हैदराबाद (प्रेस विज्ञप्ति)।
भारत सरकार ने उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के स्तर की पाठ्य सामग्री को आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में अनुवाद करने तथा प्रकाशित करने की योजना बनाई है। प्रकाशन के लिए अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। भारत के पास सुनिश्चित भाषा नीति नहीं है। इसीलिए भाषा नीति तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने के लिए मैसूर में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान की स्थापना की गई थी। अब अनेक विश्वविद्यालयों में लुप्तप्राय भाषाओं के लिए अलग केंद्र भी खोले जा रहे हैं। साथ ही संस्कृत भाषा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में बुनियादी और उच्च शिक्षा से संबंधित मौलिक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
इन सब विषयों पर विमर्श हेतु गठित "वैश्विक हिंदी परिवार" के तत्वावधान में 'उच्च शिक्षा और भारतीय भाषाएँ' विषय पर 21 जून, 2020 को ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी/ वेबिनार संपन्न हुई। बतौर मुख्य वक्ता रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की स्वीकार्यता तब बढ़ेगी जब भारतीय भाषाएँ स्कूली शिक्षा में स्थापित होंगी। यह स्वीकार्यता तब और सुनिश्चित होगी जब रोजगार का सृजन होगा।
संतोष चौबे |
संतोष चौबे ने यह भी कहा कि हमारे पास जो रोल मॉडल है वह है शांतिनिकेतन। इस रोल मॉडल के साथ क्या नहीं किया जा सकता। और तो और भारतीय भाषओं में लिबरल आर्ट्स के रूप में बहुत बड़ा काम हो सकता है। कल्चरल डिस्कोर्स में 'गाना' एक महत्वपूर्ण चीज है। इससे अपनी भाषा के प्रति सम्मान बढ़ता है। अलग अलग मातृभाषा भाषियों के बीच यह गीत सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करता है। बच्चों के बीच सौहार्द पैदा करना चाहिए क्योंकि इससे भाषाओं के बीच सौहार्द की भावना पैदा हो सकती है जो अत्यंत आवश्यक है।
भारत के समक्ष आज एक चुनौती है। अब करोना महामारी के बाद उच्च शिक्षा की पूरी पद्धति बदलने वाली है। अतः उन्होंने कहा कि अब समय आ चुका है मैकाले की भाषा नीति को उलटने की। इस हेतु उन्होंने सुझाव दिया कि वर्चुअल लैब्स का निर्माण करना होगा। तत्काल सामग्री को डिजिटाइज़ करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक तरह से भाषा विमर्श सत्ता विमर्श है।
संतोष तनेजा |
राहुल देव |
अनिल जोशी |
'अक्षरम्' (भारत), हिंदी भवन , भोपाल, वातायन (यू. के.), हिंदी राइटर्स गिल्ड (कनाडा), झिलमिल (अमेरिका), विश्वंभरा (हैदराबाद और अमेरिका), सिंगापुर संगम, कविताई (सिंगापुर) के सहयोग से यह महत्वपूर्ण आयोजन संपन्न हुआ।
प्रस्तुति : डॉ गुर्रमकोंडा नीरजा
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