गुरुवार, 13 मार्च 2014

गीतकार ईश्वर करुण के सम्मान में होली मिलन कवि गोष्ठी संपन्न




दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सम्मलेन कक्ष में संपन्न सम्मान समारोह के अवसर पर 
‘साहित्य मंथन’ और ‘श्री साहिती प्रकाशन’ की ओर से गीतकार ईश्वर करुण को 
प्रशस्ति पत्र समर्पित करते हुए 
डॉ. राधेश्याम शुक्ल, नरेंद्र राय, डॉ. ऋषभ देव शर्मा, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, 
वेणुगोपाल भट्टड और होमनिधि शर्मा. 

फागुन का मौसम आया है/ यौवन फिर से गदराया है/ 
कामदेव के कंधे चढ़कर/ बूढ़ा छोरा बौराया है   –               ईश्वर करुण

हैदराबाद, 13 मार्च (प्रेस विज्ञप्ति). 

भारतीय संस्कृति में उत्सव और उल्लास की प्रधानता है. हमारे सभी पर्व आनंदमय हैं. होली सामूहिक आनंद का सार्वजनिक पर्व है. इसके साथ यह रोचक कथा जुड़ी है कि होलिका नाम की राक्षसी को यह वरदान प्राप्त था कि वह केवल बच्चों की हँसी की आवाज से ही मर सकती थी. आग के बीच में भी हँसते खेलते अबोध बालक प्रह्लाद की हँसी की किलकारियों ने उसे मार डाला. इसी घटना को उत्सव का रूप देकर होली को हास परिहास और रंगों की बौछार के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. 

ये विचार ‘भास्वर भारत’ के संपादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने यहाँ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सम्मेलन कक्ष में चेन्नै से पधारे प्रमुख गीतकार ईश्वर करुण के सम्मान में ‘साहित्य मंथन’ द्वारा आयोजित होली मिलन कवि गोष्ठी के भव्य समारोह का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए. डॉ. शुक्ल ने आगे कहा कि साहित्य का धर्म भी होली के साथ जुड़ी पौराणिक कथा जैसा ही है. वह हँसाता और मनोरंजन तो करता ही है, समाज में व्याप्त अमंगलकारी शक्तियों का नाश भी करता है. उन्होंने अतिथि गीतकार की रचनाओं में हास्य और शृंगार के साथ लोक रक्षण की प्रवृत्ति को लक्ष्य करते हुए उन्हें एक सफल गीतकार बताया. 

समारोह की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हास-व्यंग्यकार वेणुगोपाल भट्टड और वरिष्ठ वैज्ञानिक, चिंतक एवं कवि डॉ. देवेंद्र शर्मा ने की. इस अवसर पर वरिष्ठ गीतकार एवं चित्रकार नरेंद्र राय, राजभाषाकर्मी होमनिधि शर्मा, कवयित्री अहिल्या मिश्र, हिंदी सेवी सी.एस.होसगौडर, एस. वेंकटेश्वर एवं कवि-समीक्षक प्रो. ऋषभ देव शर्मा विशेष अतिथि के रूप में मंचासीन हुए. ज्योति नारयण ने सरस्वती वंदना की तथा अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ.

संयोजक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए बताया कि ईश्वर करुण चार दशक से अधिक समय से निरंतर गीतिकाव्य की समृद्धि और हिंदी कविता के मंच की गरिमा की रक्षा के कार्य में लगे हुए हैं. उन्होंने करुण के ताजा कविता संग्रह ‘चुप नहीं है ईश्वर’ पर समीक्षात्मक चर्चा भी की. इसके पश्चात ‘साहित्य मंथन’ और ‘श्री साहिती प्रकाशन’ की ओर से ईश्वर करुण का सारस्वत अभिनंदन करते हुए उन्हें व्यक्तिगत गुणों और हिंदी सेवा के लिए प्रशस्ति पत्र समर्पित किया गया. साथ ही विश्वम्भरा, हिंदी अकादमी - संकल्य, कादम्बिनी क्लब, ऑथर्स गिल्ड, स्रवंति, सांझ के साथी, आनंदऋषि साहित्य निधि, आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी और दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के प्रतिनिधियों ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न, पुष्प गुच्छ, उत्तरीय, पुस्तकें और लेखन सामग्री भेंट कर के सम्मानित किया. 

इस अवसर पर सम्मानित कवि ईश्वर करुण ने विभिन्न चक्रों में अपने दस चुनिंदा गीतों का सस्वर वाचन किया. ‘’नेह के नगर में विश्वास की धरोहर/ लुटने न पाए कभी मीत इसे देखना’’, ‘’तुमको घायल करें जब निराशा के क्षण/ आडी तिरछी लकीरों को तुम चूम लो’’, छेड़ती है फागुनी हवा/ उसको ज़रा डाँटो भाभी जी’’, अपना गुस्सा मुझे सारा दे दो प्रिये/ माँगता हूँ यही तुमसे मैं बावला/ तुम निखर जाओगी राधिका की तरह/ मैं भी बन जाऊंगा कृष्ण सा सांवला’’, ‘’फागुन का मौसम आया है/ यौवन फिर से गदराया है/ कामदेव के कंधे चढ़कर/ बूढ़ा छोरा बौराया है’’, ‘’कौन सता गहेगा अब/ ये रामजी जाने’’, ‘’एक चिट्ठी आयी है/ मुझको मेरे घर से दोस्तो’’, ‘’कोयल की पुकार पर/ मीठी मनुहार पर/ आई होली रे / मितवा आई तेरे द्वार पर’’ – जैसी काव्य पंक्तियों ने श्रोताओं को भाव विभोर और रसमग्न कर दिया. 

कवि गोष्ठी में नगर के विशिष्ट कवियों और हिंदी सेवियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया जिनमें डॉ. बी. बालाजी, डॉ. के. बी. मुल्ला, डॉ. गोरख नाथ तिवारी, डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. ए.जी.श्रीराम, संतोष काम्बले, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, अजित गुप्ता, पवित्रा अग्रवाल , मीना मुथा, गुरु दयाल अग्रवाल , भावना पुरोहित, भँवर लाल उपाध्याय, विनीता शर्मा, सुषमा बैद, ज्योति नारायण, तेजराज जैन, बिशन लाल संघी , आशीष नैथानी सलिल, अजित गुप्ता, जी. संगीता, उमा गौरी देवी, टी. सुभाषिनी, एस.वी.एस.एन.पल्लवी, रेणु कुमारी, संतोष विजय , गहनी नाथ और एन. अप्पल नायुडु के नाम सम्मिलित हैं. 

सारस्वत सम्मान स्वीकार करते हुए ईश्वर करुण ने हैदराबाद के साहित्य जगत का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस आत्मीय अभिनंदन से मुझे अवर्णनीय आनंद और साहित्य सृजन के लिए ऊर्जा प्राप्त हुई है. 

कवि गोष्ठी का संचालन लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने किया तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह का समापन हुआ.

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