रविवार, 13 अप्रैल 2014

बिजापुर के अंजुमन कॉलेज में....


10 मार्च 2014 को बिजापुर [कर्नाटक] के अंजुमन कॉलेज के हिंदी के छात्र-छात्राओं को संबोधित करने का अवसर मिला. डॉ. साहिबहुसैन जहागीरदार के बुलावे पर गया तो एक अन्य कार्यक्रम के लिए था पर उन्होंने बीजापुर-दर्शन का लोभ दिखाकर एक दिन ज्यादा ठहरने को मना लिया और आनन्-फानन इस व्याख्यान की व्यवस्था कर डाली - अपने कॉलेज में. प्रिंसिपल श्री नवलगुन्द जी से लेकर विभाग के सहकर्मी प्राध्यापकों श्री एम. ए. पीरां और सोजभरी आवाज़ के धनी श्री अंसारी जी ही नहीं अन्य विभागों के प्राध्यापकों तक ने भरपूर स्वागत-सत्कार किया. ''हिंदी -हिंदवी - उर्दू-हिन्दुस्तानी'' पर विद्यार्थियों ने बड़े मन से सारी बातें सुनीं. मैंने गौर किया कि मेरी हिंदी में उर्दू और बोलीगत प्रयोगों की तुलना में उनकी हिंदी तत्समप्रधान है! बिजापुर के इस राष्ट्रीय चरित्र को मैं अभिवादन करता हूँ. (ऋषभ} 





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