए आगंतुकों का स्वागत किया. सामूहिक सरस्वती पूजा के उपरांत नीता जाजू ने निराला कृत सरस्वती वंदना ‘वर दे वीणा वादिनी’ का सस्वर गायन किया.
इस अवसर पर डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने निराला की संक्षिप्त जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके संघर्ष और साहित्य के परस्पर संबंध की चर्चा की. इसके बाद वी.एन.पी. पल्लवी और अर्चना ने निराला की कविताओं का वाचन किया. साथ ही उनके उपन्यास ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ के अंशों का पाठ भी किया गया. डॉ. बलविंदर कौर ने डॉ. रामविलास शर्मा लिखित ‘निराला की साहित्य साधना’ के भावपूर्ण अंश प्रस्तुत किए तो के. अनिल कुमार ने अमृतलाल नागर कृत ‘टुकड़े टुकड़े दास्तान’ से निराला संबंधी संस्मरण पढ़कर सुनाया.
उत्सव का संचालन करते हुए डॉ. मृत्युंजय सिंह ने वसंत पंचमी और होली से संबंधित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के महत्व पर अपने विचार रखे तथा निराला को विलक्षण काव्यप्रतिभा वाला संस्कृतिचेता कवि बताया. अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने वसंत पंचमी को मनुष्य जाति की आदि-सृजनेच्छा का प्रतीक और निराला को आधुनिक हिंदी कविता में इस सृष्टि कामना का सर्वाधिक उत्फुल्ल प्रतिनिधि कवि बताया. आलोक राज सक्सेना के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
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