गुरुवार, 3 जनवरी 2013

‘’हिंदी का नैसर्गिक विकास’’ विषयक एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न


पुदुक्कोट्टई, 3 जनवरी 2013
तमिलनाडु के सुदूर जनपद पुदुक्कोट्टई स्थित एच एच द राजाज़ कॉलेज के हिंदी विभाग में मुख्यतः तमिलभाषी छात्र-छात्राओं के निमित्त ‘’हिंदी का नैसर्गिक विकास’’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के प्रधान सचिव आर राजवेल ने कहा कि अनुवाद पर आश्रित होने और अंग्रेज़ी की भरमार हो जाने के कारण हिंदी के नैसर्गिक विकास में बाधा उत्पन्न हुई है तथा एक ऐसी अटपटी भाषा सामने आने लगी है जो संप्रेषण में असमर्थ है और हिंदी की प्रकृति के विपरीत है इसलिए महात्मा गांधी द्वारा सुझाया गया  हिन्दुस्तानी भाषारूप वाला रास्ता ही हिंदी के सहज और नैसर्गिक विकास का रास्ता है.

राष्ट्रीय कार्यशाला  की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. सी वडीवेलु ने की और डॉ. एम राजेन्द्रन, प्रो. एम चिन्नैया, प्रो. एस. विश्वनाथन तथा जी सेल्वराजन सम्मानित अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए. सभी अतिथियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हिंदी भाषा  का  ज्ञान देश-विदेश में विचारों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत आवश्यक है तथा इसके बिना विद्यार्थी के कूप-मंडूक बन् जाने का ख़तरा है.

कार्यशाला के विविध सत्रों में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, हैदराबाद के अध्यक्ष प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने ‘हिंदी की प्रकृति : उच्चारण एवं वर्तनी का संदर्भ’, पोंडिचेरी विश्वविद्यालय के डॉ. सी जय शंकर बाबु ने ‘कम्प्यूटर की भाषा के रूप में हिंदी का विकास’, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के डॉ. एम वी सुब्बुरामन ने ‘बोलचाल की हिंदी : एक दृष्टि’ तथा संयोजक कैप्टेन डॉ. पोन राजरत्नम ने ‘व्यक्तित्व विकास में भाषा का योगदान’ विषय पर प्रतिभागियों को संबोधित किया और उन्हें सहज सरल हिंदी के प्रयोग के लिए प्रेरित किया. टी भुवनेश्वरी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
चित्र परिचय
पुदुक्कोट्टई, तमिलनाडु में आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ‘हिंदी का नैसर्गिक विकास’ के 
उद्घाटन के अवसर पर दीप प्रज्वलित करते हुए प्रो. ऋषभ देव शर्मा 
एवं आर राजवेल, प्रो. सी वडीवेलु, डॉ. एम राजेन्द्रन, प्रो. एस. विश्वनाथन और कैप्टेन डॉ. पोन राजरत्नम.
  
[प्रस्तुति- डॉ. जी. नीरजा, प्राध्यापक, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद – 500004.]

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