ऋषभदेव शर्मा अभिनंदन ग्रंथ - "धूप के अक्षर"
सम्मिलित लेखक/ लेख
संख्या |
लेखक |
भाग |
शीर्षक |
1.
|
योगेंद्रनाथ शर्मा अरुण |
1,2 |
आशीर्वचन |
2.
|
दिलीप सिंह |
1,2 |
·
शुभाशंसा ·
धूप ने कविता लिखी है, गुनगुनाने
के लिए |
3.
|
गुर्रमकोंडा नीरजा |
1, 2 |
·
संपादकीय ·
संघर्ष और जिजीविषा की बुलंद आवाज ·
तेलुगु साहित्य से प्रेम का
प्रतीक ·
साहित्य, संस्कृति और भाषा का मूल
त्रिकोण ·
देश दुनिया के ‘सवाल’ और
पत्रकारिता के ‘सरोकार’ ·
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण
लिखा न जाय |
4.
|
अनीता शुक्ला |
1, 2 |
तेवरी काव्यांदोलन के पुरोधा |
5.
|
प्रतिभा मुदलियार |
1 |
मुझे पंख दोगे? |
6.
|
डॉली |
1 |
स्त्री प्रश्न: सशक्तीकरण से मानवाधिकार तक |
7.
|
शीला बालाजी |
1 |
स्त्री और बच्चे : मानवाधिकार चेतना |
8.
|
बी. बालाजी |
1 |
·
अनुवाद अध्ययन : संस्कृति सेतु का
निर्माण ·
कविता के समुद्र में लोक का आकाश |
9.
|
मंजु शर्मा |
1 |
लोकतांत्रिक चेतना और सजग नागरिकता |
10.
|
समीक्षा शर्मा |
2 |
प्यार से भरी पवित्र आत्मा |
11.
|
संजय एल. मादार |
1 |
किसान प्रश्न : पीड़ा से राजनीति तक |
12.
|
विजेंद्र प्रताप सिंह |
1 |
इतनी सारी मौत, आदमी अकेला |
13.
|
अनुपमा तिवारी |
1 |
विमर्शों का नया आयाम |
14.
|
हुड़गे नीरज |
1 |
हेलो मनुष्य! हरित विमर्श |
15.
|
शशि राय |
1 |
अमृत फल उगाने वाला कवि |
16.
|
सुषमा देवी |
1 |
सूझहिं राम चरित मनि मानिक |
17.
|
प्रेमचंद्र जैन |
1 |
‘तरकश’ के तीर |
18.
|
कविता वाचक्नवी |
1 |
समकाल की सनद
|
19.
|
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद |
1 |
सत्य की लेकर लुकाठी वह खड़ा बाजार में |
20.
|
एसए
सूर्यनारायण वर्मा |
1 |
कर्मेषणा एवं दुर्लभ संवेदनशीलता की कविता |
21.
|
कैलाशचंद्र भाटिया |
1 |
जन-सम्मुखी कविता के तेवर |
22.
|
रामजी सिंह ‘उदयन’ |
1 |
एक विद्रोह की मंगल-भूमि |
23.
|
प्रमीला के. पी. |
1 |
एक कवि है यहाँ - स्त्रीपक्षीय |
24.
|
देवराज |
1 , 2 |
· कविता
के लिए · कल
धमाके में मरा जो, कौन था · कविता
में मनुष्यता की स्वतंत्रता की परख · समकाल
में कविता · हिंदी
भाषा और उसके समाज की परख · विश्लेषक
और रचनाकार का संश्लेष · जीवन
धारा बहे निरंतर |
25.
|
एन. लक्ष्मी प्रिया |
1 |
धूप ने कविता लिखी है : एक विश्लेषण |
26.
|
जगमल सिंह |
1 |
दो दशकों की काव्य यात्रा |
27.
|
गोपाल शर्मा |
1, 2 |
·
सरसता, एकता और बंधुता के लिए
भारतीय साहित्य ·
शब्दहीन का बेमिसाल सफर ·
हिंदी में वैश्विक |
28.
|
एम. वेंकटेश्वर |
1 |
· हिंदी
भाषा : इतिहास और अनुप्रयोग · कथा-साहित्य
के प्रति विशेष शोधपरख दृष्टि |
29.
|
परमान सिंह |
1 |
हिंदी भाषा की विकास यात्रा : विविध सोपान |
30.
|
प्रवीण प्रणव |
1, 2 |
·
हम हैं बिलोकना चाहते जिस तरु को
फूला-फला ·
तू न समझेगा सियासत, अब टू नादान
है ·
आज की रात बचेंगे, तो सहर देखेंगे ·
दीवानों की बस्ती में उम्मीदों का
रोशनदान |
31.
|
योगेंद्रनाथ मिश्र |
1 |
एक रिश्ता : मिठास और परेशानी का |
32.
|
निर्मला एस. मौर्य |
1, 2 |
· संपादकीय
टिप्पणियों में सच से वार्तालाप · सहज
अनुभूति का सौंदर्य |
33.
|
वेदप्रकाश अमिताभ |
1 |
समकालीन चुनौतियों और विडंबना से मुठभेड़ |
34.
|
चंदन कुमारी |
1, 2 |
· नहीं,
मैं गुड़िया नहीं · पत्रकारिता
के लोकतांत्रिक सरोकार · गँवई
मन का कवि |
35.
|
संजीव कुमार |
2 |
एक भेंट जो गंतव्य तक ले गई |
36.
|
अंतरिक्ष सैनी |
2 |
जीवन संघर्ष का राज़दार यार |
37.
|
पवन कुमार ‘पवन’ |
2 |
कविताओं को जिया भी है |
38.
|
जसवीर राणा |
2 |
धूप के विकिरण से पिंडुरियों के धोवन तक |
39.
|
दिनेश प्रताप तोमर |
2 |
यारों के यार |
40.
|
अहिल्या मिश्र |
2 |
शाश्वत क्षणों के हस्ताक्षर |
41.
|
आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ |
2 |
आशावादिता के आधार-स्तंभ |
42.
|
करन सिंह ऊटवाल |
2 |
लघु गुरु |
43.
|
पी. राधिका |
2 |
सूरज में चंद्रमा की शीतलता |
44.
|
वर्षा सोलंकी |
2 |
मानवीय संवेदनाओं की ईश्वरी वरदान |
45.
|
रामनिवास साहू |
2 |
हिंदी का पारस मणि दक्षिण भारत में |
46.
|
रेखा अग्रवाल |
2 |
स्नेह और प्रेरणा के स्रोत |
47.
|
सैयद मासूम रज़ा |
2 |
जीवन को सिंचित करता अमृत कलश |
48.
|
अमन कुमार त्यागी |
2 |
नैतिकता, इंसानियत और सादगी |
49.
|
चंद्रप्रताप सिंह |
2 |
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा |
50.
|
पवित्रा अग्रवाल |
2 |
खुशबू नेचुरल विद्वत्ता की |
51.
|
लक्ष्मी
नारायण अग्रवाल |
2 |
गुरु-शिष्य परंपरा के आदर्श |
52.
|
गिरिजा रानी खन्ना |
2 |
सौभाग्य की बात |
53.
|
विनीता कृष्णा |
2 |
गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है |
54.
|
सुपर्णा मुखर्जी |
2 |
चातक की तृष्णा : रोहिणी का जल |
55.
|
शिवकुमार राजौरिया |
2 |
बिल्कुल कछुए की तरह |
56.
|
अवधेश कुमार सिन्हा |
2 |
काव्य में मिथक : प्रयोग की प्रासंगिकता |
57.
|
राकेश कुमार शर्मा |
2 |
वैचारिक प्रगल्भता और संघर्षप्रियता |
58.
|
ज्ञानचंद मर्मज्ञ |
2 |
युग चेतना के वशिष्ठ |
59.
|
संगीता शर्मा |
2 |
असंतोष और आक्रोश से विद्रोह और क्रांति तक |
60.
|
बालशौरि
रेड्डी |
1 |
दो दशकों की कविता स्रवंती का अवगाहन |
उत्तम प्रस्तुति,प्रो शर्मा की अनुभूति सबको आनंद मय ही है जो पारस मणि के अर्थ को पूरा करता है। अनंत uday कामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंप्रेम बना रहे!😊💐👍
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