मंगलवार, 29 अप्रैल 2014
रविवार, 13 अप्रैल 2014
बिजापुर के अंजुमन कॉलेज में....
10 मार्च 2014 को बिजापुर [कर्नाटक] के अंजुमन कॉलेज के हिंदी के छात्र-छात्राओं को संबोधित करने का अवसर मिला. डॉ. साहिबहुसैन जहागीरदार के बुलावे पर गया तो एक अन्य कार्यक्रम के लिए था पर उन्होंने बीजापुर-दर्शन का लोभ दिखाकर एक दिन ज्यादा ठहरने को मना लिया और आनन्-फानन इस व्याख्यान की व्यवस्था कर डाली - अपने कॉलेज में. प्रिंसिपल श्री नवलगुन्द जी से लेकर विभाग के सहकर्मी प्राध्यापकों श्री एम. ए. पीरां और सोजभरी आवाज़ के धनी श्री अंसारी जी ही नहीं अन्य विभागों के प्राध्यापकों तक ने भरपूर स्वागत-सत्कार किया. ''हिंदी -हिंदवी - उर्दू-हिन्दुस्तानी'' पर विद्यार्थियों ने बड़े मन से सारी बातें सुनीं. मैंने गौर किया कि मेरी हिंदी में उर्दू और बोलीगत प्रयोगों की तुलना में उनकी हिंदी तत्समप्रधान है! बिजापुर के इस राष्ट्रीय चरित्र को मैं अभिवादन करता हूँ. (ऋषभ}
गुरुवार, 10 अप्रैल 2014
गुरुवार, 3 अप्रैल 2014
शिवकुमार राजौरिया का ‘कथा कथन’ आयोजित
बाएं से - प्रो. एम. वेंकटेश्वर, प्रो. ऋषभ देव शर्मा, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, पवित्रा अग्रवाल, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा और डॉ. शिवकुमार राजौरिया |
साहित्य-संस्कृति मंच ‘साहित्य मंथन’ के तत्वावधान में खैरताबाद स्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कक्ष में प्रो. ऋषभ देव शर्मा की अध्यक्षता में ‘कथा कथन’ कार्यक्रम संपन्न हुआ. इसके अंतर्गत युवा कथाकार डॉ. शिवकुमार राजौरिया ने अपनी दो कहानियों ‘बूढ़ी हड्डियाँ’ और ‘श्यामा’ का वाचन किया. विशेषज्ञों के रूप में उपस्थित समीक्षक प्रो. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, कहानीकार लक्ष्मी नारायण अग्रवाल तथा पवित्रा अग्रवाल ने दोनों कहानियों के कथ्य, रूप और भाषा पर समीक्षात्मक टिप्पणियाँ करते हुए लेखक के सामाजिक सरोकार और परिवार-संस्था के प्रति चिंता की प्रशंसा की और उन्हें मार्मिक प्रसंगों के पल्लवन पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया.
बुधवार, 2 अप्रैल 2014
मंगलवार, 1 अप्रैल 2014
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